बहुत चर्चा है: बिना कागज-पेन, हो गई मीटिंग…राजमहल में कदम रखते ही राज्यसभा की चर्चा…कलेक्टरों के तबादले से बचने की जुगत

Bahut Charcha Hai: कांग्रेस के जिला अध्यक्षों के चयन के लिए रोज मीटिंग हो रही है. केंद्रीय संगठन ने पर्यवेक्षक भेजे हैं, और उन पर्यवेक्षकों के तेवर देखकर स्थानीय नेता भी हैरान हैं. कुछ नेता तो इस मोड में आ गए हैं कि अब पार्टी में स्थानीय स्तर पर कुछ नहीं होगा, बल्कि केंद्रीय संगठन ही तय करेगा.
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बहुत चर्चा है

Bahut Charcha Hai: कांग्रेस के जिला अध्यक्षों के चयन के लिए रोज मीटिंग हो रही है. केंद्रीय संगठन ने पर्यवेक्षक भेजे हैं, और उन पर्यवेक्षकों के तेवर देखकर स्थानीय नेता भी हैरान हैं. कुछ नेता तो इस मोड में आ गए हैं कि अब पार्टी में स्थानीय स्तर पर कुछ नहीं होगा, बल्कि केंद्रीय संगठन ही तय करेगा. ताजा मामला राजधानी रायपुर का है. यहां पर्यवेक्षक ने एक-एक नेताओं से बंद कमरे में बात की. 5 से 7 मिनट का समय नेताओं को दिया गया. उनकी पूरी बात सुनी गई. किसे जिला अध्यक्ष बनाना है, उसके पीछे के फैक्टर, जातिगत समीकरण, सब कुछ पूछा, लेकिन जब पर्यवेक्षक के सब पूछ रहे थे, उनके पास ना तो कागज था ना कलम थी. बाहर निकले नेता आपस में चर्चा कर रहे थे कि आखिर इतने लोगों से चर्चा के बाद पर्यवेक्षक कैसे तय करेंगे कि किसे जिला अध्यक्ष बनाना है, क्योंकि उन्होंने किसी का नाम तो नोट किया ही नहीं. खास बात यह रही कि स्थानीय स्तर पर सहपर्यवेक्षक बनाए गए. उन्हें पर्यवेक्षक साहब ने अपने कमरे में घुसने तक नहीं दिया. वह बाहर के कमरे में बैठकर नेताओं से चर्चा करते रह गए.

राजमहल में कदम रखते ही राज्यसभा की चर्चा

केंद्रीय गृह मंत्री बस्तर दशहरा के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जगदलपुर पहुंचे. अलग-अलग कार्यक्रमों में शामिल होने से पहले अमित शाह दंतेश्वरी मंदिर पहुंचे. यह मंदिर राजमहल परिसर में ही है. बस्तर राजा कमलचंद भांजदेव के राजमहल में शाह करीब 10 मिनट रहे, लेकिन जब शाह वहां से निकले तो उसके बाद ही चर्चा तेज हो गई की भंजदेव को राज्यसभा भेजा जा सकता है. इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है, कि बस्तर से लंबे समय से किसी को राज्यसभा नहीं भेजा गया. कांग्रेस ने कांकेर से आने वाली फूलोदेवी नेताम को राज्यसभा भेजा, लेकिन भाजपा से कोई नेता राज्यसभा नहीं जा पाया है. अब देखिए की शाह के राजमहल में कदम रखने के बाद जो चर्चा शुरू हुई है, क्या वह अंतिम तक पूरी हो पाती है, क्योंकि 2026 में राज्यसभा के लिए नामांकन होगा.

कंपनी आई नहीं, शिकायत आ गई

पढ़ाई-लिखाई वाले विभाग में चर्चा है कि एक कंपनी को काम दिया जाएगा. कंपनी अभी आई नहीं है और उसका विरोध शुरू हो गया है. एक भाई खुद को पत्रकार बता रहे हैं और उन्होंने जगह-जगह शिकायत भेजी है. इसमें बताया कि कंपनी ब्लैकलिस्टेड है. पहले भी कंपनी ने छत्तीसगढ़ में काम किया है, लेकिन घोटाले के आरोप में फंसी है. आरोप तो यह भी है कि कंपनी के मालिक का मंत्री से करीबी रिश्ता है. अब देखना है कि इस ब्लैकलिस्टेड कंपनी को क्या मंत्री जी के करीबी होने का फायदा मिलता है और ठेका मिलता है या फिर वायरल चिट्ठी अपना काम कर जाएगी.

कलेक्टरों के तबादले से बचने की जुगत

कलेक्टर कान्फ्रेंस के बाद चर्चा है कि एक दर्जन से ज्यादा जिलों में नए कलेक्टर और करीब 14-15 जिलों में नए एसपी की तैनाती होगी. नए मुख्य सचिव आने के बाद कलेक्टर कान्फ्रेंस होने जा रही है इस कांफ्रेंस में अफसर के परफॉर्मेंस का रिव्यू होगा. बताया जा रहा है की कई छोटे जिलों के कलेक्टर परफॉर्मेंस ठीक नहीं कर पा रहे हैं. कई प्रमोटी IAS के जिलों में लगातार बवाल हो रहा है. चाहे मंत्री से या फिर भाजपा के पदाधिकारी से. ऐसे में इन कलेक्टरों को बदलने की चर्चा है. चर्चा है कि बस्तर के तीन-चार जिले और दुर्ग संभाग के तीन-चार जिले के एसपी तत्काल बदले जाएंगे. बड़े जिलों में तालमेल ठीक नजर आ रहा है, लेकिन बिलासपुर, रायगढ़ यहां पर कुछ फेरबदल हो सकता है. नए मुख्य सचिव के आने के बाद यह फिर बदल किया जा रहा है, ऐसे में यह माना जा रहा है कि अगले 3 साल यही टीम जिलों में काम करती रहेगी और सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ेगी.

पता विभाग का, खाता प्राइवेट, क्या रिश्वत जमा हो रही?

गाड़ी मोटर वाले विभाग में गजब हो गया. सरकारी कार्यालय के पते से एक बैंक अकाउंट खोला गया. बैंक अकाउंट प्राइवेट व्यक्ति का है. उसकी पत्नी विभाग में पदस्थ है. लाखों रुपए का उस खाते में ट्रांजैक्शन हो रहा है. चर्चा है कि इस खाते में रिश्वत की रकम जाती है. आरटीआई में विभाग से जब जवाब मांगा गया कि प्राइवेट व्यक्ति का खाता विभाग के पते पर कैसे खुल गया तो विभाग ने जानकारी होने से इनकार कर दिया. विभाग में पता सबको है. नीचे से लेकर ऊपर तक सारे अफसर जान रहे हैं कि खाता कैसे खुला और उसमें कहां की रकम जा रही है, लेकिन भ्रष्ट को बचाने और भ्रष्टाचार के पैसे को ठिकाने लगाने का खेल चल रहा है.

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