Chhattisgarh: 91 साल की महिला ने मेडिकल कॉलेज को प्रैक्टिकल के लिए डोनेट की बॉडी, मौत के बाद परिजनों की मौजूदगी में पूरी हुई प्रकिया

Chhattisgarh news: छत्तीसगढ़ में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों के प्रैक्टिकल लिए रायपुर के सेजबहर की शांति देवी खटवानी ने अंगदान किया है.
raipur

परिजनों की मौजूदगी में पूरी की गई अंगदान की प्रक्रिया

Chhattisgarh: मनुष्य अपने शरीर से जीते जी तो प्यार करता ही है, लेकिन मरने के बाद भी मनुष्य अपने शरीर को धार्मिक संस्कार के साथ ही अंतिम संस्कार की उम्मीद रखता है. इसे ही मनुष्य मुक्ति मानता है लेकिन अगर कोई मुक्ति की राह छोड़कर अंगदान करने का फैसला लेता है, इसे इस समाज में सबसे बड़ा दान माना जाता है. अब यही महादान रायपुर में रहने वाली एक 91 साल की बुजुर्ग महिला ने किया है. उन्होंने अपनी बॉडी मेडिकल साइंस की पढ़ाई करने वाले बच्चों के लिए दान कर दिया है.

महिला ने रावतपुरा मेडिकल कॉलेज को बॉडी दान की

दरअसल रायपुर के सेजबहर में रहने वाली शांति देवी खटवानी ने अपना अंगदान किया है. शांति देवी 91 साल की थीं . 27 जनवरी को शांति देवी की मौत के बाद उनके परिजनों की मौजूदगी में रविवार को अंगदान की प्रक्रिया को पूरी की गई. ये बॉडी रायपुर के रावतपुरा मेडिकल कॉलेज को डोनेट की गई है. बॉडी दान के लिए शांति देवी खटवानी ने गैर सरकारी संगठन ‘बढ़ते कदम’ के पास कागजी कार्रवाई पूरी कर चुकी थीं. बढ़ते कदम संस्थान ने कुछ दिन पहले भी रावतपुरा मेडिकल कॉलेज को बॉडी डोनेट किया था.

हर 10 मेडिकल स्टूडेंट के लिए एक बॉडी की जरूरत  

माना जाता है कि एक ब्रेन डेड व्यक्ति 10 लोगों की जान बचा सकता है. वहीं मौत के बाद बॉडी को मेडिकल की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट के प्रैक्टिकल में उपयोग किया जाता है. जानकर बताते हैं कि डेड बॉडी में केमिकल का इस्तेमाल कर कई सालों तक बॉडी का इस्तेमाल प्रैक्टिकल के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

बढ़ते कदम ने अबतक 186 बॉडी दान करवाया

बढ़ते कदम संस्थान के प्रवक्ता राजू झामनानी ने बताया कि अनिल गुरूबक्षाणी की 2005 में बढ़ते कदम संस्थान की शुरुआत की गई थी. इसमें 2007 में अंगदान करने की पहल किया गया. अबतक 186 लोगों ने अंगदान कर दिया है. इसके अलावा 350 लोगों ने अंगदान करने के लिए आवेदन किया है.वहीं अबतक 700 से ज्यादा नेत्र दान किए गए हैं.

ज़रूर पढ़ें