परमाणु धमकी से राजनीतिक बयानबाज़ी तक: देश की सुरक्षा पर सवाल कौन उठा रहा है?

भारत ने इस पर बेहद सख़्त प्रतिक्रिया देते हुए साफ़ कहा है कि “परमाणु ब्लैकमेलिंग के आगे झुकने का सवाल ही नहीं है” और देश अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर ज़रूरी कदम उठाता रहेगा.
Rashid Alvi and Asim Munir

राशिद अल्वी और आसिम मुनीर

Rashid Alvi: पाकिस्तान के आर्मी चीफ़ जनरल आसिम मुनीर का अमेरिका दौरे के दौरान दिया गया परमाणु धमकी भरा बयान भारत के लिए नया नहीं, लेकिन इस बार इसकी टाइमिंग और स्थान ने इसे काफ़ी संवेदनशील और गंभीर बना दिया है. हालांकि, भारत ने इस पर बेहद सख़्त प्रतिक्रिया देते हुए साफ़ कहा है कि “परमाणु ब्लैकमेलिंग के आगे झुकने का सवाल ही नहीं है” और देश अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर ज़रूरी कदम उठाता रहेगा. लेकिन, साथ ही साथ अमेरिकी धरती से पहली बार आई इस धमकी पर भारत ने अमेरिका को भी दो टूक लहजे में कड़ा संदेश दे दिया है. पाकिस्तान के बड़बोलेपन को भारत, हाल के दिनों में अमेरिका के साथ ट्रेड डील में आई परेशानियों की कसौटी पर रखकर देख रहा है.

दरअसल, फ्लोरिडा के टैम्पा में एक कार्यक्रम के दौरान पाक सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने कहा, “हम एक परमाणु राष्ट्र हैं. अगर हमें लगता है कि हम ख़तरे में हैं, तो हम आधे विश्व को साथ तबाह कर देंगे.” इसके अलावा मुनीर ने कश्मीर को ‘jugular vein’ बताते हुए दावा किया कि यह भारत का आंतरिक मामला नहीं है. यहां तक कि धमकी देते हुए कहा कि अगर भारत ने सिंधु नदी पर बांध बनाता है, तो पाकिस्तान उस पर 10 मिसाइल दागेगा और से नष्ट कर देगा.

भारत ने पाकिस्तान की इस धमकी को “पुरानी आदत” करार दिया है. विदेश मंत्रालय ने एक पत्र जारी कर इस बयान की निंदा की और कहा, ”इससे फिर साबित होता है कि एक ऐसे देश में जहां सेना का आतंकवादी संगठनों से गठजोड़ है, वहां परमाणु हथियारों की कमान कितनी असुरक्षित हो सकती है. विदेश मंत्रालय ने इस बात पर भी नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा कि यह बयान किसी तीसरे मित्रवत देश की धरती से दिया गया. यहाँ साफ़ तौर पर भारत ने “मित्रवत” का हवाला देकर अमेरिका की नीयत पर सवाल खड़ा किया है. भारत बिल्कुल ही सधे हुए अंदाज में पाकिस्तान को करारा जवाब दे ही रहा है, साथ ही साथ अमेरिका की दबाव बनाने वाली रणनीति की भी हवा निकाल रहा है. भारत ने साफ़ किया है कि वह किसी भी दबाव या ब्लैकमेलिंग का शिकार नहीं होने वाला.

