रेप केस में Prajwal Revanna को उम्रकैद, 11 लाख का जुर्माना भी, FIR दर्ज होने के 14 महीने बाद कोर्ट का आया फैसला

Prajwal Revanna: प्रज्वल रेवन्ना को 48 वर्षीय घरेलू सहायिका के साथ बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया. विशेष न्यायाधीश संतोष गजानन भट ने सजा के तौर पर आजीवन कारावास का फैसला सुनाया है.
prajwal revanna

प्रज्वल रेवन्ना

Prajwal Revanna: बेंगलुरु की विशेष अदालत ने 2 अगस्त को जनता दल (सेक्युलर) के पूर्व सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना को 48 वर्षीय घरेलू सहायिका के साथ बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया. विशेष न्यायाधीश संतोष गजानन भट ने सजा के तौर पर आजीवन कारावास का फैसला सुनाया है. फैसला सुनते ही प्रज्वल रेवन्ना कोर्ट में फूट-फूटकर रोने लगे. यह मामला 2021 में हासन और बेंगलुरु में हुई दो घटनाओं से संबंधित है, जिसमें पीड़िता ने प्रज्वल पर बलात्कार और वीडियो रिकॉर्डिंग के जरिए ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया था.

सबूतों ने पलटा मामला

विशेष जांच दल (SIT) ने 1632 पेज की चार्जशीट और 183 दस्तावेज पेश किए, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण सबूत पीड़िता की साड़ी थी. पीड़िता ने घटना के समय पहनी साड़ी को सुरक्षित रखा था, जिस पर फोरेंसिक जांच में प्रज्वल रेवन्ना का डीएनए मिला. इसके अलावा, SIT को प्रज्वल के मोबाइल से रिकॉर्ड किया गया एक वीडियो भी मिला, जिसमें पीड़िता विरोध करती और रोती हुई दिखाई दी. 113 गवाहों की गवाही और फोरेंसिक साक्ष्यों ने इस केस को मजबूत किया.

प्रज्वल रेवन्ना पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. अदालत ने कहा कि पीड़िता को 7 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा.

कैसे खुला मामला?

प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ आरोप सबसे पहले जून 2022 में सामने आए थे, लेकिन गैग ऑर्डर के कारण मामला दब गया. अप्रैल 2024 में 2,000 से ज्यादा अश्लील वीडियो लीक होने के बाद मामला सुर्खियों में आया. 26 अप्रैल 2024 को हासन लोकसभा सीट पर मतदान खत्म होने के बाद प्रज्वल जर्मनी भाग गए थे. हालांकि, SIT की चार महिला पुलिस अधिकारियों ने 31 मई 2024 को बेंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उन्हें गिरफ्तार किया.

कानूनी धाराएं और सजा

प्रज्वल रेवन्ना पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376(2)(k) और 376(2)(n) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया, जो बलात्कार के लिए न्यूनतम 10 साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान रखती हैं. इसके अलावा, धारा 354C (निजी क्षणों को बिना अनुमति रिकॉर्ड करना), धारा 506 (आपराधिक धमकी) और धारा 201 (सबूत मिटाने) के तहत भी आरोप लगे. सजा के ऐलान के साथ कोर्ट ने इसे ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ मामला करार दिया है.

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