बिहार विधानसभा चुनावों में महिलाओं ने झार के वोट दिया, लेकिन महिला मंत्रियों की संख्या उम्मीद से कम

Bihar Cabinet: फिर से नीतीशे कुमार, बिहार की सियासत में नीतीश कुमार एक अटल राजनीतिक तथ्य, सत्य और समीकरण बनकर चिरायु हो चुके हैं.
Shreyasi Singh

श्रेयसी सिंह

Bihar Cabinet: फिर से नीतीशे कुमार, बिहार की सियासत में नीतीश कुमार एक अटल राजनीतिक तथ्य, सत्य और समीकरण बनकर चिरायु हो चुके हैं. पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में नीतीश कुमार ने रिकॉर्ड 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. नीतीश कुमार के साथ 26 और कैबिनेट और राज्यमंत्रियों ने शपथ ली. इन मंत्रियों में तीन महिलाएं भी शामिल हैं. साथ ही साथ एक मुस्लिम विधायक को भी कैबिनेट में शामिल किया गया है. लेकिन, वर्तमान में महिलाओं की कैबिनेट में संख्या जानकारों के गले नहीं उतर रही.

बिहार विधानसभा चुनाव में महिलाओं जमकर वोटिंग की. इनमें से ज़्यादातर प्रतिशत नीतीश की तरफ़ ही रहा. यानी नीतीश कुमार के ऊपर महिलाओं का विश्वास बना, तो उनकी कैबिनेट में महिला मंत्रियों की संख्या और रुतबा बढ़ने का अनुमान लाज़मी था. लेकिन, वर्तमान कैबिनेट में महिला मंत्रियों की संख्या उम्मीद से कम है. नीतीश कैबिनेट में लेशी सिंह, श्रेयसी सिंह और रमा निषाद को शामिल किया गया है. इनमें से श्रेयसी सिंह और रमा निषाद बीजेपी की विधायक हैं. वहीं लेशी सिंह जेडीयू की विधायक हैं. दरअसल, एनडीए को महिलाओं ने जिस तरह से समर्थन दिया है, उसे देखते हुए इस संख्या को काफी कम माना जा रहा है.

राजनीतिक विश्वलेषकों का कहना है कि नीतीश मंत्रिमंडल में और महिलाओं को शामिल किया जाना चाहिए था. उन्हें उम्मीद है कि मंत्रिमंडल विस्तार में और महिलाओं को जगह दी जा सकती है. क्योंकि नीतीश कैबिनेट में अभी भी 10 से अधिक मंत्रियों की जगह खाली है. 

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ग़ौरतलब है कि बिहार में मतदान के दौरान महिलाएं पुरुषों से अधिक बड़ी भूमिका निभाती हैं. राज्य में 2010 के विधानसभा चुनाव से लेकर इस साल तक के चुनाव में मतदान में महिलाएं पुरुषों से बाजी मारती नजर आई हैं. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2010 में महिलाओं और पुरुषों के मतदान के बीच तीन फीसदी का अंतर था. यह अंतर 2015 में बढ़कर सात फीसदी और 2020 में कम होकर पांच फीसदी रह गया. लेकिन यह 2025 में एक बार बढ़कर करीब नौ फीसदी हो गया है. माना जा रहा है कि इस वोटिंग प्रतिशत में बड़ी छलांग के पीछे जीविका दीदियों का बड़ा हाथ है. जीविका दीदियों के खाते में पहुँची 10 हज़ार रुपये की आर्थिक मदद ने माहौल को और नीतीश के फ़ेवर में कर दिया.

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बिहार में एडीए की जीत में भी 10 हजारी योजना का बड़ा हाथ बताया जा रहा है. इसके अलावा शराबबंदी और स्कूली छात्राओं को दी जाने वाली मुफ्त साइकिल योजना का भी हाथ माना जाता है. लेकिन महिलाओं के बढ़ चढकर वोट देने के बाद भी विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या बहुत अधिक नहीं बदलती है. वर्तमान विधानसभा में अब कुल 29 महिलाएं ही जीतकर आई हैं.

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