बहुत चर्चा है: मंत्रियों की बच गई कुर्सी…कांग्रेस का पुत्र मोह…संघ की पसंद…दिवाली तक बनेंगे कांग्रेस के जिलाध्यक्ष

Bahut Charcha Hai: छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा है. इस बीच वर्तमान मंत्रियों के लिए एक अच्छी खबर आ रही है. बताया जा रहा है कि कुछ मंत्रियों के खराब परफॉर्मेंस के कारण उनकी छुट्टी होनी थी, लेकिन इस छुट्टी को दिसंबर तक टाल दिया गया है.
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बहुत चर्चा है

Bahut Charcha Hai: छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा है. इस बीच वर्तमान मंत्रियों के लिए एक अच्छी खबर आ रही है. बताया जा रहा है कि कुछ मंत्रियों के खराब परफॉर्मेंस के कारण उनकी छुट्टी होनी थी, लेकिन इस छुट्टी को दिसंबर तक टाल दिया गया है. मंत्रियों के परफॉर्मेंस का एक बार फिर रिव्यू होगा, उसके बाद तय होगा कि मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाना है या फिर उन्हीं के सहारे चुनावी मैदान में जाना है. केंद्रीय संगठन सभी मंत्रियों के परफॉर्मेंस का रिव्यू कर रही है. जैसे ही रिव्यू में मंत्री कमजोर घोड़े के रूप में नजर आएंगे, उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा.

कांग्रेस का पुत्र मोह

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस युवाओं की एक नई टीम तैयार कर रही है. उसके लिए तीन दिन तक प्रशिक्षण चला. देशभर से बड़े-बड़े लोगों को प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया. छत्तीसगढ़ के बड़े कांग्रेस नेता कार्यक्रम में पहुंचे और लंबे-चौड़े भाषण दिए, लेकिन सबसे चर्चित यह रहा कि प्रदेश के कद्दावर नेता प्रशिक्षण में तो पहुंचे, लेकिन वह कोई भाषण नहीं दे पाए. बताया जा रहा है कि नेता जी युवा कांग्रेस के एक नेता के साथ जेल पहुंच गए. वहां जेल में बंद कुछ कांग्रेस के लोगों से मुलाकात की. बड़े नेता जी के चक्कर में युवा कांग्रेस के नेताजी भी भाषण नहीं दे पाए. प्रशिक्षण में शामिल होने आए लोगों को प्रमाण पत्र अंत में प्रदेश अध्यक्ष को बांटना पड़ा.

संघ की पसंद

भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा हुई, उसमें सभी प्रमुख पदों पर संघ की पसंद को तवज्जो दी गई. पहली बार ऐसा हो रहा है कि किसी गुट को तवज्जो देने की जगह सिर्फ और सिर्फ संघ के करीबी लोगों को मौका मिला है. प्रदेश महामंत्री के तीनों पद संघ के करीबी लोगों को दिया गया है. इसके साथ ही मीडिया विभाग में संघ के करीबी सांसद संतोष पांडे को मुख्य प्रवक्ता बनाया गया. अराजकता पैदा करने वाले, नकारात्मक भाषण देने वाले और पार्टी की छवि को धूमिल करने वाले नेताओं को पूरी तरह से बाहर कर दिया गया. संघ की गुड बुक में रहे नेताओं को प्रदेश मंत्री की भी जिम्मेदारी दी गई. परिवार की राजनीति में उन्हीं नेताओं को मौका दिया गया, जो लंबे समय से सक्रिय हैं और संघ की रीति-नीति का पालन करते हैं. बड़े नेताओं की पसंद माने जाने वाले उनके करीबी लोगों को मौका ना देकर यह साफ संकेत दे दिया गया है कि पार्टी सीधे-सीधे परफॉर्मेंस बेस्ड काम करने की दिशा में आगे बढ़ रही है.

दिवाली तक बनेंगे कांग्रेस के जिलाध्यक्ष

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के जिला अध्यक्षों की सूची आने के बाद छत्तीसगढ़ में चर्चा शुरू हुई कि यहां कब तक जिला अध्यक्ष घोषित कर दिए जाएंगे. कांग्रेस के सूत्रों कि माने तो प्रदेश में संगठन सृजन कार्यक्रम अभी शुरू नहीं हुआ है. दो दिन पहले ही चार राज्यों के संगठन सृजन कार्यक्रम की घोषणा केंद्रीय संगठन ने की है. उसमें छत्तीसगढ़ अभी शामिल नहीं हुआ है. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि कांग्रेस के नए जिला अध्यक्ष दीपावली से पहले तक आ सकते हैं. मध्य प्रदेश की तर्ज पर अगर जिला अध्यक्षों की घोषणा हुई, तो आधे से ज्यादा जिला अध्यक्ष सूची से बाहर हो जाएंगे. कांग्रेस के बड़े नेताओं की माने तो प्रमुख जिलों में पूर्व विधायक या पूर्व मंत्री को जिला अध्यक्ष की कमान देकर संगठन एक बार फिर चुनावी समीकरण साधने की कोशिश करेगा.

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