Parliament Session: क्या राहुल गांधी का बंद किया गया था माइक? स्पीकर ओम बिरला ने दिया जवाब

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि माइक का कंट्रोल कुर्सी पर बैठे व्यक्ति के हाथ में नहीं होता.

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला

Parliament Session: लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सोमवार को विपक्ष के माइक बंद करने वाले आरोप पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारियों के हाथ में माइक का कंट्रोल नहीं होता है.

बता दें कि कांग्रेस ये आरोप लगाती रही है कि राहुल गांधी जब सदन में बोलते हैं तो उनका माइक बंद कर दिया जाता है. अभी पिछले शुक्रवार को भी कांग्रेस ने यह मुद्दा उठाया था. इसपर पलटवार करते हुए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि सभापति द्वारा माइक्रोफोन बंद करने का आरोप चिंता का विषय है.

ये भी पढ़ेंः राहुल का ‘हिन्दू और हिंसा’ वाला बयान, PM मोदी और शाह ने विपक्ष को घेरा, संसद में ‘संग्राम’

बिरला ने कहा, “सदन के बाहर कुछ सांसदों ने आरोप लगाया कि स्पीकर माइक बंद कर देते हैं. माइक का कंट्रोल कुर्सी पर बैठे व्यक्ति के हाथ में नहीं होता.”

उधर, कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “स्पीकर एक मध्यस्थ होते हैं. वह भागीदार नहीं हो सकते. इसलिए मैं उनसे आग्रह करूंगा कि वह किसी का पक्ष लेने के बजाय कुर्सी पर बैठकर मॉडरेटर की भूमिका निभाएं.”

गौरतलब है कि नेता विपक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को सदन में नीट का मुद्दा उठाया था. वहीं, बिरला ने उनसे आग्रह किया कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा की जाए. जब विपक्ष ने बात नहीं मानी तो सदन की कार्यवाही सोमवार तक स्थगित कर दी गई. कांग्रेस ने इस मुद्दे को एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा था कि एक ओर पीएम नरेंद्र मोदी नीट पर कुछ नहीं बोल रहे, उस वक्त विपक्ष के नेता राहुल गांधी जी युवाओं की आवाज सदन में उठा रहे हैं. लेकिन ऐसे गंभीर मुद्दे पर माइक बंद करने जैसी ओछी हरकत करके युवाओं की आवाज को दबाने की साजिश की जा रही है.

केंद्र पर बरसे राहुल

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आज केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला है. उन्होंने कहा, “भारत के विचार संविधान और संविधान पर हमले का विरोध करने वाले लोगों पर एक व्यवस्थित और पूर्ण पैमाने पर हमला किया गया है. हममें से कई लोगों पर व्यक्तिगत हमले किए गए. कुछ नेता अभी भी जेल में हैं. जिस किसी ने भी सत्ता और धन के केंद्रीकरण, गरीबों, दलितों और अल्पसंख्यकों पर आक्रामकता के विचार का विरोध किया, उसे कुचल दिया गया.”

ज़रूर पढ़ें