ट्रंप प्रशासन की सख्त वीजा नीति से अमेरिकी कंपनियां परेशान, भारत में फंसे कर्मचारियों को वापस लाने में कठिनाइयां
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप(File Photo)
Trump administration on Visa Policy: अमेरिकी कंपनियों के लिए ट्रंप प्रशासन की वीजा नीतियां परेशानी का सबब बन गई हैं. अमेरिकी कंपनियां अपनी बिजनेस (business) जरूरतों के लिए भारतीय कर्मचारियों को वापस अमेरिका लाने की कोशिश कर रही हैं. ट्रंप प्रशासन की नई और कड़ी वीजा (visa) जांच और स्टैम्पिंग (stamping) प्रक्रिया के कारण उन्हें अपॉइंटमेंट में लंबी देरी हो रही है. इससे कंपनियों के प्रोजेक्ट प्लानिंग और वर्कफोर्स मैनेजमेंट पर असर पड़ा है.
वीजा आवेदकों की सोशल मीडिया प्रोफाइल की कड़ी जांच
ट्रंप प्रशासन ने 15 दिसंबर से वीजा आवेदकों की सोशल मीडिया (social media) प्रोफाइल पर कड़ी जांच शुरू कर दी है. इसके कारण कई वीजा इंटरव्यू (visa interview) अगले साल मार्च से जून तक के लिए टाल दिए गए हैं.
इस बदलाव के कारण जो कर्मचारी भारत आए हैं, उन्हें वापस अमेरिका जाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. इससे कंपनियों को अपने वर्कफोर्स में अस्थिरता का सामना करना पड़ रहा है. अमेरिकी कंपनियों ने इस समस्या को हल करने के लिए इमिग्रेशन सलाहकारों से मदद लेने की कोशिश की है, ताकि स्टैम्पिंग के लिए जल्दी इंटरव्यू का समय मिल सके.
कई कंपनियों ने भारत से ही काम करने की परमिशन दी
कई कंपनियों ने जो कर्मचारी भारत आने के बाद अमेरिका नहीं आ पा रहे हैं, उन्हें भारत से ही रिमोट (remote) काम करने की परमिशन दे दी है. जब तक कि उनके पासपोर्ट पर वीजा स्टैम्प दोबारा नहीं लग जाता वो भारत से ही काम करेंगे. वहीं, जिन कर्मचारियों के पास वर्तमान वीजा की समाप्ति तिथि निकट थी, उन्हें तुरंत अमेरिका लौटने के लिए कहा गया है ताकि भविष्य में आने वाली परेशानी से बचा जा सके. कुछ कंपनियां तो अपने कर्मचारियों को यात्रा ना करने की सलाह दे रही हैं क्योंकि वीजा के बिना अमेरिका वापस प्रवेश मुश्किल हो सकता है.
कर्मचारियों और कंपनियों दोनों को चिंता
जानकार मानते हैं कि वीजा को लेकर हो रही इस देरी का असर टेक्नोलॉजी (technology) और अन्य सेक्टरों में कंपनियों पर पड़ रहा है. इसका असर कंपनियों की कार्य क्षमता, प्रोजेक्ट डिलीवरी और क्लाइंट कमिटमेंट्स पर पड़ रहा है. कई कंपनियों का कहना है कि भारतीय पेशेवर उनके प्रोजेक्ट कार्यों में अहम भूमिका निभाते हैं और उनके बिना कार्यों में देरी हो रही है. इसी वजह से कंपनियां प्रशासन पर दबाव बना रही हैं कि वीजा नियमों में ढील दी जाए ताकि आवश्यक कर्मचारियों की आवाजाही सुचारु रूप से हो सके.
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