बहुत चर्चा है: ड्रग्स और न्यूड पार्टी पर सन्नाटा क्यों?… अध्यक्ष ने जब छीन ली पूर्व विधायक से माला… कलेक्टर का हाथ भू-माफिया के साथ… जानवरों के लिए लगा दें साइन बोर्ड

Bahut Charcha Hai: छत्तीसगढ़ में इन दिनों रायपुर में ड्रग्स और न्यूड पार्टी को लेकर जमकर बवाल मचा. वहीं, कांग्रेस की तीन दिवसीय वोट अधिकार यात्रा ने भी सियासी गलियारों में हलचल मचाई. जानिए इसके अलावा और क्या- क्या बहुत चर्चा में रहा-
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बहुत चर्चा है

Bahut Charcha Hai: पिछले सप्ताह छत्तीसगढ़ में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जो बहुत चर्चा मे रहीं. चाहे रायपुर में ड्रग्स और न्यूड पार्टी का मामला हो या फिर कांग्रेस की तीन दिवसीय वोट अधिकार यात्रा का. इतना ही नहीं बाबू के तबादले से लेकर भू-माफिया के साथ कलेक्टर का हाथ होने का मामला भी सुर्खियों में रहा.

ड्रग्स और न्यूड पार्टी पर सन्नाटा क्यों?

छत्तीसगढ़ में ड्रग सप्लाई और न्यूड पार्टी को लेकर पिछले सप्ताह जमकर बवाल कटा. कुछ लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, लेकिन अचानक ये मामला ठंडा पड़ गया. आखिर इस मामले में किसी बड़े नाम पर कार्रवाई क्यों नहीं हो पाई? इसकी चर्चा राजधानी रायपुर में हो रही है. चर्चा है कि ड्रग्स मामले में दो पूर्व मंत्रियों के बेटों का नाम सामने आया है. चौंकाने वाली बात यह है कि पूर्व मंत्री कांग्रेस और BJP दोनों दलों के हैं. ऐसे में पुलिस इस हाई प्रोफाइल मामले में अचानक हाथ पीछे खींचती नजर आ रही है. ठीक ऐसा ही स्ट्रेंजर पार्टी और न्यूड पार्टी को लेकर हुआ है. बताया जा रहा है कि एक मंत्री के करीबी का हाथ न्यूड पार्टी के आयोजन में फंसता नजर आ रहा है. इस मामले में अब तक जो लोग पकड़े गए हैं, वह छोटी मछली हैं. ड्रग्स मामले में एक बिजली दुकान चलाने वाले को और न्यूड पार्टी मामले में एक किराना दुकान चलाने वाले को पकड़ा गया है. न्यूड पार्टी के मामले में मंत्री के करीबी को मास्टरमाइंड बताया जा रहा है. ऐसे में देखना होगा कि पुलिस क्या बड़े रसूखदारों पर कार्रवाई का साहस जुटा पाती है.

अध्यक्ष ने जब छीन ली पूर्व विधायक से माला

कांग्रेस की पिछले दिनों तीन दिवसीय वोट अधिकार यात्रा हुई. रायगढ़ से भिलाई तक प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट के नेतृत्व में यह यात्रा निकाली गई. यात्रा में कांग्रेस नेताओं को एकजुट करने के लिए कार्यक्रम की तस्वीरों में सबसे बड़ा चेहरा सचिन पायलट को बनाया गया, लेकिन कांग्रेस की गुटबाजी हर जगह देखने को मिली. चर्चा है कि एक युवा नेता के बड़े-बड़े पोस्टर देखकर पायलट बिफर गए. वहीं, मंच पर कुछ ऐसा हुआ कि यात्रा से ज्यादा उसकी चर्चा है. मंच पर एक जिला अध्यक्ष ने पूर्व विधायक के हाथ से माल छीन ली. जिला अध्यक्ष ने कहा कि यह माला गांधी जी को पहनाने के लिए है, आप दे दीजिए. बेचारे पूर्व विधायक खाली हाथ मंच पर टकटकी लगाकर नजर आए. वहीं, रायगढ़ में तो भाजपाई शिकायत करने पहुंच गए. पूर्व मंत्री पर आरोप लगाया कि वह अशोक चक्र पर ही बैठ गए.

