Chhattisgarh: बिलासपुर के आयुर्वेद कॉलेज में बेड 60, लेकिन 75 सीटों की मान्यता, प्रैक्टिकल करने 5 किमी का सफर कर रहे स्टूडेंट

Chhattisgarh: आयुर्वेद कॉलेज के संचालन को 9 साल पूरे होने को हैं. लेकिन आज तक यह कॉलेज और यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट कई तरह की परेशानी उठाकर पढ़ाई कर रहे हैं.
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बिलासपुर का आयुर्वेद कॉलेज

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर का आयुर्वेद कॉलेज देश का शायद पहला ऐसा आयुर्वेद कॉलेज होगा, जहां अस्पताल में बिस्तर से ज्यादा यहां पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या होगी. भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग ने बिलासपुर आयुर्वेदिक कॉलेज को 75 सीटों की मान्यता दी है. जबकि यहां के अस्पताल में मरीजों के लिए सिर्फ 60 बेड मौजूद हैं. ऐसे में एक बेड के पीछे एक छात्र भी अपनी पढ़ाई और प्रैक्टिकल की प्रक्रियांए पूरी नहीं कर सकेंगे. यही वजह है कि इस स्थिति पर न सिर्फ स्टूडेंट बल्कि डॉक्टर और आम लोगों को भी हैरानी हो रही है.

आयुर्वेदिक कॉलेज में आयुर्वेदिक डॉक्टर बनने की चाह रखने वाले मेडिकल स्टूडेंट की भर्ती प्रक्रिया शुरू हो गई है. मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए नियमों के हिसाब से प्रति पांच बेड के पीछे एक स्टूडेंट को पढ़ाई करने का नियम तैयार किया गया है. जबकि आयुर्वेदिक कॉलेज में प्रति बेड स्टूडेंट… इस लिहाज से भी बिलासपुर का आयुर्वेदिक कॉलेज केंद्र के उन मापदंडों में फीट नहीं बैठ रहा है. इसके बावजूद यहां 75 सीटों की मान्यता प्रदान कर दी गई है.

चार साल की पढ़ाई, 5 किमी दूर जांएगे प्रैक्टिकल करने

दरअसल शहर के आयुर्वेद कॉलेज को भारतीय राष्ट्रीय चिकित्सा पद्धति आयोग ने 75 सीटों की मान्यता दी है. आयोग के अफसरों ने कुछ दिन पहले ही कॉलेज और अस्पताल का जायजा लिया था, इस दौरान अफसरों ने कई खामियां गिनाईं, फिर भी कॉलेज में ज्यादा सीटों को मंजूरी देने से अफसरों ने इनकार नहीं किया. इधर, आयुर्वेद कॉलेज में एडमिशन के बाद जूना बिलासपुर के नागोराव स्कूल में इनका कॉलेज लगेगा. इसका अस्पताल नूतन चौक में बनाया गया है. यानी एडमिशन के बाद छात्रों को प्रैक्टिकल के लिए पांच किलोमीटर दूर नूतन चौक जाना पड़ेगा.

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रायपुर में पीजी, यहां की मान्यता पर ही सवाल

आयुर्वेद कॉलेज के संचालन को 9 साल पूरे होने को हैं. लेकिन आज तक यह कॉलेज और यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट कई तरह की परेशानी उठाकर पढ़ाई कर रहे हैं. अस्पताल की व्यवस्था भी शासन के मापदंडों के अनुरूप नहीं हो पाई है. रमतला में इसके नाम पर 12 एकड़ जमीन भी मिली है, लेकिन इसके लिए बजट आवंटन नहीं हो पाया है. यही वजह है कि अस्पताल और कॉलेज दोनों अपने वजूद के लिए जूझ रहे हैं.

एनएबीएच के निर्देश-साइन बोर्ड लगवाएं, कॉलेज अस्पताल की गुणवत्ता पर ध्यान दें

नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल यानी एनएबीएच ने कुछ दिन पहले आयुर्वेद कॉलेज और अस्पताल को कई तरह की गाइडलाइन जारी की है. इनमें यहां मरीजों की पारदर्शिता के लिए साइन बोर्ड लगवाने, आपात स्थिति के लिए बिजली व्यवस्थाएं, मुख्य द्वार के अलावा स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए मानक तैयार करने की बात कही है. कॉलेज में भी गुणवत्ता पर ध्यान देने की बात लिखी गई है.

नया कॉलेज बनने के बाद मिलेगी सुविधा

बता दें कि इस पूरे मामले को लेकर प्राचार्य डॉ.रक्षपाल गुप्ता ने कहा कि हम छात्रों की पढ़ाई में कोई कमी होने नहीं देंगे. रमतला में 12 एकड़ जमीन मिली है. सर्वे भी शुरू हो गया है. निर्माण के बाद सारी कमियां दूर होंगी.

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