3 दिन में दिल्ली सरकार ने लिया यू-टर्न, ठंडे बस्ते में पुरानी गाड़ियों को सीज करने का अभियान, जानिए वजह
Delhi Vehicle Ban: दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 1 जुलाई प्रदेश सरकार ने पुरानी गाड़ियों को डीजल-पेट्रोल पर बैन लगा दिया था. सरकार के इस फैसले के तहत 10 साल से अधिक पुरानी डीजल और 15 साल से अधिक पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को सीज करने और ईंधन न देने का अभियान चलाया गया. जोकि महज तीन दिनों में ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को पत्र लिखकर इस नीति पर रोक लगाने की मांग की है. इस यू-टर्न के पीछे तकनीकी खामियां सहित कई चुनौतियां प्रमुख कारण हैं.
अभियान की शुरुआत और उद्देश्य
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के निर्देशों का पालन करते हुए 1 जुलाई से पुरानी गाड़ियों को सड़कों से हटाने और पेट्रोल पंपों पर ईंधन देने पर रोक लगाने का अभियान शुरू किया था. इसका मकसद दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करना था, क्योंकि CAQM के मुताबिक, 28% प्रदूषण वाहनों से होता है और पुराने BS-IV इंजन BS-VI की तुलना में 5.5 गुना अधिक प्रदूषण फैलाते हैं. इस अभियान के तहत, दिल्ली के 498 पेट्रोल पंपों पर ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरे लगाए गए थे ताकि ‘एंड-ऑफ-लाइफ’ (EOL) वाहनों की पहचान की जा सके.
तकनीकी खामियां
दिल्ली सरकार ने CAQM को पत्र लिखकर बताया कि ANPR सिस्टम पूरी तरह से कारगर नहीं है. पेट्रोल पंपों पर लगे कैमरे कई बार गाड़ियों के नंबर प्लेट को सही से नहीं पढ़ पाते, जिससे गलत गाड़ियों को भी निशाना बनाया जा रहा था. इसके अलावा, यह सिस्टम पूरे एनसीआर में लागू नहीं हुआ है, जिसके कारण पड़ोसी राज्यों से आने वाली गाड़ियों पर नजर रखना मुश्किल है. पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि यह सिस्टम तर्कसंगत नहीं है और इसे लागू करना जल्दबाजी होगी.
दिल्ली सरकार का यू-टर्न और नई रणनीति
3 दिनों के भीतर ही दिल्ली की बीजेपी सरकार ने इस अभियान पर रोक लगाने का फैसला लिया. पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि यह नीति पूरे एनसीआर में एक साथ लागू होनी चाहिए, न कि केवल दिल्ली में. सरकार ने सुझाव दिया कि गाड़ियों को उनकी उम्र के बजाय प्रदूषण स्तर के आधार पर प्रतिबंधित किया जाए. इसके लिए सरकार एक नई योजना पर काम कर रही है, जिसमें EOL वाहन मालिकों को 2-3 महीने पहले SMS के जरिए सूचित किया जाएगा ताकि वे अपनी गाड़ियों को हटाने की योजना बना सकें.
जनता का आक्रोश
अभियान शुरू होने के बाद दिल्ली में करीब 62 लाख गाड़ियां (41 लाख दोपहिया और 18 लाख चारपहिया) प्रभावित हुईं. इनमें से कई वाहन मालिकों की आजीविका और दैनिक आवागमन इन गाड़ियों पर निर्भर था. अभियान के पहले दो दिनों में कई गाड़ियां जब्त की गईं, जिससे जनता में भारी असंतोष फैल गया. कुछ मालिकों ने अपनी महंगी गाड़ियांकम दाम में बेच दीं, क्योंकि उन्हें चालान और जब्ती का डर था. दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष निश्चल सिंघानिया ने बताया कि इस सख्ती से सड़कों पर लग्जरी गाड़ियां कम दिखने लगीं, और लोगों में भय का माहौल बन गया.
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राजनीतिक विवाद और आरोप-प्रत्यारोप
इस यू-टर्न ने दिल्ली में सियासी घमासान को जन्म दिया। आम आदमी पार्टी (AAP) ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए इसे ‘तुगलकी फरमान’ करार दिया है. AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जनता के दबाव में बीजेपी को यह फैसला वापस लेना पड़ा. वहीं, मनजिंदर सिंह सिरसा ने AAP पर पुरानी गाड़ियों को सीज करने की नीति को वाहन शोरूम मालिकों के साथ मिलकर लागू करने का आरोप लगाया.