आतंकवाद, माओवाद, नक्सलवाद और उग्रवाद… दहशत के चार नाम… फिर भी अलग-अलग कैसे?
आतंकवाद और नक्सलवाद
Extremist Difference: आपने बीते दिनों आतंकवाद और नक्सलवाद के बार में खूब सुना होगा. आतंकवाद जो पूरे देश की सबसे बड़ी समस्या है, तो वहीं नक्सलवाद कुछ राज्यों की. जबकि माओवाद ये शब्द अब ज्यादा सुनने में नहीं आता. लेकिन एक समय था जब ये आतंकवाद और नक्सलवाद से ज्यादा हावी था. जबकि किसी भी तरह की हिंसा को उग्रवाद की श्रेणी में रखा जाता है… इन चारों से दहशत जरूर फैलता है, लेकिन इन सबका मकसद बिलकुल अलग है.
आतंकवाद केवल दहशत फैलाने का जरिया
आतंकवाद का अर्थ है हिंसा या हिंसा की धमकी का प्रयोग. जिसका उद्देश्य डराना, दबाव डालकर राजनीतिक, सामाजिक या वैचारिक लक्ष्यों को प्राप्त करना. ये आम तौर पर नागरिकों को निशाना बनाता है. आतंकवाद के बहुत से कारण हो सकते हैं. जैसे- आतंकवादी के अंदर समाज या देश के प्रति विद्रोह और असंतोष होना. भ्रष्टाचार, जातिवाद, आर्थिक विषमता, भाषा का मतभेद, इत्यादि. साल 2008 में प्रकाशित भारत में आतंकवाद पर 8वीं रिपोर्ट में इसे विस्तार से बताया गया है. भारत में आतंक का मतलब कोई भी जानबूझकर किया गया काम जिसमें हिंसा शामिल हो, उसे आतंकवाद की श्रेणी में रखा जाता है.
ये वो कृत्य हैं जो मृत्यु, चोट या संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है और लोगों में भय पैदा करता है. आतंकवाद बार-बार हिंसक कार्रवाई का एक चिंताजनक तरीका है. जिसे गुप्त व्यक्ति या समूह द्वारा मनमौजी तरीके से आपराधिक या राजनीतिक कारणों से इस्तेमाल किया जाता है. भारत में आतंकवाद को चार भागों में बांटा गया है- राष्ट्रवादी आतंकवाद, धार्मिक आतंकवाद, वामपंथी आतंकवाद और नार्को आतंकवाद. भारत में आतंकवाद ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, पूर्वोत्तर राज्यों और मध्य भारत के कुछ हिस्सों को प्रभावित किया. भारत में सक्रिय आतंकवादी समूहों में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन, ISIS, अल-कायदा, जमात-उल-मुजाहिदीन और जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश शामिल हैं.
भारत में कैसे हुई माओवाद की एंट्री?
माओवाद का जन्म विदेशी राजनीतिक विचारधारा से जुड़ा है. साल 1962 में चीन से युद्ध के बाद से भारत में माओवादी विचारधारा की शुरुआत हुई. दरअसल, माओ एक चीनी क्रान्तिकारी, राजनैतिक विचारक और साम्यवादी दल के सबसे बड़े नेता थे. मार्क्सवाद और लेनिनवाद विचारधारा को सैनिक रणनीति से जोड़कर उन्होंने जिस सिद्धान्त को बनाया, उसे ही माओवाद का नाम दिया गया. भारत में वामपंथी आंदोलन सोवियत संघ से प्रभावित था और मॉस्को की विचारधारा को मानता था. भारत में माओवाद मुख्य रूप से मध्य भारत के वन क्षेत्रों में फैला था. जिसमें छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र और ओडिशा राज्य शामिल थे. सरकारों ने इसे खत्म करने की कोशिश. कई अभियान चलाए गए. लेकिन माओवादी विचारधारा का असर आज भी देखने को मिलता है. हालांकि, माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) और इसके सभी संगठनों और अग्रगामी संगठनों पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है.
