Chhattisgarh: सारंगढ़ के गोड़िहारी में किसान को मिली प्राचीन मूर्ति, लोगों की उमड़ी भीड़, पुरातत्व विभाग के वैज्ञानिक करेंगे जांच

Chhattisgarh: सारंगढ़ जिले के गोडीहारी गांव में एक किसान को खेत जुताई के दौरान एक ऐसी प्राचीन मूर्ति मिली है, जिसे देखने लोगों का हुजूम उमड़ रहा है. यह बात उनके बीच कौतूहल का विषय है कि आखिर यह मूर्ति है क्या? और कौन सी जमाने की है? इसकी जानकारी उन्होंने पुरातत्व विभाग को दी गई है.
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सारंगढ़ के गांव में मिली मूर्ति

Chhattisgarh News: सारंगढ़ जिले के गोडीहारी गांव में एक किसान को खेत जुताई के दौरान एक ऐसी प्राचीन मूर्ति मिली है, जिसे देखने लोगों का हुजूम उमड़ रहा है. यह बात उनके बीच कौतूहल का विषय है कि आखिर यह मूर्ति है क्या? और कौन सी जमाने की है? इसकी जानकारी उन्होंने पुरातत्व विभाग को दी है. दावा किया जा रहा है कि आगे पुरातत्व वैज्ञानिक और अधिकारियों की खोजबीन के बाद यह पता लगाया जाएगा की यह मूर्ति कौन से किस साल की है?

मूर्ति को ग्रामीण मान रहे चमत्कार

आसपास के ग्रामीण इसे चमत्कार के तौर पर भी देख रहे हैं. इस मूर्ति के मिलने से आसपास के दिनों में कुछ ऐसी घटना हुई है, जिससे इसे जोड़कर देखा जा रहा है. सारंगढ़ जिले का इतिहास पुरातत्व के मामले में काफी वैभवशाली रहा है. यही वजह है कि यह क्षेत्र अपने सीने में कई तरह के इतिहास को दबाए हुए है. जानकार बताते हैं कि इस मूर्ति के मिलने के पीछे का कारण भी वही इतिहास है, जो बार-बार लोगों को यह एहसास कराता है कि सालों पहले यहां कई तरह का जीवन रच, बस रहा था. इस प्राचीन मूर्ति के मिलने के बाद लोग इसकी पूजा अर्चना भी कर रहे हैं. वह इस मूर्ति को भगवान के स्वरूप में भी देख रहे हैं. जिसके कारण ही इस मूर्ति पर नारियल और फूल चढ़ाए जा रहे हैं.

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पुरातात्विक सर्वे के बाद ही सच सामने आएगा

हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है, कि मूर्ति किस देवी-देवता की है? किसी जमाने की है, और कौन से धर्म के लोग इसकी पूजा करते आ रहे हैं? इसे पुरातत्व विभाग को सौंपने की तैयारी है. जिसके बाद ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के जांच के बाद ही सभी बातो की जानकारी मिल पाएगी.

पुरातत्व विभाग के वैज्ञानिक करेंगे खोजबीन

प्राचीन मूर्तियों की देखरेख और उन्हें सहेजने के लिए पुरातत्व विभाग का निर्माण किया गया है. छत्तीसगढ़ के लगभग हर जिले में पुरातत्व की मूर्तियों को सहेजने के लिए अलग स्थान तैयार किया गया है. यहां के वैज्ञानिक की ऐसी चीजों की खोज करते हैं. जिससे यह स्पष्ट होता है कि हमारी पुरानी संस्कृति के हिसाब से कौन सी मूर्ति कब कहां और क्यों इस्तेमाल की जा रही है. जिसके बाद ही लोगों को इस बात की जानकारी उपलब्ध कराई जाती है. इस मामले में भी आगे ऐसा ही होगा. प्राचीन मूर्तियों की जांच और बाकी औपचारिकताओं के बाद ही सारी बात सामने आ पाएगी.

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