ITR Filing: आईटीआर भरते समय ना करें यह गलती, नहीं तो रुक जाएगा रिफंड
आईटीआर फाइलिंग
ITR Filing: आईटीआर भरना एक बड़ी ही जरूरी काम है. जो सभी को करना होता. इस साल सरकार ने आईटीआर भरने की डेडलाइन को बढ़ाकर 15 सितंबर कर दिया है. आईटीआर भरते समय एक ज़रूरी काम करना होता है, वरना आपका ITR इनवैलिड हो सकता है और आपका रिफंड रुक सकता है. यह ज़रूरी काम है – आईटीआर का वेरिफिकेशन. आईटीआर फाइल करने के बाद, आपको 30 दिनों के अंदर ही इसे वेरिफाई करना होता है. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपका रिफंड अटक सकता है.
आईटीआर को कैसे करें वेरिफाई?
आईटीआर भरने के बाद वेरिफाई सबसे अहम कदम है. इसके बिना आपको रिफंड नहीं मिलेगा. आप अपने ITR को कई तरीकों से वेरिफाई कर सकते हैं:
आधार ओटीपी (OTP): आधार ओटीपी ITR वेरिफाई करने का सबसे आसान और तेज़ तरीका है. इसके लिए आपका मोबाइल नंबर और आधार कार्ड लिंग होना चाहिए.
नेट बैंकिंग (Net Banking): आप अपने बैंक की नेट बैंकिंग में लॉग-इन करके भी ITR वेरिफाई कर सकते हैं. इसके साथ आप बैंक अकाउंट और डीमैट अकाउंट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (DSC): कंपनियां और ऑडिट कराने वाले लोग अक्सर इस तरीके का इस्तेमाल करते हैं.
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ITR फाइल करना क्यों ज़रूरी है?
समय पर ITR फाइल करने के कई फायदे हैं:
जुर्माने से बचाव: समय सीमा के भीतर रिटर्न फाइल न करने पर करदाताओं को भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है.
रिफंड क्लेम: अगर आपने साल भर में ज़्यादा टैक्स चुकाया है, तो ITR फाइल करके ही आप रिफंड का दावा कर सकते हैं.
लोन और वीज़ा: ITR रसीदें बैंक लोन, क्रेडिट कार्ड और वीज़ा आवेदन के लिए एक ज़रूरी दस्तावेज़ के रूप में काम आती हैं.
आय का प्रमाण: यह आपकी आय का एक कानूनी प्रमाण होता है.