बहुत चर्चा है: फुलप्रूफ प्लान, फिर डाला हाथ… मानसून सत्र में सख्त दिखे अध्यक्ष जी… अफसर के जवाब में फंसते मंत्री…सलाहकारों की नियुक्ति की चर्चा
बहुत चर्चा है
Bahut Charcha Hai: छत्तीसगढ़ में दो दिनों से सबसे ज्यादा चैतन्य बघेल के खिलाफ ED का एक्शन सुर्खियों में हैं. इसके अलावा विधानसभा के मानसून सत्र में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह भी सख्त नजर आए, जिसे लेकर खूब चर्चाएं हुईं. साथ ही साथ अफसर के जवाब में फंसते मंत्री और सलाहकारों की नियुक्ति की चर्चा भी रही.
फुलप्रूफ प्लान, फिर डाला हाथ
शराब घोटाले में ED की कार्रवाई की चर्चा चारों तरफ है. कांग्रेस पार्टी एकजुट होकर विरोध कर रही है, लेकिन ED ने जिस तैयारी के साथ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी की है, उसकी इनसाइड स्टोरी बहुत कम लोग ही जानते हैं. PMLA मैं केस बनाने से पहले चैतन्य बघेल के खिलाफ सबूत को ED ने कोर्ट में पेश किया था. चैतन्य बघेल की जब गिरफ्तारी हुई, तब ED की टीम करीब चार लाल कपड़े में बंधे दस्तावेजों को लेकर बाहर निकली. कार्रवाई इतनी गोपनीय थी कि किसी को भनक तक नहीं लगी. कोर्ट में चैतन्य के खिलाफ दस्तावेज जमा हो गए और उन सबूत के आधार पर कोर्ट ने गिरफ्तारी की अनुमति भी दे दी.
अंतिम सत्र में अध्यक्ष जी सख्त दिखे
विधानसभा के मानसून सत्र में मंत्रियों की चर्चा से ज्यादा विधानसभा अध्यक्ष की चर्चा है. कई मौकों पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने न सिर्फ सख्ती दिखाई बल्कि विधायकों को नसीहत भी दी. विधायक अजय चंद्राकर और देवेंद्र यादव के बीच हुई नोंकझोंक, प्रश्न काल में कांग्रेस विधायकों की नारेबाजी या फिर मंत्रियों के खराब जवाब को लेकर अध्यक्ष जी की सख्त चेतावनी… डेढ़ साल में पहली बार विधानसभा अध्यक्ष ने इतनी सख्ती दिखाई. यह सत्र विधानसभा के पुराने भवन में अंतिम सत्र था. ऐसी चर्चा है कि दिसंबर में होने वाला विधानसभा का शीतकालीन सत्र नए भवन में होगा. अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह की इन सख्तियों और उनकी नाराजगी के साथ यह पुराने भवन का आखिरी सत्र समाप्त हुआ. आखिरी सत्र में कई विधायक परिसर में मौजूद गांधी प्रतिमा और विवेकानंद प्रतिमा के सामने फोटो खींचते भी नजर आए.
अफसर के जवाब में फंसते मंत्री
विधानसभा में मंत्रियों के लिए जवाब तैयार करने का जिम्मा अफसर को होता है, लेकिन कई अफसर ऐसे हैं कि जब जवाब तैयार करने में मंत्रियों को फंसाने के लिए तैयार नजर आते हैं. 5 दिन के सत्र में कई मौके ऐसे मौके आए जब मंत्री जवाब देने की स्थिति में नहीं थे. सत्ता पक्ष के विधायकों ने बार-बार यह कहा कि मंत्री जी को अफसर फंसा रहे हैं. बात विधायक भैयालाल राजवाड़े की हो या अजय चंद्राकर की. सभी ने अफसर पर ही निशाना साधा. अब सवाल उठ रहा है कि क्या अफसर इतने काबिल नहीं है, जो सही जवाब तैयार कर सकें? सबसे ज्यादा बात महिला बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग के अफसर की पिटी. अफसर की लापरवाही का नजारा यह था कि मंत्रियों को उनके विभाग के बारे में डेढ़ साल में पूरी जानकारी नहीं हो पाई. अध्यक्ष को टोकना पड़ा कि मंत्री अपने विभाग में क्या-क्या काम है, उसके बारे में तो पता कर लें.
सलाहकारों की नियुक्ति की चर्चा
सरकार में दो नए सलाहकार बनने की चर्चा है. बताया जा रहा है कि संघ के करीबी एक वरिष्ठ नेता को सलाहकार बनाया जा सकता है. इसकी फाइल भी अंतिम दौर में पहुंच गई है. दो नए सलाहकारों में एक राजनीतिक और एक संसदीय सलाहकार की नियुक्ति हो सकती है. संसदीय सलाहकार के लिए भाजपा के एक वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद के नाम की चर्चा है. चर्चा तो यह भी है कि निगम मंडल की दूसरी सूची आ सकती है. हालांकि, इसके लिए प्रदेश प्रभारी और बड़े नेताओं की हरी झंडी का इंतजार किया जा रहा है.