बिलासपुर पटवारी सुसाइड केस: फांसी लगाने वाले सुरेश मिश्रा ने सुसाइट नोट में किन तीन लोगों का लिखा नाम? हुआ खुलासा
बिलासपुर पटवारी सुसाइड केस
Bilaspur: बिलासपुर में भारतमाला प्रोजेक्ट के भ्रष्टाचार में फंसे निलंबित पटवारी सुरेश मिश्रा ने अपनी बहन के फॉर्म हाउस में फांसी लगाकर जान दे दी. उन्होंने सकरी थाना क्षेत्र के जोकि गांव में इस घटना को अंजाम तक पहुंचाया है. छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब प्रशासन ने किसी पटवारी को गड़बड़ी में सस्पेंड किया हो और इससे अवसाद में आकर उसने अपनी जान दी है. इसके कारण यह घटना पूरे छत्तीसगढ़ में चर्चा का विषय है. पटवारी सुरेश मिश्रा ने एक सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें उन्होंने लिखा है- ‘मैं दोषी नहीं हूं.’ ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि आखिर दोषी कौन है और कब तक प्रशासन और पुलिस उन्हें सामने लाएगी?
पटवारी सुरेश मिश्रा के खिलाफ तोरवा थाना क्षेत्र में इसी गड़बड़ी को लेकर धोखाधड़ी का अपराध भी दर्ज किया गया था. मामले में पुलिस को सुसाइड नोट मिला है, जिसमें मृतक पटवारी सुरेश मिश्रा ने अपने आप को बेगुनाह बताया है और उन्होंने स्पष्ट किया है कि वह भारत माला प्रोजेक्ट में दोषी नहीं है. परिजनों का कहना है की पटवारी सुरेश मिश्रा इस पूरे मामले में बेकसूर है और उन्हें फंसाया गया है इसलिए उन्होंने इस पूरे प्रकरण में जांच की मांग की है.
सुसाइड नोट में तीन अधिकारी-कर्मचारी के नाम
मृतक पटवारी सुरेश मिश्रा ने सुसाइड नोट में भारतमाला प्रोजेक्ट को लेकर तीन अधिकारी-कर्मचारी का नाम लिखा है. पुलिस का कहना है कि इनमें एक स्थानीय कोटवार और एक दूसरे पटवारी के अलावा एक बड़े अधिकारी का नाम शामिल है. हालांकि पुलिस ने सुसाइड नोट सार्वजनिक नहीं किया है. सकरी थाना प्रभारी प्रदीप आर्य इसी एंगल से जांच कर रहे हैं कि आखिर भारत माला प्रोजेक्ट में जिन संभावित अधिकारी कर्मचारियों का नाम लिखा है. उनकी भूमिका इस घोटाले में कितनी है और आगे इस पर जांच और जुर्म दर्ज करने की बात कही जा रही है.
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
सकरी थाना क्षेत्र के जोकि गांव में हुई घटना के बाद पुलिस ने पटवारी सुरेश मिश्रा का शव सिम्स में पोस्टमार्टम के लिए भेजा था. शनिवार की सुबह 11:00 उनका शव बिलासपुर के अयोध्या नगर स्थित उनके घर पहुंचा, जिसे देखकर परिजन सदमे में डूब गए. सुरेश मिश्रा की पत्नी और दो बच्चे बेहद दुखी है परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. परिजन सुरेश मिश्रा को बेहद मजबूत व्यक्ति बताते हैं और कहते हैं कि उन्होंने कैसे उन्होंने आत्मघाती कदम उठाया है यह उनके लिए बड़ा सवाल है?
बेटी ने दिया पिता की अर्थी को कंधा
सिम्स से जैसे ही पोस्टमार्टम के बाद मृतक सुरेश मिश्रा का शव उनके घर पहुंचा सभी की आंख नम हो गई. सुरेश मिश्रा की बेटी शुभी और बेटे अंशुल ने अपने पिता को कंधा देकर आखिरी विदाई दी है. बेटी होकर भी शुभी ने अपने पिता को कंधा दिया है, जिसे देखकर किसी की आंख भर आई.
जानिए क्या है भारतमाला प्रोजेक्ट
रायपुर से धनबाद तक केंद्र की योजना के तहत भारतमाला परियोजना में सड़क का निर्माण करवाया जा रहा है. इस सड़क को जोड़ने के लिए बिलासपुर में ढेंका गांव से उरगा तक 70 किलोमीटर एक्सप्रेसवे का निर्माण लगभग हो चुका है. सिर्फ 300 मीटर जमीन अधिग्रहण बाकी है, जिसके कारण पूरी परियोजना अटकी हुई है. इसे लेकर NHI ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर जमीन अधिग्रहण की बात लिखी है. इसी प्रोजेक्ट में मुआवजा वितरण करने में करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार सामने आया है, जिसमें बिलासपुर के तत्कालीन तहसीलदार DS उईके और पटवारी सुरेश मिश्रा के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई थी. पटवारी को कुछ दिन पहले सस्पेंड किया गया था और तोरवा थाना में पटवारी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था. इसके बाद पटवारी सुरेश डिप्रेशन में थे. परिजनों का कहना है इसी डिप्रेशन में आकर उन्होंने अपनी जान दे दी है.
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भारतमाला प्रोजेक्ट में रायपुर से धनबाद तक एक्सप्रेस हाई-वे के लिए बिलासपुर से उरगा तक 1115 करोड़ रुपए की लागत से यह इकोनामिक कॉरिडोर तैयार हो रहा है. इस योजना में ही 100 किलोमीटर एक्सप्रेस फोरलेन सड़क बन रही है. इस योजना में 70 किलोमीटर सड़क के लिए 46 गांव की जमीन ली गई है. इसमें 500 करोड़ रुपए का मुआवजा बांटा गया है और इसमें ही अलग-अलग जगह भ्रष्टाचार की बात उजागर हो गई है.