बिहार चुनाव में तैयार हो रही ‘ध्रुवीकरण’ की पिच? जानिए तेजस्वी क्यों उछाल रहे वक्फ कानून का मुद्दा
तेजस्वी यादव (पूर्व टिप्टी सीएम बिहार)
Bihar Election 2025: बिहार चुनाव के लिए जारी प्रचार जोरों पर है और तमाम राजनीतिक दल अपने-अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं. बिहार में दो चरणों में मतदान होने हैं और ऐसे में 6 नवंबर को होने वाले मतदान से पहले कई मुद्दों को राजनीतिक दलों ने उठाया है. लेकिन पिछले कुछ दिनों के चुनाव प्रचार पर नजर डालें तो यहां ‘ध्रुवीकरण’ की पिच तैयार होती नजर आ रही है. चुनाव प्रचार में अचानक बुर्का से लेकर वक्फ कानून को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है.
पिछले दिनों, राजद एमएलसी कारी शोएब ने एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में सरकार बनी, तो वक्फ कानून समेत सारे बिल फाड़ दिए जाएंगे. तेजस्वी की मौजूदगी में कारी शोएब ने कहा कि भाजपा क्या कर रही है, उसमें नहीं जाना है. जो लोग वक्फ बिल का समर्थन कर रहे हैं उनका इलाज करना है. राजद एमएलसी के इस बयान पर अभी भाजपा हमलावर ही थी, कि तेजस्वी यादव ने भी वक्फ कानून को लेकर बड़ा अपनी पार्टी के एमएलसी के सुर में सुर मिला दिया. तेजस्वी ने एक चुनावी रैली में कहा कि अगर महागठबंधन की सरकार आई तो वक्फ कानून को कूड़ेदान में डाल देंगे.
तेजस्वी ने वक्फ कानून का उठाया मुद्दा
ये अलग बात है कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद भी तेजस्वी वक्फ कानून को खत्म नहीं कर पाएंगे. ये तेजस्वी भी बखूबी समझते हैं. लेकिन, ऐसे में चुनावी मंच से तेजस्वी ने वक्फ कानून कूड़ेदान में डालने की बात क्यों की? बिहार चुनाव के दौरान तेजस्वी के दिए गए बयान के मायने समझने की जरूरत है. दरअसल, राजद और तेजस्वी यादव पर आरोप लगते रहे हैं कि वे मुस्लिमों का वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल करते रहे हैं और मुस्लिम बहुल सीटों पर भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारते हैं.
वहीं असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM का आरोप है कि 14 फीसदी आबादी वाले यादव वर्ग से सीएम फेस (तेजस्वी), 4-5 फीसदी आबादी वाले वर्ग से डिप्टी सीएम फेस (मुकेश सहनी)…लेकिन 18 फीसदी आबादी वाला मुस्लिम समुदाय क्या केवल राजद के लिए दरी बिछाता रहेगा?
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क्या है तेजस्वी की रणनीति?
तेजस्वी इस चुनाव में वक्फ कानून का मुद्दा उठाकर एक तीर से कई निशाना लगाने की कोशिश कर रहे हैं. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि तेजस्वी मुस्लिम समुदाय को संदेश देना चाहते हैं कि यह समुदाय केवल प्रतीकात्मक तौर पर ही राजद के साथ के साथ नहीं है और पार्टी इन्हें निर्णायक वोटर मानती है. तेजस्वी मुस्लिम समुदाय के बीच ये संदेश देना चाहते हैं कि केंद्र द्वारा लाया गया वक्फ कानून उनको प्रभावित करेगा. हालांकि, बीजेपी समेत तमाम एनडीए के घटक दलों का कहना है कि वक्फ कानून पिछड़े मुसलमानों और महिलाओं के लिए पारदर्शिता और सशक्तीकरण का माध्यम है. लेकिन विपक्ष इसका विरोध करता रहा है.
ओवैसी ने दी तेजस्वी को टेंशन
वक्फ कानून के मुद्दे को बिहार चुनाव में उठाने के पीछे तेजस्वी की एक और रणनीति हो सकती है. सदन में असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ की प्रति फाड़कर इस कानून का विरोध जताया था और बिहार चुनाव में भी ओवैसी मुस्लिम बहुल सीटों पर दम भरते नजर आ रहे हैं. ओवैसी बार-बार कहते हैं कि 18 फीसदी आबादी वाले इस समुदाय को प्रतिनिधित्व क्यों नहीं मिल रहा है.
जानकारों का कहना है कि ओवैसी की बढ़ती सक्रियता ने तेजस्वी को टेंशन दे दी है और यही वजह है कि वे वक्फ कानून पर मुस्लिम समुदाय को अपने पाले में करने की कोशिश करने लगे हैं. हालांकि तेजस्वी की यह कोशिश वोट में बदलती है या केवल बयानों तक ही सीमित रह जाती है, ये तो नतीजों के बाद ही पता चलेगा.
मुस्लिम डिप्टी सीएम फेस पर घमासान
बिहार में ‘ध्रुवीकरण’ के केंद्र में मुस्लिम यूं ही नहीं आते दिखाई दे रहे हैं. ओवैसी ने महागठबंधन पर सवाल उठाया कि मुस्लिम डिप्टी सीएम उम्मीदवार क्यों नहीं दिया गया, जबकि बिहार में 18 फीसदी मुस्लिम आबादी है. इस पर एक इंटरव्यू में तेजस्वी ने कहा अशोक गहलोत ने कहा था कि महागठबंधन में और भी डिप्टी सीएम उम्मीदवार होंगे. इंतजार कीजिए, यह किसी भी समुदाय से हो सकता है. तेजस्वी के इस बयान के बाद लगता है कि महागठबंधन पर मुस्लिम डिप्टी सीएम उम्मीदवार देने का भी ‘प्रेशर’ है. सांसद पप्पू यादव पहले ही किशनगंज में ऐसा ही वादा कर चुके हैं.
फिलहाल, बिहार में चुनाव प्रचार का आगाज भले ही वोटर लिस्ट में गड़बड़ी, युवाओं को नौकरी, महिलाओं को सशक्त करने वाली योजनाएं शुरू करने के वादे, भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों से हुआ हो…लेकिन अब यहां ‘ध्रुवीकरण’ की पिच तैयार होती दिख रही है और इसके सेंटर में मुस्लिम नजर आ रहे हैं.