Surguja: देश के पहले राष्ट्रपति ने इस लड़के का रखा था नाम, लेकिन वादा नहीं हुआ पूरा, अब द्रौपदी मुर्मू से की मुलाकात
बसंत लाल
Surguja News: अविभाजित मध्य प्रदेश के समय सरगुजा जिले में आजादी के ठीक 5 साल बाद 22 नवंबर 1952 को पंडो नगर में देश के पहले राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद का आगमन हुआ था. तब उन्होंने बेहद नजदीक से जनजाति के लोगों के दर्द जाना था. उस समय तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने पंडो नगर में रहने वाले 6 साल के बच्चे गालू से मुलाकात की थी. उन्हें यह नाम ठीक नहीं लगा तो उन्होंने गालू का नाम बसंत लाल रखा. अब बसंत 78 साल के हैं. बसंत का कहना है कि उस समय राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि आज से सभी पंडो जनजाति के लोग उनके दत्तक पुत्र होंगे. सभी का पक्का मकान बनेगा, लेकिन खुद बसंत का पक्का मकान आज तक नहीं बन सका है. बसंत ने पिछले दिनों अंबिकापुर पहुंची राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से इसे लेकर मुलाकात भी की.
विस्तार न्यूज से बातचीत करते हुए बसंत लाल ने बताया कि जब वह 6 साल का थे तब उनके गांव देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद पहुंचे हुए थे. उसे समय इतनी गरीबी थी कि उनके शरीर में एक भी कपड़ा नहीं था. इसके बाद डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें हाफ पैंट और शर्ट पहनाया था. इसके साथ ही साथ उन्होंने गोलू से नाम बदलकर बसंत लाल रखा था. बसंत लाल ने बताया कि तब कहा गया था कि सभी पंडो जनजाति के लोगों का पक्का मकान बनेगा, लेकिन आज तक उनका खुद का पक्का मकान नहीं बन पाया है.
22 नवंबर 1952 को आए थे देश के पहले राष्ट्रपति
देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद 22 नवंबर 1952 को ही पंडो नगर पहुंचे थे. इसी दौरान उन्होंने इस जनजाति के लोगों को राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र का दर्जा दिया था क्योंकि उन्होंने पंडित जनजाति के लोगों की गरीबी को अपने आंख से देखा था. इतना ही नहीं पंडो नगर में ही 22 नवंबर की पूरी रात बिताई थी. तब गांव में पंडो जनजाति के लोगों ने राष्ट्रपति के ठहरने के लिए एक झोपड़ी नुमा कमरे का निर्माण किया था.
राष्ट्रपति मुर्मू को दिया आवेदन
बसंत लाल ने बताया कि उन्होंने 5वीं तक पढ़ाई की है. पिछले दिनों अंबिकापुर में जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पहुंची थी तब उन्हें इसी वजह से बुलाया गया कि वह देश के पहले राष्ट्रपति से मिल चुके हैं. उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने के लिए जब वह गांव से अंबिकापुर पहुंचे तब कलेक्टर ने उन्हें कोट, धोती और गमछा दिया. उसी कोट को पहनकर उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की. इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से करीब उनकी 1 मिनट की बातचीत हुई. समय कम होने के कारण उन्होंने राष्ट्रपति को एक आवेदन दिया, जिसमें उन्होंने मांग कि है कि पंडो जनजाति के लोगों को जमीन का पट्टा दिया जाए क्योंकि कई दशक बीत जाने के बाद भी अब तक पंडो जनजाति के लोगों को जमीन का पट्टा नहीं मिला है.
बसंत लाल का कहना है कि सरकार पंडो जनजाति के विकास के लिए लगातार करोड़ों रुपए हर साल खर्च कर रही है, लेकिन इसके बावजूद जनजाति के लोगों के हक के लिए आने वाले रुपए में भ्रष्टाचार किया जा रहा है. उनका कहना है कि सरकार वहां से 1 रुपए भेजती है तो यहां मात्र उन्हें 25 पैसा ही मिल पा रहा है यानी 75 प्रतिशत का अब भी भ्रष्टाचार किया जा रहा है. बसंत बताते हैं कि 5 साल पहले मुर्गी पालन के लिए उनके गांव में उनकी जनजाति के लोगों के घरों में मुर्गी शेड बनाए गए और उन्हें पालने के लिए मुर्गी भी दी गई. लेकिन मुर्गी कुछ दिनों बाद ही मर गई, जिसमें सरकार ने लाखों रुपए खर्च किया और अब मुर्गी शेड कबाड़ हो रहे हैं.