Ethiopia Volcano: क्या आपके शहर पर गिरेगी ज्वालामुखी की राख? AQI पर दिखेगा भयंकर असर, IMD ने किया अलर्ट
भारत के शहरों में गिरेगी ज्वालामुखी की राख
Ethiopia Volcano Ash Pollution: इथियोपिया के अफार क्षेत्र में स्थित हायली गुबी शील्ड ज्वालामुखी 12 हजार साल बाद अचानक 23 नवंबर 2025 को फट गया. इस विस्फोट से निकलने वाली राख और सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) का प्रदूषण देश के कुछ हिस्सों में हवा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है. वहीं अब यह राख भारत की ओर बढ़ रही है, जिसके लिए भारतीय मौसम विज्ञान एजेंसी इंडियामेटस्काई ने सोमवार (24 नवंबर 2025) देर रात अपने आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल पर अलर्ट जारी किया है.
क्या AQI होगा प्रभावित ?
इंडियामेटस्काई के अपडेट के अनुसार, विस्फोट से निकलने वाली राख का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) पर कोई ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि यह वायुमंडल के मिड-लेवल एटमॉस्फियर पर है और जमीन की सतह तक नहीं पहुंच रहा है. वहीं विभाग ने बताया कि सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) का प्रभाव देखने को मिल सकता है. यह नेपाल की पहाड़ियां, हिमालयी क्षेत्र और उत्तर प्रदेश का तराई बेल्ट (गोरखपुर, बहराइच, लखीमपुर खीरी ) होते हुए चीन की तरफ चला जाएगा.
भारत के इन शहरों में होगा ऐशफॉल
भारतीय मौसम विज्ञान एजेंसी ने बताया कि भारत के मैदानी इलाके दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के बड़े हिस्सों में ऐशफॉल (राख का गिरना) की संभावना बहुत कम है. इसके अलावा यह अनुमान लगाया जा रहा है कि राख के हल्के-फुल्के पार्टिक्लस कुछ मैदानी क्षेत्रों में गिर सकते हैं. वहीं ज्वालामुखीय राख (volcanic ash) के गिरने से हवाई यात्रा प्रभावित हो सकती है. क्योंकि जब ज्वालामुखी फटते हैं, तो निकलने वाली ज्वालामुखीय राख विमान के इंजन को नुकसान पहुंचाती है, इसलिए सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उड़ानों को या तो रद्द कर दिया जाता है, या देरी से चलाया जाता है, अथवा उनके रूट बदल दिए जाते हैं.
ऐशफॉल की स्थिति कुछ दिनों तक बनी रहेगी
इंडियामेटस्काई ने स्पष्ट किया है कि ऐशफॉल कि यह स्थिति कुछ दिनों तक बनी रह सकती है, लेकिन प्रदूषण पर इसका ज्यादा प्रभाव नहीं होगा. वहीं दिल्ली-एनसीआर जैसे घनी आबादी वाले मैदानी इलाकों में सांस की तकलीफ या आंखों में जलन जैसे लक्षण आम लोगों को नहीं होंगे. क्योंकि प्लम ऊपरी वायुमंडल में है और SO2 का अधिकांश हिस्सा हिमालयी क्षेत्रों में ही नीचे आएगा. लेकिन पहाड़ी इलाकों में रहने वाले अस्थमा, सीओपीडी मरीजों को सावधानी बरतने की जरूरत है.