जानवरों के लिए लगा दें साइन बोर्ड

पिछले दिनों मंत्रालय में रोड सेफ्टी को लेकर एक बैठक हुई. बैठक में कई मंत्री शामिल हुए. रोड पर आवारा पशुओं की समस्या पर सभी लोग अपने-अपने विचार दे रहे थे, लेकिन मंत्री जी के विचार सुनकर कुछ लोग दंग रह गए. एक मंत्री ने कहा कि सड़क पर आने वाले जानवरों को हटाने के लिए उड़न दस्ता बनाया जाए. दूसरे मंत्री ने कहा कि सड़क से हटाने के बाद भी गाय दोबारा सड़क पर आ जाती है. एक मंत्री जी, जो खुद को राष्ट्रवादी भी कहते हैं, उन्होंने कहा कि चार-पांच बार हटाएंगे तो गाय हाई-वे पर नहीं आएगी. वहां बैठे एक सदस्य ने चुटकी ली और कहा कि एक बोर्ड लगा देते हैं- यहां जानवरों का विचरण प्रतिबंधित है. चौंकाने वाली बात यह है कि प्रदेश में सड़क दुर्घटना के मामलों में 9% की वृद्धि हुई है और दुर्घटना में घायल होने वालों की संख्या में 4% का इजाफा हुआ है. उसके बावजूद मंत्री और आला अधिकारी कोई ठोस निर्णय नहीं ले पा रहे हैं.

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कलेक्टर का हाथ भू-माफिया के साथ

राजधानी रायपुर से 100 किलोमीटर दूर के एक जिले के कलेक्टरों का हाथ भू- माफिया के साथ साफ-साफ नजर आ रहा है. आरटीआई में जो दस्तावेज मिले हैं, उसमें कलेक्टरों ने आदिवासियों की जमीन को भूमाफिया के हवाले कर दिया है. एक-दो नहीं बल्कि 150 से ज्यादा आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासियों को बेची गई. नियम है कि आदिवासी के पास काम से कम 5 एकड़ जमीन बची रहनी चाहिए, लेकिन उसका पालन नहीं किया गया. जिले के दो कलेक्टरों ने इस कारनामे को अंजाम दिया और भारी भरकम रकम कमाई. बताया जा रहा है कि जिन लोगों के नाम जमीन हुई है, उसमें कुछ भाजपा नेता हैं, कुछ अधिकारी हैं और कुछ पत्रकारों के नाम भी आ रहे हैं. जिले के वर्तमान कलेक्टर को इस मामले की शिकायत की गई है. अब देखना है कि साफ-स्वच्छ छवि वाले कलेक्टर साहब क्या करते हैं.

बाबू का तबादला चर्चा में है

रायपुर से धनबाद तक बनने बनने वाली एक सड़क मुआवजा घोटाले को लेकर पिछले कई महीनों से विवादों में है. इस प्रोजेक्ट के तहत बिलासपुर के ढेका गांव में फर्जीवाड़ा आया है. रसूखदारों को लाभ पहुंचाने रातों-रात जमीन के कागज-दस्तावेज बदले गए. घोटाला होने ही वाला था कि मामला पकड़ में आ गया. डिप्टी कलेक्टर रैंक के अधिकारियों का नाम आया. फिर क्या था… लग गए आला अधिकारी उन्हें बचाने में! बिलासपुर में जमीन घोटाले में पहले भी इस अधिकारी का नाम दूर तक चर्चा में रहा है. लिहाजा अब इस पूरे मामले में करोड़ों की गड़बड़ी की जिम्मेदारी उस मृतक पटवारी के कंधे में डालने की तैयारी है, जिसका नाम आने पर पटवारी ने सुसाइड कर लिया था. इसको लेकर कलेक्ट्रेट में एक फाइल तैयार करनी थी और सेक्शन के बाबू का दस्तखत होना था. बाबू ने जिले के सबसे बड़े अधिकारी को मना कर दिया कि दस्तखत नहीं करुंगा… फिर क्या बाबू का तबादला और आरोप… साहब अपने चहते अधिकारियों को बचाने के लिए खेल कर रहे हैं.

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