रानी अहिल्याबाई की सादगी के अंग्रेज भी थे मुरीद, उनके परोपकारी कार्यों की गवाही देते हैं सैंकड़ों मंदिर-घाट

Devi Ahilyabai Holkar: देश में देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती मनाई जा रही है. उनके परोपकारी कार्य के लिए देवी का दर्जा दिया जाता है. उन्होंने देश के विभिन्न तीर्थस्थानों पर मंदिरों, धर्मशाला और घाटों का निर्माण एवं पुनर्निर्माण करवाया.
Devi Ahilyabai Holkar

देवी अहिल्याबाई होल्कर

Devi Ahilyabai Holkar: आज देश भर में देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती मनाई जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित महिला सशक्तिकरण सम्मेलन में शामिल हुए. 300 रुपये सिक्का जारी किया, जिसका 50 फीसदी हिस्सा चांदी का है. उनके जीवन और योगदान को देखते हुए डाक टिकट भी जारी किया. देवी अहिल्याबाई होल्कर के जीवन की बात करें तो परोपकारी कार्यों के लिए समर्पित रहा है. सादगी से भरा जीवन अपनी प्रजा के लिए समर्पित जीवन को उन्होंने राष्ट्र के नाम किया.

केदारनाथ से लेकर रामेश्वरम तक मंदिरों का निर्माण

मंदिरों के निर्माण और उनके जीर्णोद्धार को लेकर जितना कार्य देवी अहिल्या बाई ने किया है, शायद ही किसी और ने किया हो. उनके कार्यों की गाथा केदारनाथ से रामेश्वरम तक हमें सुनने मिलती है. अहिल्या ने पूरे भारत में 250 से ज्यादा मंदिरों निर्माण और जीर्णोद्धार करवाया.

काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी, उत्तर प्रदेश) – देवी अहिल्या बाई ने साल 1780 में इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था.

त्र्यंबकेश्वर मंदिर (नासिक, महाराष्ट्र)- मंदिर की मरम्मत करवाई. तीर्थयात्रियों के लिए धर्मशाला का निर्माण भी करवाया.

विष्णुपद मंदिर (गया, बिहार)- फल्गु नदी के पास स्थित विष्णुपद मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया

हर की पौड़ी (हरिद्वार, उत्तराखंड)- गंगा नदी के किनारे हर की पौड़ी का विकसित किया. घाटों और मंदिरों का पुर्निर्माण किया गया.

बद्रीनाथ मंदिर (उत्तराखंड)- मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया और धर्मशालाओं का विकसित करवाया.

सोमनाथ मंदिर (वलसाड, गुजरात)- मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया.

अहिल्येश्वर शिव मंदिर (महेश्वर, मध्य प्रदेश)- देवी अहिल्याबाई भगवान शिव की उपासक थीं. अहिल्येश्वर शिव मंदिर का निर्माण करवाया.

महाकाल मंदिर (उज्जैन, एमपी)- महाकालेश्वर मंदिर को फिर से विकसित किया. मंदिर के शिखर पर 101 सोने के कलश रखवाए. परिसर को भव्य और दिव्य आकार दिया.

जगन्नाथ मंदिर (पुरी, ओडिशा)- मंदिर के पुनर्निर्माण कार्य में योगदान दिया और धर्मशाला और सराय का निर्माण करवाया.

रामेश्वरम मंदिर (तमिलनाडु)- मंदिर का नवीनीकरण करवाया और सराय का निर्माण करवाया.

मीनाक्षी मंदिर (मदुरै, तमिलनाडु)- मंदिर में नवीनीकरण और यात्रियों सुविधा में विस्तार करवाया.

सैंकड़ों धर्मशाला और घाटों का निर्माण करवाया

देशभर में तीर्थयात्रा करने वाले और राहगीरों के लिए देवी अहिल्याबाई होल्कर ने अलग-अलग स्थानों पर धर्मशालाओं और सरायों का निर्माण कार्य करवाया. इसके साथ ही नदी, पोखर और तालाब के पास सुंदर घाटों का निर्माण करवाया. इनमें वाराणसी, पुष्कर, कुरुक्षेत्र में उनके नाम पर घाटों का नाम रखा गया है. वाराणसी, गया, हरिद्वार, ऋषिकेश, उज्जैन, महेश्वर, रामेश्वरम, कांचीपुरम, द्वारका, त्र्यंबकेश्वर में घाटों और सराय का निर्माण कार्य करवाया.

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साड़ी उद्योग को दिया बढ़ावा

महेश्वरी सिल्क साड़ी की आज पूरी दुनिया दीवानी है. महिलाओं में इसके लिए चाहत रहती है कि उसके कलेक्शन में महेश्वरी साड़ी शामिल हो. देवी अहिल्या बाई होल्कर ने खरगोन में नर्मदा नदी किनारे स्थित महेश्वर को अपनी राजधानी बनाई. इसे विकसित किया. यहां आज एक किला स्थित है जिसे अहिल्या फोर्ट के नाम से जाना जाता है. वहीं अपनी प्रजा को रोजगार देने के लिए सिल्क कार्य करवाना शुरू किया. पहले दूसरे कार्यों में जरी और सिल्क का कार्य किया जाता था. बाद में इसे साड़ी के रूप में किया जाने लगा. आज ये उद्योग महेश्वर के कई लोगों के लिए रोजी-रोटी का जरिया बन गया है. उन्होंने हैदराबाद से कारीगर बुलाकर यहां के लोगों को प्रशिक्षण दिलवाया था.

अंग्रेज भी सादगी के मुरीद थे

देवी अहिल्याबाई होल्कर का विवाह होल्कर रियासत के राजा मल्हारराव होल्कर के पुत्र खांडेराव होल्कर से हुआ था. साल 1754 में उनके पति का निधन हो गया था. शिव भक्त अहिल्याबाई ने पति के देहांत के बाद हमेशा सफेद साड़ी पहनी. सादा जीवन जिया और सादा भोजन किया. इसके तरह की दिनचर्या देखकर अंग्रेज भी दंग रह जाते थे. एक रानी होकर इस तरह का जीवन अंग्रेजों ने पहले कभी नहीं देखा था. साल 1767 में उनका राज्याभिषेक किया गया था.

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