माओवादी विचारधारा बनी नक्सलवाद की वजह
जबकि नक्सलवाद शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गांव के नाम से हुई है. जहां 1967 में किसानों का विद्रोह हुआ था. इस आंदोलन को ही “नक्सलवाद” कहा जाता है और इसमें शामिल लोगों को “नक्सल” या “नक्सली”. नक्सलवाद नक्सलियों की साम्यवादी विचारधारा है. जो भारत के राजनीतिक विद्रोहियों का एक समूह है. ये माओवादी राजनीतिक भावना और विचारधारा से प्रभावित है. दरअसल, माओवाद से प्रेरित होकर चारु मजूमदार ने ऐतिहासिक आठ दस्तावेज लिखे, जो नक्सलवाद का आधार बने. मजूमदार, कानू सान्याल और जंगल संथाल ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का एक गुट बनाया, जिसने एक दीर्घकालिक जनयुद्ध का आह्वान किया. विद्रोह के बाद सान्याल ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) की स्थापना की. मजूमदार का लेखन शहरी इलाकों में लोकप्रिय हुआ. जैसे ही कलकत्ता में छात्र नक्सली आंदोलन में शामिल होने लगे. मजूमदार ने विचारधारा का फोकस ग्रामीण इलाकों से बाहर कर दिया. और फिर नतीजा ये हुआ कि नक्सली माओवादी विचारधारा का समर्थन करने वाले विभिन्न समूहों में बट गए. यूं तो भारत में नक्सलवाद की शुरुआत पश्चिम बंगाल से हुई. लेकिन बाद में यह कई अन्य राज्यों में भी फैल गया. जिसमें प्रमुख नक्सलवाद से प्रभावित राज्य हैं- आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड और तेलंगाना.
हिंसा का सहारा लेना उग्रवाद
उग्रवाद का अर्थ है “चरम होने की गुणवत्ता” या “चरम उपायों या विचारों की वकालत” है. इस शब्द का इस्तेमाल मुख्य रूप से राजनीतिक या धार्मिक अर्थ में एक विचारधारा को दर्शाने के लिए किया जाता है, जिसे समाज के मुख्यधारा के दृष्टिकोण से अलग माना जाता है. उग्रवाद का सीधा अर्थ है अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए हिंसा का सहारा लेना. नक्सवाद, माओवाद आदि इसके ही उदाहरण हैं. भारत में जितने भी चरमपंथी संगठन है, जो अफनी मांगों की पूर्ति के लिए हिंसा का सहारा लेते हैं वो उग्रवादी कहलाते हैं. खालिस्तान की मांग को लेकर हुई हिंसा भी एक तरह का उग्रवाद ही है. उग्रवाद किसी भी विचारधारा से प्रेरित हो सकता है. भारत के कई पूर्वोत्तर राज्यों में चल रहा सशस्त्र संघर्ष भी उग्रवाद है. जिसमें अलगाववाद, जिहादवाद, ईसाई राष्ट्रवाद सहित विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं वाले कई उग्रवादी समूह शामिल हैं. हालांकि, भारत में कई उग्रवादी संगठनों को सरकार ने आतंकवादी संगठन घोषित किया है.
आतंकवाद, माओवाद, नक्सलवाद और उग्रवाद में अंतर
नक्सलवाद और माओवाद दोनों ही आंदोलन पर आधारित हैं. लेकिन दोनों में फर्क ये है कि नक्सलवाद विकास के अभाव और गरीबी का नतीजा है, जबकि माओवाद राजनीतिक विचारधारा से प्रभावित. वहीं इनके बिलकुल इतर आतंकवाद का लक्ष्य आम नागरिकों को डरा कर या नुकसान पहुंचा कर किसी सरकार या संगठन से अपनी मांगें मनवाना होता है. जबकि उग्रवाद एक व्यापक शब्द है. जो उन लोगों या समूहों को संदर्भित करता है, जो कट्टरपंथी विचारों को बढ़ावा देते हैं. जो अक्सर हिंसा का उपयोग तो नहीं करते हैं, लेकिन हिंसा को बढ़ावा जरूर देते हैं.