मैनपाट में तनाव! जनसुनवाई से पहले बॉक्साइट खदान का विरोध हुआ शुरू, लोगों ने पंडाल उखाड़कर फेंका

CG News: छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले मैनपाट में एक बार फिर से नया बॉक्साइट का खदान खुलने वाला है. इसको लेकर आज जनसुनवाई का आयोजन किया गया है लेकिन जनसुनवाई शुरू होने से पहले ही लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया है.
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मैनपाट में जनसुनवाई से पहले बॉक्साइट खदान का विरोध शुरू

CG News: छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले मैनपाट में एक बार फिर से नया बॉक्साइट का खदान खुलने वाला है. इसको लेकर आज जनसुनवाई का आयोजन किया गया है लेकिन जनसुनवाई शुरू होने से पहले ही लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया है. स्थानीय लोगों ने यहां पर जनसुनवाई के लिए लगाए गए टेंट पंडाल को ही उजाड़ दिया और जमकर विरोध दर्ज कराया. इस दौरान क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य रतनी नाग और अन्य जनप्रतिनिधियों ने कहा कि यहां पर बॉक्साइट खदान नहीं खोलने देंगे.

बॉक्साइट खदान को लेकर मैनपाट में तनाव

मैनपाट के नर्मदापुर क्षेत्र में आने वाले हाथी प्रभावित इलाका कड़राजा में बॉक्साइट खदान खोलने का प्रस्ताव तैयार किया गया है. यहां पर मां कुदरगढ़ी एलमुना कंपनी के द्वारा बॉक्साइट खनन के लिए पूरी प्रक्रिया कराई जा रही है. करीब 130 हेक्टेयर में बॉक्साइट खदान खोला जाएगा, जिसमें करीब 10 हेक्टेयर से अधिक निजी जमीन भी शामिल है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि मैनपाट में पिछले तीन दशक से बॉक्साइट खनन किया जा रहा है. इसकी वजह से मैनपाट का पर्यावरण बुरी तरीके से प्रभावित हुआ है.

यहां का तापमान जहां अधिक हुआ है वहीं दूसरी तरफ यहां का जलस्तर भी नीचे जा रहा है. यही वजह है कि वह बॉक्साइट खदान खोलने का विरोध कर रहे हैं. उनका यह भी कहना है कि बॉक्साइट खदान की वजह से लोगों की जिंदगी में भी कोई खास बदलाव नहीं आया है. लोग आज भी गरीबी और सामाजिक तौर पर पिछड़े हुए हैं. शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं अब तक उनके इलाके में नहीं पहुंच सकी है जबकि यहां से कई अरब रुपए का बॉक्साइट अलग-अलग कंपनियों ने पिछले तीन दशक में खनन किया है और सरकार को करोड़ रुपए का राजस्व भी मिला है. बावजूद मैनपाट आज भी पिछड़ा हुआ है.

लोगों ने पंडाल उखाड़कर फेंका

दूसरी तरफ इस नए बॉक्साइट खदान का आयोजन सुनवाई शुरू होने से पहले ही कई दिनों से लोग विरोध दर्ज कर रहे थे लोगों का कहना है कि वह किसी भी हाल में यहां अब दूसरा कोई भी खदान नहीं खोलना देंगे. इससे उनकी जिंदगी में कोई बदलाव नहीं आ रहा है उन्हें सिर्फ ऐसे खदानों में मजदूरी करने के लिए ही रखा जाता है और वहां भी पर्याप्त मजदूरी नहीं मिलता है. मजदूरी पाने के लिए लोगों को हक की लड़ाई लड़नी पड़ती है. हैरानी की बात तो यह है कि एक तरफ मैनपाट में जहां खनन की प्रक्रियाएं चल रही है तो दूसरी तरफ यहां पर्यटन को बढ़ाने के लिए भी दावे किए जा रहे हैं लेकिन लगातार मैनपाट का पर्यावरण संतुलन बिगड़ने की वजह से यहां का पर्यटन भी खतरे में दिखाई दे रहा है.

इस बात की चर्चा जोरों पर चल रही है कि आज जनसुनवाई शुरू होने से पहले ही रात में खनन कंपनी के लोगों के द्वारा माझी जनजाति परिवार के लोगों को शराब, मुर्गा और बकरा परोसा गया है ताकि वे नशे में रहे और जनसुनवाई में न पहुंच सके. जनसुनवाई में पहुंचने पर विरोध दर्ज करा सकते हैं और यही वजह है कि गैर कानूनी तरीके से ऐसे हथकंडे भी यहां पर अपनाया गया है.

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दूसरी तरफ प्रशासनिक अधिकारी यहां हर हाल में जनसुनवाई कराने के लिए अड़े हुए हैं. जैसा कि आमतौर पर खनन कंपनियों के पक्ष में प्रशासनिक अधिकारी दिखाई देते हैं, ठीक उसी तरीके से आज भी यहां वैसा ही माहौल है तो दूसरी तरफ लोगों का गुस्सा भी साफ दिख रहा है. ऐसे में आने वाले दिनों में संघर्ष की स्थिति बन सकती है.

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