Coolie Review: रजनीकांत के भौकाल और ‘मास-मसाला’ में फिसली कहानी, आमिर खान और नागार्जुन के स्टारडम का नहीं मिला फायदा

Coolie Review: लोकेश कनगराज की राइटिंग बहुत खराब है. उन्होंने एक अच्छा मौका गवां दिया. इतनी सिंपल कहानी और ऐसा खराब ट्रीटमेंट. डायरेक्शन की तो खैर बात ही छोड़ दीजिए
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कुली मूवी रिव्यू

Coolie Review: रजनीकांत यानी देवा के दोस्त का मर्डर हो जाता है और उसकी तीन बेटियों पर खतरा है. रजनीकांत एक होटल चलाते हैं और शराब से उन्हें नफरत है. दोस्त के बारे में जानने पर वो दोस्त के कातिलों से बदला लेने निकल पड़ते हैं. कैसे ये बदला लेते हैं, वो थिएटर जाकर देखिएगा अगर आप ये फिल्म झेल पाए तो, इस फिल्म की हाइप इतनी जबरदस्त थी. सुना है इसके 4500 रुपये तक के टिकट बिक रहे थे और फिर जब ऐसा सिनेमा देखने को मिले तो गुस्सा आता है. फैंस और दर्शकों के साथ ये धोखा ही कहा जाएगा.

रजनीकांत ने की शानदार एक्टिंग

रजनीकांत ने अच्छा काम किया है लेकिन उनका कोई ऐसा अवतार नहीं दिखा जो ना देखा हो. उनका स्टाइल और स्वैग बहुत अच्छे से नहीं दिखाया गया. ऐसे रोल वो कर चुके हैं, यहां दर्शक कुछ अलग, कुछ बड़ा देखना चाहता था. सोबिन शाहिर ने ठीक काम किया है लेकिन उनका किरदार क्या कर रहा है, क्यों कर रहा है, ये ठीक से लिखा ही नहीं गया. श्रुति हासन ने बहुत खराब काम किया है. उपेंद्र बस मार काट के लिए आए हैं. एक्टिंग की गुंजाइश नहीं.

आमिर खान ने बढ़िया केमियो किया है लेकिन उनके किरदार को ठीक से फिल्म में बताया ही नहीं गया. कुल मिलाकर एक्टर्स इस खराब फिल्म को नहीं बचा सके. आमिर खान जैसे एक्टर का रोल ठीक से नहीं लिखा गया. उपेंद्र से बस मार काट के लिए केमियो करवा दिया गया. फिल्म खत्म होने का नाम ही नहीं लेती है, आप परेशान हो जाते हैं. आपको सोचना पड़ता है कि वॉर 2 ज्यादा खराब है या फिर ये.

फिल्म का म्यूजिक बढ़िया है

अनिरुद्ध ने पूरी और बहुत अच्छी कोशिश की है कि म्यूजिक से फिल्म को बचा लें लेकिन सिर्फ BGM ही ठीक लगता है लेकिन हम बीजीएम सुनने 3 घंटे थिएटर में तो नहीं जायेंगे ना, जैसे बागी 4 के टीजर में सिर्फ मारकाट होती है वैसे ही यहां होती है. हर कोई बस यहां बैकग्राउंड म्यूजिक के साथ मारने काटने आता है, कहानी का सिर-पैर नहीं समझ आता.

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खराब राइटिंग की बुनियाद पर बनी फिल्म

लोकेश कनगराज की राइटिंग बहुत खराब है. उन्होंने एक अच्छा मौका गवां दिया. इतनी सिंपल कहानी और ऐसा खराब ट्रीटमेंट. डायरेक्शन की तो खैर बात ही छोड़ दीजिए. आपको लगता ही नहीं की ये उन्हीं लोकेश की फिल्म है जिन्होंने हमें कैथी , विक्रम और लियो जैसी फिल्में दी हैं.

सब्र का इम्तिहान लेती है फिल्म

ये फिल्म आपके सब्र का इम्तिहान ले लेती है. फिल्म की कहानी काफी कमजोर है और स्क्रीनप्ले तो और खराब है. फिल्म में बस मार काट हो रही है, क्यों हो रही है, किसलिए हो रही है, कुछ समझ नहीं आता. रजनीकांत जैसे सुपरस्टार को ठीक से इस्तेमाल नहीं किया गया. उनका एंट्री सीन काफी हल्का है. रजनीकांत के फैंस जरूर देखेंगे क्योंकि फैन तो फैन होते हैं लेकिन ये एक खराब सिनेमा है. दर्शकों और फैंस के साथ नाइंसाफी है, ना कहानी है ना स्क्रीनप्ले, ना रजनीकांत का ठीक से इस्तेमाल हुआ और ना केमियो करने वाले एक्टर्स का.कुल मिलाकर रजनीकांत के कट्टर फैन हैं तो ही देखिए वर्ना नहीं OTT पर आने का इंतजार कर लीजिये.

रेटिंग-2 स्टार्स

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