Ambikapur: महावीर अस्पताल के डॉ सुधांशु किरण को हाई कोर्ट से क्लीन चीट, बोले- डॉक्टरों पर आरोप लगाना आसान
महावीर अस्पताल के डॉ सुधांशु किरण
Ambikapur: अंबिकापुर स्थित महावीर अस्पताल के संचालक डॉ. सुधांशु किरण पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद और झूठा साबित हुआ. हाईकोर्ट ने अधिवक्ता नीरज वर्मा की याचिका को खारिज कर दिया है.
क्या है पूरा मामला
अंबिकापुर के अधिवक्ता नीरज वर्मा ने ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट, अंबिकापुर के सामने एक कंप्लेंट केस फाइल किया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि श्री महावीर हॉस्पिटल में गत दिनों उनकी बेटी आंचल वर्मा को गंभीर हालत में हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. उसे टाइफाइड और डेंगू का पता चला था और क्योंकि प्लेटलेट काउंट कम हो रहा था.
इसलिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत थी और इसलिए, दो यूनिट ब्लड की जरूरत थी. इलाज के दौरान अस्पताल के संचालक डाक्टर सुधांशु किरण और अधिवक्ता नीरज वर्मा के बीच कुछ कहासुनी हुई. नीरज वर्मा का आरोप था कि उनके साथ बुरा बर्ताव किया गया और सभी सुविधाएं होने के बाद भी मरीज का इलाज करने से मना किया गया था. चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट,अंबिकापुर के आदेश पर गांधी नगर पुलिस ने अस्पताल संचालक पर एफआईआर दर्ज किया था.
डा. सुधांशु किरण को हाई कोर्ट क्लीन चीट
वहीं इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. वकील टीके झा ने कहा कि पिटीशनर पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद और झूठे हैं. असल में, बेड की कमी थी क्योंकि कैजुअल्टी में सिर्फ़ 2 बेड थे जो भरे हुए थे और इसलिए, डॉ सुधांशु किरण ने अधिवक्ता नीरज वर्मा को को कुछ समय इंतज़ार करने की सलाह दी थी ताकि जैसे ही बेड खाली हो, उसकी बेटी को बेड दिया जा सके, लेकिन इंतज़ार करने के बजाय,अधिवक्ता नीरज वर्मा ने डॉ सुधांशु किरण के साथ बुरा बर्ताव करना शुरू कर दिया और खुद अपनी बेटी को डिस्चार्ज करने के लिए कहा।
अधिवक्ता नीरज वर्मा ने दर्ज कराई थी FIR
अधिवक्ता नीरज वर्मा ने मामले की शिकायत पुलिस स्टेशन, गांधीनगर में लिखित शिकायत की, लेकिन शिकायत में कोई सबूत न मिलने के कारण उसे दर्ज नहीं किया गया. इसलिए, अधिवक्ता नीरज वर्मा ने डॉ सुधांशु किरण के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करने की मांग करते हुए मजिस्ट्रेट के सामने शिकायत दर्ज कराई. मिस्टर झा का कहना है कि अगर उनके हॉस्पिटल में कोई बेड खाली नहीं था, तो यह कोई जुर्म नहीं बनता और अधिवक्ता नीरज वर्मा ने बेवजह पिटीशनर को झूठे केस में फंसाया है.
दूसरी ओर अस्पताल संचालक डॉक्टर सुधांशु किरण की ओर से पेश हुए सरकारी वकील मिस्टर पांडे का कहना है कि अधिवक्ता नीरज वर्मा ने डाक्टर सुधांशु किरण के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करने की कोशिश की थी, लेकिन, क्योंकि उनकी शिकायत में कोई दम नहीं था, इसलिए वह दर्ज नहीं की गई, लेकिन, मजिस्ट्रेट के निर्देश के बाद, पुलिस ने 15 जुलाई. 2025 को एफ आई आर दर्ज कर ली. उन्होंने आगे कहा कि पिटीशनर के पास सेशंस कोर्ट जाने का रास्ता है, लेकिन पिटीशनर जल्दबाजी में इस कोर्ट में आ गया है और इसलिए, यह पिटीशन खारिज करने लायक है.
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दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट के जज ने आदेश दिया कि, अंबिकापुर के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के 17 जून 2025 के ऑर्डर को रद्द करना सही समझते हैं और आईपीसी के सेक्शन 270 और 294 के तहत अपराधों के लिए पुलिस स्टेशन, अंबिकापुर देहात (गांधीनगर) में दर्ज एफ आई आर को रद्द करने का निर्देश दिया.