Budget 2024: इस साल कैसे आएगा मोदी सरकार का बजट? जानें A टू Z मूल बातें

Budget 2024: आसान भाषा में समझें तो बजट एक साल का लेखा-जोखा होता है. बजट पेश करने से पहले एक सर्वे से कराया जाता है, जिसमें सरकार की कमाई का अनुमान लगाया जाता है.
Budget 2024

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Budget 2024: आम बजट सरकार की वित्तीय स्थिति की समग्र तस्वीर पेश करता है. सरकार कितने नफे में है और कितने नुकसान में, ये बजट से ही तय होता है. 1921 में एकवर्थ समिति की सिफारिशों पर रेलवे बजट को आम बजट से अलग कर दिया गया था लेकिन अब 2016 में रेलवे बजट को केंद्रीय बजट में मिला दिया गया. बुधवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री भागवत किसनराव कराड की उपस्थिति में नॉर्थ ब्लॉक में हलवा सेरेमनी आयोजित किया गया था. ‘हलवा समारोह’ को अंतरिम बजट के लिए दस्तावेजों को ठीक करने की शुरुआत माना जाता है. आइये जानते हैं कि ये बजट होता क्या है और यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

बता दें कि बजट बनाना एक लंबी प्रक्रिया है, बजट दस्तावेज़ का अंतिम मसौदा तैयार करने में कई महीनों की योजना, परामर्श और संकलन लगता है. यह प्रक्रिया वित्तीय विवरण संसद में प्रस्तुत किए जाने से लगभग छह महीने पहले ही शुरू हो जाती है. इस साल भी 1 फरवरी को आम बजट पेश होना है. हालांकि, संविधान में बजट को ‘एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट’ बताया गया है. इसका मतलब ये है कि बजट शब्द का संविधान में जिक्र ही नहीं है. संविधान का आर्टिकल 112 देश के बजट यानी एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट के बारे में बताता हैं.

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बजट होता क्या है?

आसान भाषा में समझें तो बजट एक साल का लेखा-जोखा होता है. बजट पेश करने से पहले एक सर्वे से कराया जाता है, जिसमें सरकार की कमाई का अनुमान लगाया जाता है. बजट में सरकार अनुमान लगाती है कि उसे प्रत्यक्ष कर, अप्रत्यक्ष कर, रेलवे के किराए और अलग-अलग मंत्रालय के जरिए कितनी कमाई होगी. बजट भी एक तरह का मनी बिल होता है. ये किसी एक वित्तीय वर्ष के लिए बनाया जाता है. सबसे पहले इसे लोकसभा में पेश किया जाता है. फिलहाल देश के वित्त मंत्री के पास बजट पेश करने का अधिकार है. हालांकि, संविधान के आर्टिकल 112 मुताबिक, देश का बजट राष्ट्रपति को पेश करना चाहिए. लेकिन आर्टिकल 77 (3) के जरिए राष्ट्रपति ने ये अधिकार वित्त मंत्री को दिए हैं. लोकसभा में वित्त मंत्री के बजट भाषण के बाद, बजट राज्यसभा के समक्ष रखा जाता है.चर्चा के बाद राष्ट्रपति से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद ये देश का बजट हो जाता है.

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क्या है वोट ऑन अकाउंट?

बता दें कि पिछले कुछ समय से लोकसभा के चुनाव अप्रैल-मई के दौरान ही कराए जाते हैं. इस समय सरकार बजट पेश करने की स्थिति में नहीं होती है. फिर भी, सरकारी जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए उसे इंतजाम जरूर करना पड़ता है ताकि नई सरकार के आने तक सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चलती रहें. हालांकि, इसके राजनीतिक एवं नैतिक निहितार्थ भी हैं. क्योंकि जिस सरकार के पास पूरे साल शासन चलाने का जनादेश नहीं है तो उसे पूरे साल का वित्तीय विवरण पेश करने से भी बचना होता है. ऐसी ही स्थिति में सरकार पूर्ण बजट पेश करने के बजाय कुछ महीनों का खर्च चलाने के लिए वोट ऑन अकाउंट पेश करती है. इसे आम भाषा में मिनी बजट भी कहा जाता है. इस साल भी अप्रैल मई के बीच लोकसभा चुनाव होना लगभग तय है.

1 फरवरी को ही क्यों पेश होता है बजट?

देश के पूर्व वित्त मंत्री और दिवंगत भाजपा नेता अरुण जेटली ने एक बार बताया था कि फरवरी के अंत में बजट पेश करने से सरकार को 1 अप्रैल से एक महीने की अवधि में नई नीतियों और बदलावों के लिए तैयारी करने के लिए कम समय मिलता है. इसल‍िए बजट पेश करने की तारीख में बदलाव कर इसे 1 फरवरी कर द‍िया गया. पहले फरवरी महीने के अंत में बजट पेश किया जाता था. दरअसल, जब फरवरी महीने के अंत में बजट पेश किया जाता था तब अप्रैल तक उसे लागू करने में दिक्कत होती थी. इस वजह से यूनियन बजट की तारीख को बदल दिया गया. जब कोई नियम या योजना लागू की जाती है तो उसे संसद में पेश किया जाता है. संसद से अप्रूव होने के बाद राष्ट्रपति के अनुमति के बाद ही उसे लागू किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है.

 

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