Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के पहले हमर क्लिनिक की हालत खराब, न डाक्टर न फार्मासिस्ट, मरीज हो रहे परेशान
Chhattisgarh News: दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में खोले गए हमर क्लीनिक की हालत खराब होती जा रही है, क्योंकि कई हमर क्लीनिक में डॉक्टर ही नहीं है, जो डॉक्टर संविदा में यहां रखे गए थे, उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद अब नई नियुक्ति नहीं हुई है. वहीं इन क्लिनिको में न फार्मासिस्ट हैं, और न ही लैब टेक्नीशियन. इसकी वजह से कई प्रकार की जांच भी नहीं हो पा रही है. इन हमर क्लिनिक को महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के द्वारा संभाला जा रहा है। ऐसे मे मरीजों को सही जांच और इलाज नहीं मिल पा रहा है.
हमर क्लिनिक की हालत खराब, क्लिनिक में न डाक्टर न फार्मासिस्ट
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में सबसे पहले छत्तीसगढ़ में सरगुजा जिला मुख्यालय अंबिकापुर के गोधनपुर में हमर क्लीनिक खोला गया था, इसके बाद प्रदेश के अलग-अलग जिला मुख्यालयों में कई हमारे क्लीनिक खोले गए लेकिन लेकिन आज छत्तीसगढ़ के पहले हमारे क्लीनिक में ही डॉक्टर नहीं है इसकी वजह से मरीज को इलाज के साथ उनका सही जांच नहीं हो पा रहा है क्योंकि लैब टेक्नीशियन का भी पद खाली पड़ा हुआ है तो यहां की न से ही मरीजों को अनुमान के आधार पर दवाइयां दे रही हैं दूसरी तरफ डॉक्टर नहीं होने के कारण यहां मरीजों को भी भर्ती नहीं किया जा रहा है और मरीजों के लिए लगाए बेड खाली पड़े हुए हैं। अंबिकापुर में 14 हमर क्लीनिक खोलने का प्रस्ताव तैयार किया गया था लेकिन 6 हमार क्लिनिक ही खोले जा सके.
सभी हमारे क्लीनिक में संविदा पर एमबीबीएस डॉक्टर की नियुक्ति की गई लेकिन डॉक्टरों की नियुक्ति सिर्फ 1 साल के लिए थी और 1 साल पूरा होने के बाद अब अंबिकापुर के आधे हमर क्लीनिक में डॉक्टर ही नहीं है. डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए अभी तक कोई प्रक्रिया ही शुरू नहीं की गई है, जबकि इन हमारे क्लीनिक में सभी टपके के लोगों को सुलभ तरीके से जांच और इलाज मिल रहा था, लेकिन अब हमारे क्लीनिक में आने वाले मरीज निराश होकर वापस लौट रहे हैं और आधा अधूरा ही जांच हो पा रहा है.
अव्यवस्था से मरीज व परिजन परेशान
हमर क्लीनिक में पसरे व्यवस्था से मरीज और उनके परिजन ही परेशान नहीं है बल्कि यहां पर ड्यूटी कर रही एएनएम भी परेशान दिखाई दे रही है उनका कहना है की वे ही फील्ड में भी जाकर काम कर रही है और अस्पताल में भी, दूसरी तरफ यहां दवाई देने की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर है तो जांच की भी। ऐसे में वह सही तरीके से लोगों का इलाज नहीं कर पा रही है और लोग उन्हें खरी खोटी सुना कर वापस जा रहे हैं. स्वास्थ्य कर्मचारी शशि गुप्ता ने बताया कि डॉक्टर नहीं होने की वजह से मरीज परेशान हो रहे हैं और भी लोगों को लक्षण के आधार पर दवाइयां दे रहे हैं.
बहरहाल बरसात का मौसम है ऐसे में हर इलाके में मौसमी बीमारियों का प्रकोप है, और लोग इसकी वजह से हमर क्लीनिक में पहुंच रहे हैं लेकिन व्यवस्था ठीक नहीं होने से उन्हें परेशान होना पड़ रहा है. सरकार को इस दिशा में ठोस पहल करने की जरूरत है, ताकि सही समय पर हमर क्लीनिक में डॉक्टर और दूसरे कर्मचारियों की नियुक्ति हो सके और लोगों को सही लाभ मिले.