2200 नहीं 3200 करोड़ का शराब घोटाला, 29 आरोपियों के खिलाफ खुली ‘लाल पोटली’, कई चौंकाने वाले खुलासे
चार्जशीट पेश
CG Liquor Scam: छत्तीसगढ़ में 2161 नहीं 3200 करोड़ से अधिक का शराब घोटाला हुआ है. छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 2200 करोड़ से अधिक के शराब घोटाले मामले में 29 आरोपी आबकारी अधिकारियों के खिलाफ EOW की विशेष कोर्ट में 7 जुलाई को चौथा पूरक चालान पेश हो गया है. ACB/EOW की टीम ने कोर्ट में लाल रंग की पोटली में 29 बंडल लाकर पेश किए-
ACB/EOW ने पेश की चार्जशीट
ACB/EOW ने 29 अधिकारियों के खिलाफ जो चार्जशीट पेश की है उसके मुताबिक सब के खिलाफ आरोप हैं कि इन्होंने छत्तीसगढ़ के 15 जिलों में पार्ट-B की जो शराब बिक्रि थी उसमें जमकर भ्रष्टाचार किया. इन अधिकारियों की जहां पर पदस्थापना थी वहां इन अधिकारियों ने जमकर शराब खपाने का काम किया. इसका खुलासा शराब घोटाले के मास्टरमाइंड अनवर ढेबर के जब्त समसैंग गैलेक्सी S-10 मोबाइल से हुआ. चार्जशीट के मुताबिक जिन आबकारी अधिकारियों का काम होता है कि शराब बिक्रि के जरिए पैसा सरकार के खजाने तक पहुंचे उन्हीं अधिकारियों ने सरकारी दुकान से अवैध शराब की बिक्री कराई और पैसे को आबकारी सिंडीकेट तक पहुंचाया.
चार्जशीट के मुताबिक आरोपी 29 अधिकारियों को मीटिंग कर सेट करने का काम अरुणपति त्रिपाठी ने किया था और उन्हीं के कहने पर ये तमाम काम के लिए राजी हुए थे. यह साफ तौर पर चार्जशीट में लिखा गया है और अरुणपति के काम का कॉर्डिनेशन सहायक जिला आबकारी अधिकारी जनार्दन कौरव के द्वारा किया जाता था.
और फिर एक पूरी घोटाले की चैन बनी
अनवर ढेबर के द्वारा अरुणपति को शराब बेचने का टार्गेट दिया जाता था. इसके बाद अरुणपति जनार्दन कौरव को बताते थे. जनार्दन सभी जिलों के जिला अधिकारियों से कॉर्डिनेट करते फिर उसके नीचे के छोटे अधिकारियों से बात की जाती. फिर पूरी चैन सरकारी दुकानों में अवैध शराब बेचती और कलेक्शन कर ऊपर पैसा वापस इसी चैन के जरिए पहुंचा दिया जाता था. सबका अपना अपना हिस्सा इस अवैध काम के लिए निर्धारित था.
2200 नहीं 3200 करोड़ का शराब घोटाला
चार्जशीट में EOW ने जानकारी दी है कि इस घोटाले के पैसे से 11 आरोपी अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों के नाम करोडों की जमीन और दौलत भी खरीदी है. सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात ये है कि अभी तक EOW के मुताबिक इन्होंने पूरे शराब घोटाले में करीब 61 लाख अवैध पेटी शराब बिकवाकर 2174 करोड़ रुपए की चपत लगाई थी. लेकिन अब जब इन अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई तो पता चला कि यह घोटाला 2174 नहीं बल्कि 3200 करोड़ से अधिक का है.
इन अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगे हैं
जनार्दन कौरव, सहायक जिला आबकारी अधिकारी
अनिमेष नेताम, उपायुक्त आबकारी
विजय सेन शर्मा, उपायुक्त आबकारी
अरविंद कुमार पाटले, उपायुक्त आबकारी
प्रमोद कुमार नेताम, सहायक आयुक्त आबकारी
रामकृष्ण मिश्रा, सहायक आयुक्त, आबकारी
विकास कुमार गोस्वामी, सहायक आयुक्त आबकारी
इकबाल खान, जिला आबकारी अधिकारी,
नितिन खंडुजा, सहायक जिला आबकारी अधिकारी
नवीन प्रताप सिंग तोमर, सहायक आयुक्त आबकारी
मंजुश्री कसेर, सहायक आबकारी अधिकारी,
सौरभ बख्शी, सहायक आयुक्त आबकारी,
दिनकर वासनिक, सहायक आयुक्त आबकारी,
मोहित कुमार जायसवाल, जिला आबकारी अधिकारी
नीतू नोतानी ठाकुर, उपायुक्त आबकारी
गरीबपाल सिंह दर्दी, जिला आबकारी अधिकारी,
नोहर सिंह ठाकुर, उपायुक्त आबकारी
सोनल नेताम, सहायक आयुक्त, आबकारी
प्रकाश पाल, सहायक आयुक्त आबकारी,
अलेख राम सिदार, सहायक आयुक्त आबकारी
आशीष कोसम, सहायक आयुक्त आबकारी
ए.के. सिंग, जिला आबकारी अधिकारी (सेवानिवृत्त)
राजेश जायसवाल, सहायक आयुक्त आबकारी
जे.आर. मंडावी, जिला आबकारी अधिकारी (सेवानिवृत्त)
जी.एस. नुरूटी, सहायक आयुक्त आबकारी (सेवानिवृत्त)
देवलाल वैध, जिला आबकारी अधिकारी (सेवानिवृत्त)
ए.के. अनंत, जिला आबकारी अधिकारी (सेवानिवृत्त)
वेदराम लहरे, सहायक आयुक्त आबकारी (सेवानिवृत्त)
एल.एल.ध्रुव, सहायक आयुक्त आबकारी (सेवानिवृत्त)
सबसे हैरान करने वाली बात तो ये है की 7 जुलाई को घोटाले की चार्जशीट पेश होने के दौरान ये अधिकारी अदालत में पेश नहीं हुए, जिसकी चर्चा पूरे कोर्ट में रही क्योंकि नोटिस के बावजूद न पहुंचना ये हैरान करने वाला है. अब इन्हें फिर से 20 अगस्त को कोर्ट में पेश होने का समन भेजा गया है. फिर भी अगर यह कोर्ट नहीं पहुंचे तो माना जा रहा है कि आने वाले समय में इनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है. अब देखना है कि क्या कुछ आगे होता है लेकिन घोटाले की इस चार्जशीट से घोटालेबाजों की धड़कनें तेज हैं! तो वहीं दूसरी तरफ़ लोगों के मन में भी इस सवाल कौंध रहे हैं.