भारतीय सेना की जवाबी पारी

पाकिस्तान की बौखलाहट की सबसे बड़ी वजह ऑपरेशन सिंदूर है, जिसमें उसे करारी शिकस्त झेलनी पड़ी. शिकस्त की बानगी उसके डिप्टी पीएम इशाक डार से लेकर भारतीय सेना के द्वारा मुहैया कराए सबूत हैं, जो लगातार पाकिस्तान और उसे हथियार सप्लाई करने वाले देशों को परेशान कर रहे हैं. आसीम मुनीर के जले पर नमक तब और लगा, जब भारतीय थन सेना प्रमुख और वायुसेना प्रमुख ने ऑपरेशन सिंदूर के सबूत एक बार फिर जनता के बीच रखा. विश्व गवाह बना कि भारत ने कैसे पाकिस्तान को घुटनों पर लाया. साथ ही साथ सीजफायर को लेकर पाकिस्तान ने कैसे पहल की, इसका भी क्रिस्टल क्लियर खुलासा किया गया. ग़ौरतलब है कि इसी सीजफायर का क्रेडिट कई बार डोनल्ड ट्रंप लेने की कोशिश करते रहे हैं, लेकिन भारतीय संसद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें दो टूक कह दिया कि भारत-पाकिस्तान के सीजफायर के लिए किसी भी तीसरे देश ने उन्हें फ़ोन नहीं किया.

पिछले दिनों वायुसेना प्रमुख एयर चीफ़ मार्शल एपी सिंह ने बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में “ऑपरेशन सिंदूर” का खुलासा करते हुए कहा, “हमने छह पाकिस्तानी सैन्य विमान मार गिराए — पांच लड़ाकू विमान और एक बड़ा एयरबोर्न सर्वेलिएंस प्लेटफॉर्म.” उन्होंने कहा कि यह भारतीय इंटरग्रेटेड एयर डिफेंस सिस्टम और स्वदेशी तकनीक की सफलता का उदाहरण है.

विदेशी बयानबाज़ी के बीच भारत की राजनीति

सेना और वायुसेना प्रमुखों के इस खुलासे के बावजूद, कांग्रेस के कुछ नेताओं ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कार्रवाई की पारदर्शिता और समयबद्ध जानकारी को लेकर सवाल उठाए हैं. सबसे पहले तो राहुल गांधी ने संसद से लेकर सड़क तक सवालों की झड़ी लगाई है. लेकिन, उनके सवाल उठाने के तरीक़ों की कांग्रेस के भीतर ही एक धड़े ने आलोचना की. हाल के दिनों में राशिद अल्वी के एक बयान पर भी घमासान छिड़ गया, जब अल्वी ने बीबीसी की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए सरकार पर निशाना साधा. इसके बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर सेना का अपमान करने का आरोप लगा दिया. बीजेपी का कहना था कि कांग्रेस को सेना प्रमुखों के दिए गए सबूत पर यक़ीन नहीं, बल्कि बीबीसी की रिपोर्ट पर है.

यह भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट से भूपेश बघेल को झटका, ED के अधिकारों को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

दरअसल, राशिद अल्वी ने दो दिन पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीबीसी की रिपोर्ट का जिक्र किया था, जिसमें सरकार के कुछ दावों पर सवाल उठाए गए थे. अल्वी ने कहा था कि सीजफायर और नुक़सान को लेकर हमारे पास जो जानकारी है, वह बीबीसी की रिपोर्ट से मेल खाती है और सरकार को इस पर जवाब देना चाहिए.

अल्वी के इस बयान पर बीजेपी ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि कांग्रेस बार-बार देश की साख और सेना की वीरता पर सवाल खड़े करती है. बीजेपी ने इसे कांग्रेस की “मानसिकता” बताया और आरोप लगाया कि विपक्षी पार्टी विदेश में बने नैरेटिव को भारत में फैलाने की कोशिश करती है. फ़िलहाल, जिस तरह से वर्ल्ड ऑर्डर में उथल-पुथल का महौल है, उसमें ताकतवर राष्ट्रों की भूमिका स्पष्ट आकार लेती नहीं दिखाई दे रही है. ऐसी परिस्थिति में भारत के भीतर आंतरिक सियासत भी काफ़ी उथल-पुथल और आरोपों से सनी नज़र आ रही है. कुल मिलाकर देश के भीतर पैदा सियासी तूफ़ान, कहीं न कहीं बाहरी ताक़तों को उंगली उठाने का मौक़ा ज़रूर दे रहा है.

ज़रूर पढ़ें