डेडलाइन, एनकाउंटर और फिर सरेंडर… अमित शाह की सख्ती ने तोड़ दी कमर, अब ‘सीजफायर’ को मजबूर नक्सली
नक्सलियों ने टेके घुटने!
Amit Shah vs Naxals ceasefire: तारीख 24 अगस्त 2024… जगह छत्तीसगढ़ की राजधान रायपुर. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सल प्रभावित राज्यों की अंतर राज्यीय समन्वय समिति बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक में उन्होंने नक्सलवाद के अंत की डेडलाइन तय करते हुए बताया कि मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद खत्म किया जाएगा. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा डेडलाइन तय किए जाने के बाद से छत्तीसगढ़ समेत नक्सल प्रभावित राज्यों में लगातार सुरक्षाबल और जवान एंटी नक्सल ऑपरेशन में सफलता हासिल कर रहे हैं. इसके अलावा सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर बड़ी संख्या में नक्सली सरेंडर भी कर रहे हैं. इस बीच छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के ‘सीजफायर’ को लेकर लेटर और ऑडियो मैसेज सामने आए हैं. नक्सलियों ने हथियार डालने की बात कही है. जानिए आखिर वो कौन-से कारण हैं, जिसकी वजह से नक्सली अपने घुटने टेकने पर मजबूर हो गए हैं.
डेडलाइन, एनकाउंटर और फिर सरेंडर…
24 अगस्त 2024 को जैसे ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलियों के अंत की डेडलाइन तय की तो सुरक्षाबलों ने एंटी नक्सल ऑपरेशन तेज कर दिए. सुरक्षाबलों ने छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों में कई बड़े एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाए और बड़ी सफलता भी हासिल की.
ढेर हुए नक्सली
गृह मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2023 से अब तक नक्सल विरोधी अभियानों में सुरक्षा बलों ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की है. इस दौरान 453 नक्सली ढेर किए गए,जबकि 1616 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया और 1666 ने आत्मसमर्पण किया. छत्तीसगढ़ में अकेले 65 नए सुरक्षा कैंप (एफओबी) स्थापित किए गए हैं, जिससे नक्सलियों पर दबाव और बढ़ा है.
14 मई 2025 को गृह मंत्रालय ने नक्सलियों के खिलाफ अभियान की कामयाबी की विस्तृत जानकारी साझा की. मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारकी के मुताबिक साल 2014 में नक्सलवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों की संख्या 35 थी, जो 2025 तक घटकर मात्र 6 रह गई है. कुल नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या भी 126 से घटकर 18 हो गई है. आंकड़ों में नक्सली हिंसा में भी भारी कमी आई है. साल 2014 में 76 जिलों के 330 थानों में 1080 नक्सली घटनाएं दर्ज की गई थीं, जबकि 2024 में यह संख्या घटकर 42 जिलों के 151 थानों में केवल 374 घटनाओं तक सिमट गई. नक्सली हिंसा में शहीद होने वाले सुरक्षाकर्मियों की संख्या भी 2014 के 88 से घटकर 2024 में 19 रह गई है.
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक मुठभेड़ों में मारे गए नक्सलियों की संख्या 63 से बढ़कर 2089 हो गई है. 2024 में 928 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया और 2025 के पहले चार महीनों में 718 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं. 2019 से 2025 तक केंद्रीय बलों ने राज्य पुलिस के साथ मिलकर नक्सल प्रभावित राज्यों में कुल 320 कैंप स्थापित किए, जिनमें 68 नाइट लैंडिंग हेलीपैड भी शामिल हैं. साल 2014 में फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशनों की संख्या 66 थी, जो अब बढ़कर 555 हो गई है.
ढेर हुए खूंखार नक्सली
- जयराम रेड्डी उर्फ चलपति उर्फ अप्पा राव
जयराम रेड्डी वरिष्ठ नक्सली नेता था, जिस पर 1 करोड़ रुपए का इनाम था. जनवरी 2025 में छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में हुई मुठभेड़ में नक्सलियों ने उसे ढेर कर दिया. इस ऑपरेशन में 14 और नक्सली ढेर हुए थे.
- बड़े चोखा राव उर्फ दामोदर
जनवरी 2025 में छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में हुई मुठभेड़ में दामोदर CPI (माओवादी) की तेलंगाना राज्य समिति का सचिव था, इस पर 50 लाख रुपये का इनाम था.
- नंबाला केशव राव उर्फ बसवराज
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में मई 2025 में हुई मुठभेड़ में CPI का महासचिव और चीफ स्वयंभू मिलिट्री कमांडर 70 वर्षीय बसवराजू ढेर हो गया. वह भारत के मोस्ट वांटेड नक्सली नेताओं में से एक था. उस पर 1.5 करोड़ रुपए का इनाम भी था.
- नरसिम्हा चलम उर्फ सुधाकर
जून 2025 को छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में हुई मुठभेड़ में प्रभावशाली नक्सली कमांडर सुधाकर ढेर हो गया. उस पर 40 लाख रुपए का इनाम था. उसने आयुर्वेद की पढ़ाई की थी और बाद में नक्सल आंदोलन में शामिल हो गया.
- सहदेव सोरेन उर्फ परवेश
हाल ही में (सितंबर 2025) झारखंड के हजारीबाग में जवानों ने कुख्यात नक्सली कमांडर सहदेव को ढेर कर दिया. उस पर 1 करोड़ रुपए का इनाम था. सुरक्षा बलों ने इसके साथ दो अन्य इनामी नक्सलियों को भी ढेर कर दिया.