IAF को मिलेगा भारत का पहला स्वदेशी Tejas Mk1A फाइटर जेट, एयर स्ट्राइक से दुश्मनों की उड़ा देगा नींद
तेजस Mk1A
Tejas Mk1A: भारत की रक्षा क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) जून 2025 के अंत तक भारतीय वायुसेना (IAF) को पहला स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस Mk1A सौंपने की तैयारी में है. यह 4.5 पीढ़ी का मल्टी-रोल फाइटर जेट है, जो हवा से हवा और हवा से जमीन पर हमला करने की उन्नत क्षमता रखता है. यह भारत के आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियान का एक महत्वपूर्ण कदम है.
तेजस Mk1A की खासियतें
तेजस Mk1A, तेजस Mk1 का उन्नत संस्करण है, जिसमें कई आधुनिक सुधार किए गए हैं. इसमें इजरायली EL/M-2052 AESA रडार, डिजिटल फ्लाई-बाय-वायर फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम, उन्नत एवियोनिक्स, सेल्फ-प्रोटेक्शन जैमर और आधुनिक हथियार प्रणालियां शामिल हैं. यह जेट Astra Mk1 और ASRAAM मिसाइलों से लैस है, जो इसे हवाई युद्ध और सटीक हमलों में बेहद प्रभावी बनाता है. इसका छोटा आकार और हल्का डिज़ाइन इसे रडार से बचने में सक्षम बनाता है, जिससे यह दुश्मन के लिए घातक साबित हो सकता है.
पहली डिलीवरी और उत्पादन
HAL की नासिक और बेंगलुरु सुविधाओं में तेजस Mk1A का उत्पादन तेजी से चल रहा है. जून 2025 में नासिक प्लांट से पहला जेट IAF को सौंपा जाएगा. HAL ने 2027 से सालाना 24 जेट्स बनाने का लक्ष्य रखा है. हाल ही में हैदराबाद की VEM टेक्नोलॉजीज ने तेजस Mk1A की पहली सेंटर फ्यूजलेज असेंबली HAL को सौंपी, जो निजी क्षेत्र की भागीदारी को दर्शाता है.
इंजन आपूर्ति में देरी
तेजस Mk1A प्रोग्राम को GE एयरोस्पेस से F404-IN20 इंजनों की आपूर्ति में देरी का सामना करना पड़ा. कोविड-19 और वैश्विक सप्लाई चेन समस्याओं के कारण मार्च 2024 की निर्धारित डिलीवरी जून 2025 तक खिसक गई. हालांकि, मार्च 2025 में पहला इंजन डिलीवर हुआ, और GE ने 2025-26 में 12 इंजन और 2026-27 से 20 इंजन प्रति वर्ष देने का वादा किया है.
एयर स्ट्राइक में भूमिका
तेजस Mk1A को मिग-21 जैसे पुराने विमानों की जगह लेने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसकी 500 किमी की कॉम्बैट रेंज और 1980 किमी/घंटा की अधिकतम गति इसे सटीक एयर स्ट्राइक और हवाई युद्ध के लिए आदर्श बनाती है. ऑपरेशन सिंदूर जैसे हालिया अभियानों में भारत ने राफेल जैसे जेट्स का उपयोग किया, और तेजस Mk1A के शामिल होने से वायुसेना की ताकत और बढ़ेगी. यह जेट राजस्थान के नल एयरबेस पर तैनात होगा, जो पाकिस्तान सीमा से केवल 200 किमी दूर है.
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम
तेजस Mk1A में 65% से अधिक स्वदेशी हिस्से हैं, और 6,300 से ज्यादा भारतीय वेंडर्स इसकी आपूर्ति में शामिल हैं. यह भारत के रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता का प्रतीक है. भविष्य में तेजस Mk2 और पांचवीं पीढ़ी के AMCA जेट्स के साथ भारत की वायुसेना और सशक्त होगी.
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वायुसेना की रणनीति
IAF ने 83 तेजस Mk1A जेट्स के लिए 48,000 करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया है, और 97 और जेट्स का ऑर्डर देने की योजना है. यह जेट पुराने मिग-21 स्क्वॉड्रनों को बदलने और वायुसेना की 42.5 स्क्वॉड्रन की जरूरत को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
चुनौतियां और भविष्य
हालांकि इंजन आपूर्ति में देरी ने प्रोजेक्ट को प्रभावित किया, लेकिन HAL और निजी कंपनियों की भागीदारी से उत्पादन तेज हो रहा है. एयरफोर्स चीफ मार्शल एपी सिंह ने समय पर डिलीवरी के लिए उद्योगों को चेतावनी दी है. तेजस Mk1A की सफलता भारत को AMCA जैसे उन्नत जेट्स के निर्माण में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.