International Women’s Day: भारत की राजनीति में दिख रही महिलाओं की धाक, लेकिन कई छोटे देशों के मुकाबले काफी पीछे, विधानसभा में संख्या बहुत कम
International Women’s Day: पूरे दुनिया में शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस बनाया जा रहा है. भारत में आजादी के बाद से ही महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ती गई है. अब महिलाएं राजनीति में भी अपना दबदबा दिखाने लगी हैं. देश के विभिन्न राजनीतिक दलों के अलावा देश के राष्ट्रपति के तौर पर भी महिलाओं की बढ़ती भूमिका को देखा जा सकता है. महिलाओं की भूमिका बीते कुछ सालों के दौरान बढ़ती ही जा रही है. हम एक नजर वर्तमान राजनीतिक में अपनी धाक दिखा रही महिलाओं पर डालते हैं.
द्रौपदी मुर्मू– 1997 से राजनीतिक का सफर शुरू करने के बाद मंत्री और झारखंड का राज्यपाल रहने के बाद अब वह भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं.
सोनिया गांधी– 1998 में कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर राजनीति में सक्रिय हुईं और 2017 तक इस पद पर रहीं. इसके बाद अगस्त 2019 से अक्टूबर 2022 तक इस पद पर रहीं.
स्मृति ईरानी– 2003 में अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने वाली स्मृति ईरानी बीते दस सालों से मोदी सरकार में मंत्री हैं. इससे पहले वह बीजेपी की राष्ट्रीय सचिव और पार्टी की महिला विंग की अध्यक्ष रह चुकी हैं.
निर्मला सीतारमण– 2008 में बीजेपी ज्वाइन करने के बाद 2014 तक राष्ट्रीय प्रवक्ता थीं. 30 मई 2019 को उन्होंने देश के वित्त मंत्री का पद संभाला और अभी वित्त मंत्री के तौर पर काम कर रही हैं.
इनके अलावा बीएसपी चीफ मायावती, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, PDP चीफ महबूबा मुफ्ती, शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले, शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल और तमिलनाडु के पूर्व सीएम करुणानिधि की बेटी कनिमोझी भी राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर रही हैं.
विधानसभा में काफी कम प्रतिनिधित्व
मौजूदा लोकसभा और राज्यसभा की बात करें तो कुल 767 सदस्यों में 111 महिला सदस्य हैं. वहीं बीते लोकसभा चुनाव में 724 महिलाएं प्रत्याशी थीं. इसमें 78 महिलाओं ने जीत दर्ज कर अपनी पार्टी का प्रतिनिधित्व लोकसभा में बीते पांच सालों के दौरान किया है. हालांकि राज्य के विधानसभाओं में महिलाओं की भागेदारी अभी उतनी बेहतर नहीं हो पाई है. देश के कुल चार हजार विधायकों में केवल 378 विधायक महिलाएं हैं, यानी सदस्य के तौर पर देखें तो केवल 9 फीसदी महिलाएं ही विधायक हैं.
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हालांकि अन्य देशों की तुलना में देखें तो भारत में महिलाओं की राजनीति में भागेदारी काफी कम है. भारत से काफी छोटे देश इस मामले में काफी आगे हैं. रवांडा में 61 फीसदी महिला सांसदों के साथ लिस्ट में सबसे ऊपर है. इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका में 43 फीसदी, यूके में 32 फीसदी, अमेरिका में 24 फीसदी और बांग्लादेश में 21 फीसदी महिला सांसद हैं. जबकि भारत में केवल 15 फीसदी महिलाएं ही सांसद हैं.