Chhattisgarh: गोबर से बनने वाली इकोफ्रेंडली पेंट की मशीनें हुई जर्जर, पेंट की नहीं हो रही बिक्री
Chhattisgarh: खादी इंडिया केंद्र सरकार द्वारा गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की पहल साल 2021 में की गई थी. गोबर से इकोफ्रेंडली पेंट बनाने की शुरुआत छत्तीसगढ़ में भी हुई. प्रदेश का पहला इकोफ्रेंडली पेंट बनाने की यूनिट राजधानी रायपुर से लगे जरवाए स्थित गौठान में लगाई गई. जहां गाय के गोबर से पेंट निर्माण होना शुरू हुआ. लेकिन अब स्थिति ये है कि पेंट बनाने वाली मशीनें धूल खा रही है. पेंट मशीनें बंद पड़ी हुई है. हालात ऐसे हैं कि पेंट बनना लगभग बंद हो गया है.
पेंट की नहीं हो रही बिक्री
रायपुर में प्राकृतिक पेंट बनाने वाली यूनिट की स्थिति एकदम दयनीय है. यूनिट के पेंट ट्रेनर सीताराम शर्मा बताते हैं कि राज्य सरकार गोबर से पेंट बनाने के लिए उनके संस्था को गोबर खरीद कर देती थी जो कि पिछले कुछ महीनों से बंद हो गया है. प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद गोबर खरीदी बंद हो गया है. इसके कारण पेंट का निर्माण थम सा गया है. इसके अलावा जो पेंट बनकर तैयार है, उसकी भी बिक्री नहीं हो रही है. सरकार ने सभी ठेकेदारों को सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर में इस्तेमाल के लिए इकोफ्रेंडली पेंट खरीदने के निर्देश दिए थे लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है. ठेकेदार लोकल पेंट का इस्तेमाल कर अपना काम चला रहे हैं. अब हालात ये हैं कि प्राकृतिक पेंट का निर्माण रुक गया है.
25-30 लाख का रॉ मटेरियल हो रहा एक्सपायरी
गौरतलब की बात ये है कि पेंट का उत्पादन और बिक्री नहीं होने से यूनिट में लगभग 25-30 लाख का रॉ मटेरियल एक्सपायरी होने के कगार पर है. इन मटेरियल से इकोफ्रेंडली पेंट का निर्माण किया जाना था लेकिन सरकार के उदासीनता से पेंट बनने की प्रक्रिया ठप पड़ा हुआ है. पेंट निर्माण यूनिट खुलने के बाद यहां काफ़ी संख्या में मजदूर भी काम किया करते थे, लेकिन अब पेंट निर्माण नहीं होने से मजदूरों की रोजी रोटी पर भी सवाल आ खड़ा हुआ है. अगर यही स्थिति रही तो इकोफ्रेंडली पेंट बनाने वाली यूनिट को बंद भी करना पड़ सकता है.
प्राकृतिक पेंट बनाने का ये था उद्देश्य
बता दें कि भारत सरकार के ग्रामीणों के आय बढ़ाने के उद्देश्य से गाय के गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए देशभर में प्लांट खोली गई है, जहां गोबर से इकोफ्रेंडली पेंट का निर्माण किया जाता है. सरकार का लक्ष्य था कि गोबर से पेंट बनाने की योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. साथ ही गोबर से तैयार होने वाला पेंट जैविक और सस्ता होगा. साथ ही पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचाएगा.