सांप ने नहीं सिस्टम ने ली जान: अस्पताल ले जाने एम्बुलेंस नहीं मिली, मौत के बाद पोस्टमार्टम के लिए शव को ट्रैक्टर में लेकर पहुंचे परिजन

Balrampur: छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले से सिस्टम की वजह से एक शख्स की जान चली गई. इतना ही नहीं मौत के बाद परिजनों को शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने के लिए वाहन नहीं मिला.
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पोस्टमार्टम के लिए ट्रैक्टर में शव ले जाते परिजन

Balrampur News: छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में एंबुलेंस नहीं मिलने पर समय पर एक व्यक्ति अस्पताल नहीं पहुंच सका. किसी तरह जब उसे निजी वाहन से अस्पताल ले जाया जा रहा था तब रास्ते में ही उसकी मौत हो गई. मामला बलरामपुर जिले के राजपुर क्षेत्र स्थित परसवार कला गांव का है. इतना ही मौत के बाद भी युवक के परिजनों को शव वाहन नहीं मिला, जिस कारण शव को ट्रैक्टर ट्रॉली से शव को 25 किलोमीटर दूर पोस्टमार्टम के लिए ले जाना पड़ा.

जानें पूरा मामला

बलरामपुर जिले के राजपुर जनपद क्षेत्र स्थित ग्राम पंचायत परसवार कला में सोमार साय (26 साल) को खेत में काम करने के दौरान जहरीले सांप ने डस लिया. इसके बाद उसकी हालत बिगड़ने लगी तो एंबुलेंस के लिए 108 नंबर पर कॉल किया गया, लेकिन एंबुलेंस नहीं मिली. इसके बाद गांव में परिवार के लोगों ने निजी वाहन खोजना शुरू किया, लेकिन खेती-बाड़ी में गांव के सभी लोग व्यस्त थे. इस कारण निजी वाहन मिलने में भी काफी समय लग गया. जब तक युवक को निजी वाहन मिला तब तक उसकी हालत काफी गंभीर हो चुकी थी. उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया जा रहा था तभी रास्ते में उसने दम तोड़ दिया.

पोस्टमार्टम के लिए नहीं मिला शव वाहन

युवक की मौत के बाद परिवार और गांव के लोगों ने इसकी जानकारी पुलिस थाने में दी. तब पुलिस ने मामले में मर्ग कायम कर शव का पोस्टमार्टम करने के लिए कहा, लेकिन गांव से लाश को पोस्टमार्टम करने के लिए राजपुर ले जाने के लिए भी कोई वाहन नहीं मिला. इसके बाद परिवार के लोगों ने गांव के ट्रैक्टर में पुआल बिछाकर लाश को रखा और 25 किलोमीटर दूर राजपुर पहुंचे. यहां युवक के शव का पोस्टमार्टम किया गया.

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वहीं, पोस्टमार्टम के बाद लाश को फिर ट्रैक्टर ट्राली में ही रखकर वापस गांव लाया गया. तब तक रात हो चुकी थी. इस घटना के तीसरे दिन बाद यानी आज रविवार को अंतिम संस्कार किया गया गया.

इस घटना ने पूरे सिस्टम को झकझोर कर रख दिया है. स्वास्थ्य विभाग की सबसे बड़ी नाकामी उजागर हुई है. अब सवाल इस बात का है कि हर साल एंबुलेंस सुविधा के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी अगर इस तरीके से गांव के लोगों की समय पर इलाज के अभाव में मौत हो रही है तो जिम्मेदार किसे ठहराया जाए? जो जिम्मेदार हैं उन्हें खुद अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करें. इस व्यवस्था को ठीक करने की जरूरत है.

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