‘मैं सही समय पर रिटायर हो जाऊंगा…’, कुछ दिनों पहले ही बोले थे धनखड़, अब इस्तीफे से उठा सियासी तूफान
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से बढ़ी सियासी सरगर्मी
Jagdeep Dhankhar: संसद के मानसून सत्र के पहले दिन की कार्यवाही खत्म होने के बाद देर शाम खबर आई कि देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. 21 जुलाई को भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है.
धनखड़ ने अपने पत्र में कहा- ‘स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के मुताबिक, भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं.’ यह इस्तीफा संसद के मानसून सत्र के पहले दिन के बाद आया, जिसने राजनीतिक हलकों में तूफान खड़ा कर दिया है.
स्वास्थ्य कारण या सियासी दबाव?
74 वर्षीय धनखड़ ने हाल ही में दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में एंजियोप्लास्टी करवाई थी. डॉक्टरों ने उन्हें लंबे समय तक चिकित्सकीय देखभाल की सलाह दी थी. हालांकि, उनके इस्तीफे की टाइमिंग ने कई सवाल खड़े किए हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि धनखड़ का इस्तीफा स्वास्थ्य कारणों से नहीं, बल्कि सरकार के रुख से नाराजगी के कारण हुआ. धनखड़ कुछ समय से आहत थे और उनकी नाराजगी कुछ लोगों तक पहुंची थी.’ विपक्षी नेताओं ने भी इस इस्तीफे को ‘अप्रत्याशित’ और ‘अकल्पनीय’ बताया है.
विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव और तनाव
विपक्षी इंडिया गठबंधन ने दिसंबर 2024 में उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, जिसमें 60 से अधिक सांसदों ने हस्ताक्षर किए. विपक्ष ने धनखड़ पर पक्षपातपूर्ण रवैये का आरोप लगाया, दावा किया कि वे विपक्षी सांसदों को बोलने का मौका नहीं देते और सत्तापक्ष को प्राथमिकता देते हैं.
विपक्षी नेताओं, जैसे शिवसेना (UBT) के आनंद दुबे और कांग्रेस के जयराम रमेश, ने इस्तीफे की टाइमिंग पर सवाल उठाए, यह कहते हुए कि ‘सिर्फ एक घंटे में ऐसा क्या हुआ?’
धनखड़ का सफर: राजस्थान से उपराष्ट्रपति तक
जगदीप धनखड़, राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव से ताल्लुक रखने वाले जाट नेता, ने 1989 में जनता दल के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता और केंद्र में मंत्री बने. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल ममता बनर्जी की TMC सरकार के साथ टकरावों के लिए चर्चित रहा. 2022 में उन्होंने 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली, मार्गरेट अल्वा को हराकर. उनके बेबाक बयानों, खासकर संसद की सर्वोच्चता और न्यायपालिका की भूमिका पर, ने उन्हें सुर्खियों में रखा.
अब कौन संभालेगा राज्यसभा?
संविधान के अनुच्छेद 89(1) के अनुसार, धनखड़ के इस्तीफे के बाद राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह कार्यवाहक सभापति के रूप में जिम्मेदारी संभालेंगे. नए उपराष्ट्रपति का चुनाव 60 दिनों के भीतर होना आवश्यक है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य एकल संक्रमणीय मत प्रणाली के तहत वोटिंग करेंगे.
नेताओं की प्रतिक्रियाएं
जयराम रमेश (कांग्रेस): ‘यह पूरी तरह अप्रत्याशित है. मैं शाम 5 बजे तक उनके साथ था. पीएम मोदी उन्हें मनाएं.’
कपिल सिब्बल (राज्यसभा सांसद): ‘मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं. उनके साथ मेरे 30-40 साल पुराने संबंध हैं.’
पप्पू यादव (पूर्व सांसद): ‘यह सामान्य इस्तीफा नहीं, बल्कि बड़ा सियासी खेल है.’
आनंद दुबे (शिवसेना UBT): ‘सत्र के पहले दिन इस्तीफा देना हैरान करता है.’
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धनखड़ के चर्चित बयान
धनखड़ अपने कार्यकाल में बयानों के लिए चर्चा में रहे. उन्होंने कहा था- ‘संसद सर्वोपरि है, कोई संस्था इससे ऊपर नहीं.’ हाल ही में उन्होंने अनुच्छेद 142 को ‘न्यूक्लियर मिसाइल’ बताकर न्यायपालिका की भूमिका पर सवाल उठाए थे. कुछ दिन पहले एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था- ‘ईश्वर ने चाहा तो मैं सही समय पर रिटायर हो जाऊंगा’, जिसे अब उनके इस्तीफे से जोड़कर देखा जा रहा है.