UP News: बारिश के पानी में फंसी मर्सिडीज, मालिक ने मांगा 10 लाख का हर्जाना, गाजियाबाद नगर निगम को भेजा लीगल नोटिस

UP News: अमित किशोर की मर्सिडीज कार साहिबाबाद से वसुंधरा मार्ग पर हुए जलभराव में फंस गई. जिसके बाद उसे क्रेन के द्वारा निकाला गया और सर्विस सेंटर ले जाया गया. जहां गाड़ी को ठीक करने का खर्च 5 लाख का बताया गया.
Mercedes

जलभराव से मर्सिडीज कार को हुआ बड़ा नुकसान

UP News: गाजियाबाद के वसुंधरा निवासी कारोबारी अमित किशोर की मर्सिडीज कार भारी बारिश के कारण साहिबाबाद से वसुंधरा मार्ग पर हुए जलभराव में फंस गई. जलस्तर बढ़ने से कार का इंजन और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम क्षतिग्रस्त हो गया. कार को क्रेन के जरिए नोएडा के ऑथराइज्ड सर्विस सेंटर ले जाया गया, जहां मरम्मत का खर्च 5 लाख रुपये बताया गया. अमित ने इस नुकसान के लिए नगर निगम की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है. फिर क्या था कार मालिक ने गाजियाबाद नगर निगम को 10 लाख का लीगल नोटिस भेजा है.

कानूनी नोटिस और मांगें

23 जुलाई को अमित किशोर की मर्सिडीज कार साहिबाबाद से वसुंधरा मार्ग पर हुए जलभराव में फंस गई. जिसके बाद उसे क्रेन के द्वारा निकाला गया और सर्विस सेंटर ले जाया गया. जहां गाड़ी को ठीक करने का खर्च 5 लाख का बताया गया. इसके बाद अमित ने अपने वकील प्रेम प्रकाश के माध्यम से नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक को कानूनी नोटिस भेजा. नोटिस में तीन प्रमुख मांगें शामिल हैं: (i)कार की मरम्मत के लिए 5 लाख रुपये का भुगतान. (ii)मानसिक तनाव और परेशानी के लिए अतिरिक्त 5 लाख रुपये का हर्जाना. (iii)इसके साथ ही साहिबाबाद, वसुंधरा और आसपास के क्षेत्रों में जल निकासी व्यवस्था में सुधार और नालियों की नियमित सफाई.

नोटिस में नगर निगम को 15 दिनों के भीतर जवाब देने और कार्रवाई करने की मांग की गई है, अन्यथा उच्च न्यायालय, लोकायुक्त और अन्य मंचों पर शिकायत दर्ज करने की चेतावनी दी गई है.

नगर निगम का जवाब

नगर निगम ने अमित किशोर के आरोपों को खारिज करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित और तथ्यहीन बताया. निगम का दावा है कि कार दिल्ली नंबर की थी और जलभराव का स्तर टायर तक भी नहीं था. उन्होंने कहा कि कार की खराबी का कारण जलभराव नहीं, बल्कि अन्य तकनीकी कारण हो सकते हैं. नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक ने निष्पक्ष जांच और उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

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कारोबारी का रुख और जनहित का मुद्दा

अमित किशोर ने इस मामले को केवल अपनी कार के नुकसान तक सीमित नहीं माना, बल्कि इसे गाजियाबाद की नागरिक व्यवस्था की विफलता और प्रशासनिक जवाबदेही का मुद्दा बताया. उन्होंने कहा- ‘जब हम टैक्स देते हैं, तो हमें सुरक्षित और स्वच्छ शहर मिलना चाहिए. यह लड़ाई पूरे गाजियाबाद के नागरिकों की है.’ उनके वकील प्रेम प्रकाश ने भी इसे जनहित का मामला बताते हुए नगर निगम की लापरवाही पर सवाल उठाए.

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