भारत के इस राज्य में हिंदी गाने, मूवी और होर्डिंग्स पर लगने जा रहा बैन! सरकार विधानसभा में पेश करेगी बिल
तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन
Ban on Hindi Songs Movies And Hoardings: दक्षिण राज्य तमिलनाडु में हिंदी पर जल्द ही प्रतिबंध लग सकता है. यहां CM एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK) सरकार ने राज्य में हिंदी भाषा के इस्तेमाल करने, हिंदी गाने, मूवी और होर्डिंग्स पर बैन लगाने की तैयारी की है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हिंदी पर बैन लगाने वाला बिल बुधवार को विधानसभा में पेश किया जा सकता है. बताया जा रहा है कि इस विधेयक का उद्देश्य राज्य में हिंदी के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाना है.
हिंदी गाने, मूवी और होर्डिंग्स पर बैन!
सूत्रों के मुताबिक तमिलनाडु सरकार के इस विधेयक का उद्देश्य राज्य में हिंदी के बोर्ड, होर्डिंग्स, फिल्में और गानों पर प्रतिबंध लगाना है. इस प्रस्तावित विधेयक को लेकर मंगलवार रात को सरकार ने विशेषज्ञों के साथ एक बैठक कर चर्चा की. वहीं, अधिकारियों का कहना है कि ये विधेयक संविधान के अनुरूप होगा.
तमिल भाषा और संस्कृति की रक्षा
माना जा रहा था कि बुधवार को तमिलनाडु सरकार विधानसभा में हिंदी के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक विधेयक पेश कर सकती है. इस विधेयक में हिंदी गानों, फिल्मों और होर्डिंग्स पर रोक लगाने का प्रस्ताव है. वहीं, सूत्रों के मुताबिक इस विधेयक को लेकर तमिलनाडु सरकार का कहना है कि ये कदम तमिल भाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए जरूरी है. यह संविधान के अनुच्छेद 343-351 के तहत अंग्रेजी को सह-आधिकारिक भाषा के रूप में बनाए रखेगा.
राजनीति हुई तेज
इस विधेयक को लेकर DMK के वरिष्ठ नेता टीकेएस एलंगोवन ने कहा- ‘हम संविधान के खिलाफ कुछ नहीं करेंगे. हम उसका पालन करेंगे. हम हिंदी थोपे जाने के खिलाफ हैं.’ वहीं, BJP ने इसकी आलोचना की है. BJP नेता विनोज सेल्वम ने कहा कि भाषा का इस्तेमाल राजनीतिक उपकरण के रूप में नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि DMK विवादास्पद फॉक्सकॉन निवेश मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए भाषा संबंधी बहस का इस्तेमाल कर रही है.
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बता दें कि इसी साल मार्च में तमिलनाडु में स्टालिन सरकार ने 2025-26 के राज्य बजट लोगों में राष्ट्रीय रुपए के प्रतीक चिह्न (₹) को तमिल अक्षर ‘ரூ’ (ru) से बदल दिया. इस पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और BJP नेताओं ने जमकर आलोचना की थी, लेकिन DMK ने इसे तमिल संस्कृति को सम्मान देने का कदम बताया था.