ट्रंप का टैरिफ बम, 50% Tariff के बाद अब भारत के पास क्या हैं विकल्प? जानिए
नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप
India-US Trade: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ का बड़ा झटका दिया है, जिसका कारण रूस से तेल आयात है. यह फैसला 27 अगस्त 2025 से लागू होगा और भारतीय निर्यात, खासकर टेक्सटाइल, ज्वेलरी और फार्मास्युटिकल्स पर भारी असर डाल सकता है. भारत सरकार ने इसे ‘अनुचित’ करार देते हुए जवाबी कार्रवाई का संकेत दिया है. ऐसे में भारत के पास अब क्या विकल्प हैं और इस आर्थिक चुनौती से कैसे निपटा जा सकता है.
1. कूटनीतिक वार्ता और समझौता
भारत के पास अमेरिका के साथ कूटनीतिक बातचीत के जरिए टैरिफ के प्रभाव को कम करने का मौका है. अमेरिकी कार्यकारी आदेश की धारा 4(c) के मुताबिक, यदि भारत रूस से तेल आयात कम करता है, तो टैरिफ में छूट संभव है. भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर चल रही वार्ता को तेज करके भारत अपने हितों की रक्षा कर सकता है.
संभावित कदम
- रूस से तेल आयात में कमी या वैकल्पिक स्रोतों की तलाश.
- अमेरिका के साथ संतुलित व्यापार समझौते पर जोर, जिसमें भारतीय किसानों और MSMEs के हित सुरक्षित हों.
- हाल के यूके व्यापार समझौते जैसे मॉडल का उपयोग कर अन्य देशों के साथ गठजोड़ शामिल हैं.
2. ऊर्जा आयात में विविधता
भारत अपनी तेल जरूरतों का 85% आयात करता है, जिसमें 40% रूस से आता है. ट्रंप ने रूसी तेल आयात को टैरिफ का मुख्य कारण बताया है. भारत सऊदी अरब, यूएई, इराक और नाइजीरिया जैसे देशों से तेल आयात बढ़ाकर रूस पर निर्भरता कम कर सकता है, हालांकि इससे ऊर्जा लागत बढ़ सकती है.
संभावित कदम
- अन्य तेल निर्यातक देशों के साथ दीर्घकालिक अनुबंध.
- नवीकरणीय ऊर्जा (सौर, पवन) पर निवेश बढ़ाकर आयात निर्भरता घटाना.
- रूस से आयात को खुले बाजार में बेचने की रणनीति में पारदर्शिता बढ़ाना.
3. जवाबी टैरिफ और व्यापारिक प्रतिक्रिया
यदि कूटनीति विफल होती है, तो भारत अमेरिकी आयातों पर जवाबी टैरिफ लगा सकता है. 2019 में भारत ने अमेरिकी बादाम, सेब और स्टील पर टैरिफ लगाए थे, जो इसका उदाहरण है. यह कदम अमेरिकी उत्पादों को भारतीय बाजार में महंगा करेगा.
संभावित कदम
अमेरिकी कृषि उत्पादों (मक्का, सोयाबीन), दवाओं और तकनीकी उपकरणों पर अतिरिक्त शुल्क.
विश्व व्यापार संगठन (WTO) में अमेरिका के टैरिफ को चुनौती देना.
घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन देकर आयात पर निर्भरता कम करना.
4. निर्यात बाजारों में विविधता
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने सुझाव दिया है कि भारत को अपने निर्यात बाजारों में विविधता लानी चाहिए. यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और अन्य उभरते बाजारों के साथ व्यापार बढ़ाकर भारत अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम कर सकता है.
संभावित कदम
- यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) को तेज करना.
- ASEAN देशों और अफ्रीकी बाजारों में भारतीय उत्पादों का प्रचार.
- इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण.
5. घरेलू आर्थिक सुधार
ट्रंप का टैरिफ भारतीय छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को नुकसान पहुंचा सकता है. भारत सरकार घरेलू सुधारों के जरिए अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकती है.
संभावित कदम
- निर्यातकों को सब्सिडी और टैक्स राहत देना.
- ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देकर स्थानीय उत्पादन बढ़ाना.
- टेक्सटाइल, ज्वेलरी और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में तकनीकी उन्नति.
यह भी पढ़ें: Ladli Behna Yojana: रक्षाबंधन से पहले लाडली बहनों को बड़ी सौगात, सीएम मोहन यादव आज जारी करेंगे 27वीं किस्त
आर्थिक प्रभाव और चुनौतियां
50% टैरिफ से भारतीय निर्यात, खासकर टेक्सटाइल, ज्वेलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्युटिकल्स पर असर पड़ेगा. अमेरिका भारत का सबसे बड़ा कपड़ा और फुटवियर आयातक है, और टैरिफ से ये उत्पाद महंगे हो जाएंगे, जिससे मांग घट सकती है. गिफ्ट निफ्टी में 0.8% की गिरावट और स्टॉक मार्केट में 2% तक की संभावित गिरावट इसका संकेत है.