तीन-तीन चिट्ठियों के बाद भी राजद ने दिया BJP की ‘बी-टीम’ का तमगा, बिहार में ओवैसी की एंट्री क्यों नहीं चाहते तेजस्वी?
असदुद्दीन ओवैसी, तेजस्वी यादव
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) ने अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है. 2020 के चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने 5 सीटें जीतकर सभी को हैरान कर दिया था. हालांकि, उसके 5 से 4 विधायक टूटकर राजद खेमे में चले गए थे. फिर भी एआईएमआईएम ने आगामी चुनाव में इंडिया ब्लॉक के साथ मिलकर चुनाव लड़ने में काफी दिलचस्पी दिखाई थी. लेकिन बार-बार कोशिशों के बाद भी इंडिया ब्लॉक के दरवाजे ओवैसी की पार्टी के लिए बंद ही हैं.
तीन लेटर लिखे पर तेजस्वी ने टस से मस नहीं हुए
एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि गठबंधन के लिए तीन-तीन लेटर लिखने के बाद राजद ने हमें बीजेपी की ‘बी-टीम’ कहा. ओवैसी ने कहा कि अगर उन्हें आगामी बिहार चुनाव में 6 सीटें दी जातीं, तो उनकी पार्टी इंडिया ब्लॉक में शामिल होने को तैयार थी. ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी ने गठबंधन के लिए राजद नेतृत्व से बार-बार संपर्क किया, लेकिन उन्हें कभी सकारात्मक जवाब नहीं मिला.
एनडीटीवी से बात करते हुए ओवैसी ने कहा, “हम चुनाव लड़ेंगे. विधायक और एआईएमआईएम के बिहार प्रमुख अख्तरुल ईमान ने लालू प्रसाद यादव को दो और तेजस्वी यादव को तीसरा और आखिरी पत्र लिखा. उन्होंने लिखा कि हम 6 सीटें लेने को तैयार हैं. हमारी तरफ से ये भी कहा गया कि अगर आप सत्ता में आते हैं तो आपको हमें कोई मंत्रालय देने की भी ज़रूरत नहीं है. बस सीमांचल विकास बोर्ड बना दीजिए. हम और क्या कर सकते हैं?” लेकिन, राजद बिहार में एआईएमआईएम को एंट्री नहीं देना चाहती है.
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तेजस्वी पर भड़के ओवैसी
तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा, “वे कहते हैं कि हम (भाजपा की) बी-टीम हैं. जब उन्होंने हमारे चार विधायक ले लिए, तो कुछ नहीं हुआ. जब भाजपा ने शिवसेना के विधायकों को ले लिया, तो खूब हल्ला मचा.”
बिहार चुनाव में गठबंधन को लेकर अख्तरुल ईमान का कहना है कि एआईएमआईएम ने इंडिया ब्लॉक के सदस्यों से कई संपर्क किया. ईमान ने कहा, “हमने राजद विधायकों के ज़रिए भी संदेश भेजा, लेकिन हमें यह कहा गया कि एआईएमआईएम को इस बार चुनाव नहीं लड़ना चाहिए. इसके बावजूद हम गठबंधन के लिए तैयार हैं, उन्होंने हमारे चार विधायक तोड़ लिए, फिर भी.”
2020 में 5 सीटों पर दर्ज की थी जीत
पिछली बार के चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल इलाके की 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी. ये मुस्लिम बहुल सीटें थीं. अबकी भी ओवैसी की पार्टी दुहाई दे रही है कि मुस्लिम वोटों का बंटवारा रोकने के लिए इंडिया ब्लॉक को उनसे गठबंधन कर लेना चाहिए. लेकिन इंडिया ब्लॉक का खेमा इसके लिए तैयार ही नहीं है. सवाल ये है कि 5 सीटों पर जीत हासिल करने वाली पार्टी 6 सीटों पर लड़ने को तैयार है, उसे सरकार बनने पर मंत्री पद भी नहीं चाहिए…फिर तेजस्वी क्यों ओवैसी की पार्टी से गठबंधन करना नहीं चाहते हैं.
राजद को ओवैसी से परहेज क्यों?
ओवैसी के साथ हाथ मिलाना महज मुस्लिम वोटों को बंटने से रोकने भर का मसला नहीं है. ओवैसी की छवि ऐसी रही है कि उनकी पार्टी से हाथ मिलाने पर फायदा कम और नुकसान ज्यादा हो सकता है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो जिस तरह से ओवैसी अपनी सभाओं में आक्रामक भाषण देते हैं, उससे हिंदू वोट एकजुट हो सकते हैं, जो इंडिया ब्लॉक को बड़ी चोट देने का काम करेंगे. जानकारों का मानना है कि बिहार चुनाव में ओवैसी को साथ लिया तो बहुसंख्यक वोटर छिटक सकते हैं और इससे राजद-कांग्रेस के लिए सत्ता की डगर मुश्किल हो जाएगी.
एआईएमआईएम की छवि एक कट्टरपंथी पार्टी की रही है और ऐसे में अगर बिहार चुनाव में महागबंधन उन्हें अपने साथ लेकर आता है तो भाजपा को बड़ा मुद्दा मिल जाएगा. भाजपा पहले ही कांग्रेस और राजद पर मुस्लिम परस्ती के आरोप लगाती रही है. ऐसे में राजद-कांग्रेस फिलहाल ओवैसी से दूर ही रहना चाहेंगे.
महज इतना ही नहीं, भले ही गठबंधन में ओवैसी की पार्टी को मिले वोटों का फायदा राजद-कांग्रेस मिल जाए, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं, जो दोनों पार्टियों को बहुत नुकसान पहुंचाने वाले होंगे. अभी तक जिन मुस्लिम वोटरों का भरोसा राजद और कांग्रेस पर रहा है, भविष्य में अगर उनका भरोसा ओवैसी की पार्टी पर मजबूत हुआ तो इन दोनों दलों का एक बड़ा वोट बैंक हाथ से फिसल जाएगा और बिहार में ओवैसी का सियासी कद बढ़ जाएगा. जानकारों का मानना है कि शायद यही कुछ वजहें हैं जिनके कारण इंडिया ब्लॉक क्षणिक लाभ के लिए बड़े वोट बैंक से ‘हाथ धोना’ नहीं चाहता है.