क्या है राष्ट्रपति शासन, झारखंड में क्यों हो रही है लागू करने की मांग? यहां जानें A टू Z

President Rule: झारखंड बीजेपी चीफ सहित कई विपक्षी नेताओं ने राज्यपाल से राष्ट्रपति शासन लगाने की अपील की है. आइये जानते हैं कि किस स्थिति में राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है.
प्रतीकात्मक तस्वीर

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President Rule: दिल्ली और झारखंड की राजधानी रांची में सियासी उथल-पुथल के साथ-साथ ED का एक्शन जारी है. प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछताछ करना चाहते हैं. लेकिन सीएम सोरेन पिछले 24 घंटे से गायब हैं. इस बीच ईडी को सोरेन के दिल्ली आवास से कुछ दस्तावेज और 36 लाख रुपये नकद मिले हैं.

ईडी के अधिकारी कल सीएम सोरेन के दिल्ली स्थित आवास और झारखंड भवन गए, लेकिन वे नहीं मिले. उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कहा है कि मुख्यमंत्री सुरक्षित हैं और उनके संपर्क में हैं. लेकिन विपक्षी पार्टी बीजेपी सीएम सोरेन की अनुपस्थिति में राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग कर रही है. झारखंड बीजेपी चीफ सहित कई विपक्षी नेताओं ने राज्यपाल से राष्ट्रपति शासन लगाने की अपील की है. आइये जानते हैं कि किस स्थिति में राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है.

बता दें कि ‘अनुच्छेद 356’, अक्सर समाचारों में एक विषय बना रहता है. जब देशभर के राज्य या फिर केंद्र शासित प्रदेशों में कोई आपात स्थिति आ जाती है तो राष्ट्रपति शासन की मांग बढ़ जाती है. इस लेख में, आप अनुच्छेद 356 और भारत में राष्ट्रपति शासन, प्रक्रिया, दुरुपयोग आदि के बारे में सबकुछ पढ़ सकते हैं.

क्या होता है राष्ट्रपति शासन?

अनुच्छेद 356 के अनुसार, संवैधानिक मशीनरी की विफलता के आधार पर भारत के किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है.  उदाहरण के लिए, यदि राष्ट्रपति को राज्य के राज्यपाल से कोई रिपोर्ट मिलती है या अन्यथा वह आश्वस्त है कि राज्य की स्थिति ऐसी है कि राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार शासन नहीं चला सकती है तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है.

आसान भाषा में ये कि राष्ट्रपति शासन तब लागू होता है जब राज्य सरकार निलंबित हो जाती है. राष्ट्रपति शासन के दौरान केंद्र सरकार राष्ट्रपति के आदेश पर सीधे राज्यपाल के कार्यालय के माध्यम से राज्य का प्रशासन चलाती है. इस स्थिति को आप आपातकाल भी कह सकते हैं.

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कैसे लागू किया जाता है राष्ट्रपति शासन?

किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए संसदीय मंजूरी आवश्यक है. राष्ट्रपति शासन की घोषणा को इसके जारी होने के दो महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों में अनुमोदित किया जाता है. अनुमोदन साधारण बहुमत से होता है. संविधान के मुताबिक, राष्ट्रपित शासन शुरुआत में छह महीने की अवधि के लिए होता है. हालांकि बाद में, इसे हर छह महीने में संसदीय मंजूरी के साथ तीन साल की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है.

राष्ट्रपति शासन लगने के बाद क्या होता है?

जब किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता है तो राज्यपाल राष्ट्रपति की ओर से राज्य का प्रशासन चलाता है. वह राज्य के मुख्य सचिव और अन्य सलाहकारों व प्रशासकों की मदद लेता है. इस स्थिति में शक्ति केवल और केवल राष्ट्रपति के पास ही होता है. राष्ट्रपति ये भी फैसला ले सकते हैं कि राज्य विधानसभा निलंबित या भंग कर दिया जाए.

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राष्ट्रपति शासन कब लगाया जाता है?

ऐसा देखा गया है कि राष्ट्रपति शासन तब लगाया जाता है जब राज्य विधानमंडल राज्य के राज्यपाल द्वारा निर्धारित समय के लिए किसी नेता को मुख्यमंत्री के रूप में चुनने में सक्षम नहीं है. वहीं राज्य सरकार में गठबंधन के टूटने से निर्धारित समय के भीतर अपना बहुमत साबित करने में असमर्थ हो जाने पर भी राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है. इसके अलावा प्राकृतिक आपदा, महामारी और युद्ध जैसी स्थिति में भी राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है.

अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग

अनुच्छेद 356 ने केंद्र सरकार को राज्य सरकार पर अपने अधिकार की मोहर लगाने की व्यापक शक्तियां दी हैं.  हालांकि इसका उद्देश्य केवल देश की अखंडता और एकता को बनाए रखने का एक साधन था, लेकिन इसका इस्तेमाल समय-समय पर केंद्र के राजनीतिक विरोधियों को राज्य के शासन से हटाने के लिए खुलेआम किया गया. इसका प्रयोग पहली बार 1951 में पंजाब में किया गया था. 1966 से 1977 के बीच इंदिरा गांधी की सरकार ने विभिन्न राज्यों के खिलाफ लगभग 39 बार इसका इस्तेमाल किया.

 

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