Bhopal News: गांधी मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल खत्म, विरोध के बाद डॉ. अरुणा की पोस्टिंग निरस्त

Bhopal News: डॉ. बाला के परिजन समेत कई डॉक्टर्स ने डॉ. अरुणा कुमार पर मानसिक प्रताड़ना और करियर खराब करने के आरोप लगाए थे.
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डॉ. अरुणा

Bhopal News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज (Gandhi Medical College) के गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट के जूनियर डॉक्टर शुक्रवार सुबह हड़ताल पर चले गए थे. इनके समर्थन में अन्य विभाग के जूडा भी काली पट्टी बांधकर काम कर रहे थे, जिससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. ये डॉक्टर्स जीएमसी से एमडी कर रहीं जूनियर डॉक्टर बाला सरस्वती सुसाइड मामले में आरोपों में घिरीं विभागाध्यक्ष डॉ. अरुणा कुमार की वापसी का विरोध कर रहे हैं. इसके बाद 24 घंटे में ही उनको वापस एचओडी बनाए जाने के आदेश को निरस्त कर दिए गया है. इस आदेश के बाद जूनियर डॉक्टर्स फिर से अपने काम पर लौट गए हैं. 

क्या हैं आरोप

दरअसल, डॉ. बाला के परिजन समेत कई डॉक्टर्स ने डॉ. अरुणा कुमार पर मानसिक प्रताड़ना और करियर खराब करने के आरोप लगाए थे. कुछ सीनियर डॉक्टर ने भी चिट्‌ठी लिखकर सीएम से उनको हटाने की मांग की थी. लेकिन अगस्त में पद से हटाई गईं डॉ. अरुणा कुमार को गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट में प्रोफेसर के रूप में पोस्टिंग दे दी गई थी. जूडा ने शुक्रवार को दोपहर दो बजे तक डॉ. अरुणा कुमार की पोस्टिंग के आदेश निरस्त करने का अल्टीमेटम दिया था. कॉलेज के अलग-अलग 28 डिपार्टमेंट में 450 जूनियर डॉक्टर हैं। जिसके बाद उनको वापस पद से हटा दिया गया.

काली पट्टी बांधकर किया था काम

डॉ. अरुणा के वापसी के आदेश के बाद गुरुवार को जूडा ने काली पट्‌टी बांधकर विरोध जताया था. जूडा प्रवक्ता कुलदीप गुप्ता ने मीडिया को बताया था कि जूडा ने डॉ. अरुणा को हटाने के लिए डीन के अलावा अन्य हायर अथॉरिटी को पत्र लिखा था.

सीनियर डॉक्टर्स ने टॉर्चर के आरोप लगाए

इससे पहले डॉ. बाला सरस्वती की आत्महत्या मामले के बाद 8 सीनियर डॉक्टर्स ने भी डॉ. अरुणा कुमार के टॉर्चर के खिलाफ शिकायत की थी. उन्होंने मुख्यमंत्री, MPTA और चिकित्सा शिक्षा विभाग से उनको पद से हटाने की मांग की थी. आरोप है कि डॉ. अरुणा के टॉर्चर से परेशान होकर कथित तौर पर तीन स्टूडेंट्स अपनी डिग्री भी छोड़ चुकी हैं.

क्या है पूरा मामला

GMC में पिछले साल 21 जुलाई को जूनियर डॉक्टर सरस्वती ने बेहोशी के इंजेक्शन का ओवरडोज़ लगाकर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी. उस वक्त वो 14 हफ्ते की गर्भवती थीं, जिसके बाद पीड़ित डॉक्टर की बहन लक्ष्मी ने आरोप लगाए थे कि उनकी हत्या हुई है. आरोप है कि बाला सरस्वती को विभाग की डॉ. पल्लवी और अन्य डॉक्टर लगातार परेशान कर रही थीं. साथ ही उन पर मानसिक दबाव बनाया गया और ये एक साजिश के तहत किया गया.

लक्ष्मी ने आरोप लगाया था कि बाला सरस्वती मौत से तीन महीने पहले से लगातार उनसे फोन पर संपर्क में थीं और बार-बार एचओडी अरुणा कुमार को इसकी शिकायत कर रही थीं. मगर अरुणा ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. वहीं जीएमसी में गायनो डिपार्टमेंट में काम करने वाले जूनियर डॉक्टरों का एक पत्र भी सामने आया था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि वहां सभी रेजिडेंट्स कई वर्षों से शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ना का शिकार हो रहे हैंय जूनियर रेसिडेंट डॉक्टरों ने इसमें मानसिक और शारीरिक अत्याचार की बात कही थी. 

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