‘पहली बार देश के गृहमंत्री मुरिया दरबार पहुंचे हैं…’, अमित शाह के आगमन पर बोले CM विष्णु देव साय

Amit Shah Chhattisgarh Visit: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज बस्तर में हैं. मां दंतेश्वरी के दर्शन कर वह बस्तर दशहरा की 600 साल पुरानी परंपरा में शामिल होने के लिए पहुंचे. वह मुरिया दरबार में शामिल होने के लिए पहुंचे, जहां उनका पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया.
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मुरिया दरबार में अमित शाह

Amit Shah Chhattisgarh Visit: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज बस्तर में हैं. मां दंतेश्वरी के दर्शन कर वह बस्तर दशहरा की 600 साल पुरानी परंपरा में शामिल होने के लिए पहुंचे. वह मुरिया दरबार में शामिल होने के लिए पहुंचे, जहां उनका पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया. इस दौरान CM विष्णु देव साय ने कहा कि पहली बार ऐसा हुआ जब मुरिया दरबार में देश के गृहमंत्री आए हैं.

पहली बार देश के गृहमंत्री मुरिया दरबार पहुंचे हैं – CM साय

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मुरिया दरबार में जनता को संबोधित करते हुए कहा कि पहली बार ऐसा हो रहा है, जब मुरिया दरबार देश के गृह मंत्री आए है. गृह मंत्री अमित शाह ने हौसल बढ़ाया है. नक्सलवाद बस्तर के समाप्ति की ओर है.

बस्तर में विकास की गंगा बहेगी

CM विष्णु देव साय कहा कि जब से हम लोग सरकार में आए हैं. पहले महीने से ही गृहमंत्री अमित शाह यहां आकर लगातार बैठक कर रहे हैं. वे अधिकारियों, जवानों, हम सब का हौसला बढ़ाने का काम करते हैं. इसके साथ ही जो बस्तर के विकास में सबसे बड़ा बाधक है, नक्सलवाद. वह गृहमंत्री अमित शाह के आशीर्वाद से अब समाप्ति की ओर है. उन्होंने 31 मार्च 2026 को पूरे देश भर से नक्सलवाद को समाप्त करने का बेड़ा उठाया है. उसके बाद बस्तर क्षेत्र में विकास की गंगा बहेगी.

उन्होंने ने मुरिया दरबार को लेकर कहा कि पहले यहां आकर लोग राजा को अपनी समस्या बताती थी, अब लोकतंत्र में जो मुख्यमंत्री होते हैं, वो जनता की समस्या सुनते हैं. और आज तो गृहमंत्री अमित शाह राजा के रूप में विराजमान है, तो आपको सब अपनी समस्या बताने आए हैं.

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क्या होता है मुरिया दरबार?

छत्तीसगढ़ के बस्तर में जब राजशाही का दौर था, उस समय बस्तर दशहरा के बाद राजा आम लोगों की समस्या सुनने के लिए दरबार लगाते थे, जिसे मुरिया दरबार कहा जाता है. इस मुरिया दरबार में जनता की समस्या सुनी जाती है और तुरंत इसका निराकरण होता है. दरअसल, पहले राजा समस्या सुनकर निराकरण करते थे, लेकिन अब लोकतांत्रिक व्यवस्था में मुख्यमंत्री या फिर कोई मंत्री, नेता सुन सकते हैं और उनकी समस्या का निवारण कर सकते हैं.

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