कर्नाटक में अब नहीं चलेंगी ओला, उबर और रैपिडो; हाई कोर्ट ने कहा- बिना सही नियमों के सेवाएं अवैध
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Ola,Uber, Rapido Ban In Karnataka: कर्नाटक में ऐप आधारित ओला, उबर और रैपिडो बाइक-टैक्सी अब 16 जून से नहीं चलेगी. कर्नाटक हाई कोर्ट ने इनकी सेवाओं पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा कि जब तक राज्य सरकार मोटर वाहन अधिनियम , 1988 के तहत बाइक टैक्सी के लिए स्पष्ट नियम और दिशानिर्देश तैयार नहीं कर देत ही है, तब तक इनकी सेवाओं का संचालन नहीं हो सकता है.
विस्तार से जानिए क्या है पूरा मामला
ओला, उबर और रैपिडो की पैरेंट कंपनियों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की थी. इसमें उन्होन मांग की थी कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत पीले नंबर प्लेट वाली बाइक-टैक्सियों को परिवहन वाहनों की तरह मान्यता दी जाए. लेकिन हाईकोर्ट से उन्हें कोई राहत नहीं मिली. अब मामले की सुनवाई 24 जून को होगी. लेकिन तब तक कोर्ट ने तीनों कंपनियों की सेवाओं पर रोक लगाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा- बिना सही नियमों के यह सेवाएं अवैध हैं.
जानिए दोनों पक्षों की तरफ से क्या कहा गया
राज्य सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने कोर्ट में कहा कि बिना राज्य सरकार की ओर से फ्रेम किए गए नियमों के, इन सेवाओं की परमिशन नहीं दी जा सकती है. उन्होंने कहा, ‘सार्वजनिक परिवहन के लिए राज्य की स्पष्ट नीति होना अनिवार्य है. सिर्फ केंद्रीय नियमों के भरोसे कोई सेवा नहीं चलाई जा सकती.’
वहीं रैपिडो की तरफ से कोर्ट में बताया गया कि रोक लगाने के फैसले से प्रदेश भर के 6 लाख से ज्यादा ड्राइवर और उनके पार्टनर्स पर असर पड़ेगा. कंपनी ने दावा किया कि 75 राइडर्स औसतन 35 हजार रुपये महीने की कमाई करते हैं.
ओला और उबर की ओर से बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि दोपहिया वाहनों को सार्वजनिक परिवहन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अगर राज्य के पास अपनी नीति नहीं है, तो केंद्र के मौजूदा नियमों के तहत सेवाएं जारी रखी जा सकती हैं.
जब तक राज्य सरकार नियम नहीं बनाती सेवाएं शुरू नहीं होगी
अब कोर्ट के आदेश के बाद जब तक राज्य सरकार मोटर वाहन अधिनियम के तहत स्पष्ट दिशानिर्देश लागू नहीं कर देती है, तब तक राज्य में इन सर्विस का संचालन नहीं किया जाएगा. कोर्ट ने सरकार को नियम बनाने के लिए 3 महीने का समय दिया गया है.
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