Hindenburg के निशाने पर SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच, रिपोर्ट में लगाया ‘अडानी कनेक्शन’ का आरोप

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लिखा है, "वर्तमान सेबी चेयरपर्सन और उनके पति धवल बुच इस 'खेल' का हिस्सा रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने पहली बार 5 जून, 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ अपना खाता खोला था."
Madhabi Puri Buch

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Hindenburg: पिछली बार अपनी रिपोर्ट में अडानी को निशाना बनाने वाली हिंडनबर्ग ने इस बार सीधा मार्केट रेगुलेटर सेबी को टारगेट किया है. हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) अडानी ग्रुप के साथ मिली हुई हैं. इस वजह से पिछले 18 महीने में अडानी ग्रुप के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. हिंडनबर्ग ने इस खुलासे के बारे में शनिवार सुबह एक पोस्ट डाला था.

गुप्त दस्तावेज की पुष्टि नहीं करता विस्तार न्यूज़

गुप्त दस्तावेज के हवाले से हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा है कि ‘अडानी घोटाले’ में इस्तेमाल की गई ऑफशोर संस्थाओं में सेबी चेयरपर्सन की हिस्सेदारी थी. हिंडनबर्ग ने जिन दस्तावेज के आधार पर सेबी चेयरपर्सन पर ये आरोप लगाए हैं, विस्तार न्यूज़ उसकी पुष्टि नहीं करता है. रिसर्च में हिंडनबर्ग ने कहा कि अप्रैल 2017 से लेकर मार्च 2022 के दौरान माधबी पुरी बुच सेबी की होलटाइम मेंबर होने के साथ चेयरपर्सन थीं. उनका सिंगापुर में अगोरा पार्टनर्स नाम से कंसलटिंग फर्म में 100 फीसदी स्टेक था. 16 मार्च 2022 को सेबी के चेयरपर्सन पर नियुक्ति किए जाने से दो हफ्ते पहले उन्होंने कंपनी में अपने शेयर्स अपने पति के नाम ट्रांसफर कर दिए. अडानी समूह पर अपने खुलासे के लिए मशहूर अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर कंपनी ने भारत से जुड़े एक और महत्वपूर्ण खुलासे का संकेत दिया था.

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लिखा है, “वर्तमान सेबी चेयरपर्सन और उनके पति धवल बुच इस ‘खेल’ का हिस्सा रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने पहली बार 5 जून, 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ अपना खाता खोला था. आईआईएफएल के एक प्रिंसिपल द्वारा हस्ताक्षरित फंड की घोषणा में कहा गया है कि निवेश का स्रोत ‘वेतन’ है और दंपति की कुल संपत्ति 10 मिलियन डॉलर आंकी गई है.”

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सेबी ने भेजा था नोटिस: हिंडनबर्ग रिपोर्ट

हिंडनबर्ग ने अपने रिसर्च पेपर में दावा किया है कि अडानी पर हमारी मूल रिपोर्ट को जारी किए लगभग 18 महीने हो चुके हैं, जिसमें इस बात के सबूत पेश किए गए थे कि भारतीय समूह “कॉर्पोरेट इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला” कर रहा था. हमारी रिपोर्ट ने मुख्य रूप से मॉरीशस स्थित शेल संस्थाओं के एक जाल को उजागर किया, जिसका इस्तेमाल अरबों डॉलर के स्टॉक हेरफेर के लिए किया गया. तब से सबूतों के बावजूद सेबी ने अडानी ग्रुप के खिलाफ कोई सार्वजनिक कार्रवाई नहीं की है. हिंडनबर्ग ने दावा किया कि 27 जून, 2024 को सेबी ने एक स्पष्ट ‘कारण बताओ’ नोटिस भेजा.

क्या हुआ था गौतम अडानी के साथ?

बताते चलें कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने जब गौतम अडानी के ग्रुप के खिलाफ अपनी रिपोर्ट जारी की थी. उसके बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर प्राइस में तेजी से गिरावट आई थी. रिपोर्ट आने से पहले अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी दुनिया के टॉप-5 अमीर लोगों में शामिल थे, लेकिन रिपोर्ट आने के कुछ दिन बाद ही उनकी नेटवर्थ आधी रह गई थी और वह दुनिया के टॉप-25 रईसों की लिस्ट से भी बाहर हो गए थे. हालांकि सालभर के अंदर ही गौतम अडानी की कंपनी ने रिकवरी की. अब एक बार फिर से हिंडनबर्ग ने रिसर्च रिपोर्ट जारी किया है.

 

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