Chhattisgarh: गोरखा से मुकुड़तोंग गांव को जोड़ने वाला पुलिए का एक हिस्सा बारिश में कटा, सड़क पर भी जगह-जगह हुए गड्ढे
Chhattisgarh News: सुकमा जिले के कोंटा विकासखण्ड अंतर्गत गोरखा से मुकुड़तोंग के बीच बनी सड़क को मरम्मत की दरकार है. एक साल पहले सड़क का काम पूरा किया गया था. बीते साल हुई बारिश की वजह से सड़क कई जगह कट गई है. वहीं इंजराम-भेजी मुख्य मार्ग और गेडापाड़-मुकुड़तोंग के बीच नाले पर बना पुल ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहा है. इलाके में होने वाली तेज बारिश से नाला उफान पर आ जाता है जिसकी वजह से पुल का अप्रोच मार्ग बह जाता है. बीते साल हुई बारिश में पुल का एक हिस्सा कट गया था. निर्माण एजेंसी द्वारा आनन-फानन में मिट्टी डालकर पुल को जोड़ा गया था, लेकिन बीते एक साल से सड़क का मरम्मत नहीं होने की वजह से मिट्टी फिर से कटने लगी है. ग्रामीण बारिश में होने वाली दिक्कतों को लेकर अभी से परेशान होने लगे हैं.
बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों में सरकार की विभिन्न योजनांए ग्रामीणोंं के दहलीज तक पहुंचे, इसके लिए बड़े पैमाने पर सड़कों का जाल बिछाया गया है. सड़कों को बनाने केन्द्र और राज्य सरकार से मिलने वाले अरबों रुपए खर्च किए गए. दशकों बाद गांव तक पहुंच रही सड़कों को देख स्थानीय ग्रामीणों में भी खुशी की लहर थी. लोगों को उम्मीद थी कि जिला मुख्यालय व ब्लॉक मुख्यालय तक आने-जाने में व अन्य जरूरी सुविधाएं हर वक्त मिलने लगेंगी. पुलिस और प्रशासन के सालों के संघर्ष के बाद सड़कों का काम पूरा भी किया गया, लेकिन निर्माण एजेंसी की अनदेखी की वजह से लाखों-करोड़ों रुपए खर्च कर बनाई गई सड़कें मरम्मत के अभाव में जर्जर होते जा रही हैं. ऐसा ही कुछ हाल गोरखा से मुकुड़तोंंग तक बनी सड़क का हो गया है। पीएमजीएसवाय के जिम्मेदार अफसर सड़क की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं, जबकि सड़क मेंटेनेंस पीरियड में पहुंच गई है.
नाले के तेज बहाव से कटने लगा है पुल
गेडापाड़ और मुकुड़तोंग को जोड़ने इंजराम नाले पर पीएमजीएसवाई योजना के तहत सड़क के साथ पुल का निर्माण किया गया है. ग्रामीण मुचाकी देवा, देवचंद्र कश्यप, मड़कामी देवा समेत गांव के लोगों ने बताया कि इंजराम नाले पर बड़े पुल की दरकार है. निर्माण के दौरान ही ग्रामीणों द्वारा अफसरों को बताया गया था लेकिन अफसरों ने उनकी एक न सुनी और छोटा बना दिया. पुल की हाईट भी कम कर दिए. अब हालात ऐसे है कि इलाके में हल्की बारिश भी हो जाए तो, पानी पुल के ऊपर से बहने लगता है. बारिश में तो हालात और भी ज्यादा खराब हो जाते हैं. नदी उफान पर आ जाती है और पुल के दोनो तरफ डाली गई मिट्टी बह जाती है. जिसके चलते कई दिनो तक गांव तक सड़क संपर्क टूट जाता है. आपातकालीन सेवाएं भी बंद हो जाती है. स्थानीय लोग किसी तरह उफनती नदी पार कर रोजमर्रा की जरूरतों की पूर्ति करते हैं। ग्रामीणों की मांग है कि पुल का अप्रोच बारिश में न बहे इसके लिए स्थायी व्यवस्था किया जाए.
2022 में हुआ था सड़क का निर्माण
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत साल 2022 में सुकमा जिले के नक्सल प्रभावित कोंटा ब्लॉक में गोरखा से मुकुड़तोंग के बीच सड़क का निर्माण कराया गया था. इसे बनाने निर्माण एजेंसी ने केन्द्र सरकार से मिले 145.57 लाख रुपए खर्च किए. नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से सुकमा की रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी हसीना कांक्रीट ने सड़क को एसओआर से 3.86 प्रतिशत अधिक दर पर लिया. जिसकी वजह से सड़क की कुल लागत 1 करोड़ 53 लाख हो गई. एक साल बीत जाने के बाद भी सड़क का मरम्मत नहीं कराया गया है, जबकि सड़क पूर्ण होने के पांच साल तक मेंटेनेंस करने का प्रावधान है.
बड़े पुल की स्वीकृति के लिए प्रस्ताव भेजा गया है – अनिल राठौर
गोरखा से मुकुड़तोंग सड़क के बीच पड़ने वाले नाले पर बड़े पुल की जरूरत है. एस्टीमेट तैयार कर स्वीकृति के लिए भेजा गया है. पाइप पुलिया की वजह से कटाव हो रहा है. जल्द ही संबंधित ठेकेदार को बोलकर सड़क और पुल का रिपेयर करवाता हूं.