Surguja: NGT की गाइडलाइन किनारे कर माफिया नदियों का चीर रहे सीना, रेत हुई महंगी लेकिन अफसर अनजान

Surguja: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में NGT की गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाते हुए नदियों में अवैध रेत खनन जारी है. अंबिकापुर-प्रतापपुर रोड स्थित महान नदी और फूलझर नदी में अवैध तरीके से रेत खनन किया जा रहा है.
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सरगुजा में रेत माफिया सक्रिय

Surguja: छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग मुख्यालय अंबिकापुर से सूरजपुर जिले के प्रतापपुर जाने वाले मुख्य मार्ग स्थित महान नदी और फुलझर नदी में इन दिनों रेत माफिया अवैध तरीके से रेत का अवैध खनन कर रहे हैं. महान नदी में तो जगह-जगह रेत का अवैध खनन किया जा रहा है.

बलरामपुर जिले से होकर गुजरने वाली महान नदी में दर्जन भर से अधिक अवैध रेत घाट संचालित हैं, जहां से हर रोज सैकड़ों ट्रैक्टर और टीपर के अलावा मिनी ट्रक से रेत की अवैध तस्करी की जा रही है. वहीं, रेत माफिया इस रेत को अंबिकापुर सहित दूसरे शहरों में ले जाकर कई गुना अधिक रेट में बेच रहे हैं, जिसकी वजह से आम लोगों का खुद का मकान बनाने का सपना भी अब कठिन हो गया है. उनका मकान बनाने का बजट गड़बड़ा गया है.

NGT ने लगाया रेत उत्खनन पर प्रतिबंध

NGT ने बरसात के दिनों में रेत के उत्खनन पर प्रतिबंध लगाकर रखा हुआ है, लेकिन इसके बाद भी सरगुजा संभाग के सूरजपुर और बलरामपुर जिले की नदियों में रेत का खनन तेजी से किया जा रहा है. जैसे ही नदियों में बरसात का पानी कम हो रहा है या नदी में बाढ़ की स्थिति नहीं दिख रही है तो रेत माफिया खनन करना शुरू कर दे रहे हैं. इसकी जानकारी खनिज विभाग के अलावा संबंधित जिला प्रशासन को भी है, लेकिन जिला प्रशासन और खनिज विभाग के अधिकारी रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई से बचते हुए दिखाई दे रहे हैं.

जिम्मेदार आंख कान बंद कर बैठे

खनिज विभाग के अधिकारी हमेशा कर्मचारियों की कमी का रोना रोते हुए दिखाई देते हैं, जबकि हर रोज अंबिकापुर प्रतापपुर मुख्य मार्ग में स्थित संभाग आयुक्त और आरटीओ दफ्तर के सामने से सैकड़ो ट्रैक्टर और दूसरे वाहनों में रेत का अवैध तरीके से परिवहन करते हुए देखा जा सकता है. कह सकते हैं कि जिम्मेदारों के नाक के नीचे पूरा खेल चल रहा है इसके बाद भी जिम्मेदार आंख कान बंद कर बैठे हुए हैं.

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अधिकारिओं ने झाड़ा पल्ला

इस पूरे मामले में सरगुजा जिले के खनिज अधिकारी त्रिवेणी देवांगन का कहना है कि उनके पास कर्मचारियों की कमी है. इसकी वजह से रेत माफिया के खिलाफ बड़ी कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ उनके द्वारा हमेशा यह भी कहा जाता है कि उन्हें रेत तस्करी की जानकारी ही नहीं है, जबकि अंबिकापुर-प्रतापपुर मुख्य मार्ग में जिला प्रशासन को खनिज बैरियर शुरू करने की जरूरत है. यहां खनिज बैरियर भी नहीं है. अंबिकापुर शहर में प्रवेश करने वाले सिर्फ दो मुख्य मार्ग में ही खनिज विभाग का बैरियर लगा हुआ है, लेकिन वहां से भी रेत और दूसरे खनिज का अवैध तरीके से परिवहन खुलेआम होता हुआ दिखाई देता है. सवाल इस बात का है कि आखिर NGT के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे रेत माफिया के खिलाफ विभाग कार्रवाई करने में खुद को इतना असहाय महसूस क्यों कर रहा है?

महंगी हुई रेत

माफिया की वजह से इन दिनों 200 घन मीटर रेट 8000 रुपए में बिक रहा है, जबकि बरसात से पहले यही रेत 4000 प्रति ट्रॉली बिक रही थी. दूसरी तरफ यह भी बड़ा सवाल है कि अंबिकापुर में इन दिनों करीब 500 से अधिक नए मकान और कमर्शियल भवनों का निर्माण किया जा रहा है और सभी जगह इसी तरीके से अवैध बालू से पूरा काम किया जा रहा है. हर रोज लोगों की जेब में लाखों रुपए का डाका डाला जा रहा है, लेकिन सभी खामोश हैं और नदियों का अस्तित्व खतरे में है.

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