तमनार में पुलिस और ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़प, CM साय बोले- घटना की होगी जांच, दोषियों पर की जाएगी कार्रवाई

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के आदिवासी क्षेत्र तमनार में JPC कोल माइन को लेकर ग्रामीणों का प्रदर्शन जारी है. वहीं शनिवार को पुलिस और ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़प हो गई. अब इस मामले पर CM विष्णु देव साय का बयान सामने आया है. उन्होंने ने इस घटना की जांच की बात की है.
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CM विष्णु देव साय

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के आदिवासी क्षेत्र तमनार में JPC कोल माइन को लेकर ग्रामीणों का प्रदर्शन जारी है. वहीं शनिवार को पुलिस और ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़प हो गई. जिसके बाद सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद रखने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है. अब इस मामले पर CM विष्णु देव साय का बयान सामने आया है. उन्होंने ने इस घटना की जांच की बात की है.

दोषियों पर की जाएगी कार्रवाई – CM साय

CM साय ने शनिवार को तमनार में पुलिस और ग्रामीणों के बीच हुए हिंसक झड़प को लेकर कहा – इस घटना की जांच होगी, जो भी दोषी पाए जाएंगे. उन पर कार्रवाई की जाएगी.

पुलिस और ग्रामीणों के बीच हुई थी हिंसक झड़प

दरअसल, सेक्टर-1 कोल ब्लॉक के अंतर्गत 14 गांव के ग्रामीण धरने पर बैठे हैं. शनिवार को करीब 300 लोगों की भीड़ में से कुछ लोग यातायात को बाधित कर रहे थे. सुबह करीब 10 बजे अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व अनुविभागीय अधिकारी, एडिशनल पुलिस अधीक्षक के द्वारा लोगों को समझा-बुझाकर वापस उन्हें धरनास्थल पर भेज दिया गया.

धरनास्थल पर धीरे-धीरे प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ने लगे, संख्या करीब 1000 तक पहुंच गई. पुलिस प्रशासन ने समय-समय पर भीड़ को नियंत्रित करने का प्रयास किया. इसके बाद भीड़ बेकाबू हो गई और पत्थरबाजी करने लगी. पुलिस और सरकारी वाहनों में आग लगा दी.

कई पुलिसकर्मी हुए घायल

तमनार थाना क्षेत्र में कोल माइन को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन ने शनिवार को हिंसक रूप ले लिया. ग्राम लिबरा में CHP चौक में उग्र भीड़ ने पथराव किया. इस पत्थरबाजी में SDOP और टीआई समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए.

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ग्रामीण क्यों कर रहे हैं प्रदर्शन?

तमनार तहसील के धौराभाठा गांव में जिंदल कंपनी की गारे-पेलमा सेक्टर-1 कोल माइन प्रोजेक्ट को लेकर प्रस्तावित जनसुनवाई को लेकर प्रदर्शन हो रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि इससे उनके जंगल, जल और जमीन को इससे नुकसान होगा. ग्रामीणों का कहना है कि वे पिछले 6 महीनों से संघर्ष कर रहे हैं. 8 दिसंबर को जनसुनवाई को चुपचाप किसी अन्य स्थान पर आयोजित कर दिया गया.

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