Bilaspur: माता रानी के इस प्रसिद्ध मंदिर में जूड़े पर है प्रतिबंध, महिलाओं को नहीं मिलता प्रवेश, जानें कारण
बिलासपुर का डीडनेश्वरी मंदिर
Bilaspur: इन दिनों हर ओर शारदीय नवरात्रि की धूम है. हर कोई माता रानी की भक्ति में लीन है और दुर्गा मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. देश के कई ऐसे मंदिर हैं, जिनको लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं. ऐसा ही एक मंदिर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में है. यहां विश्व प्रसिद्ध मां डीडनेश्वरी मंदिर में महिलाओं के जूड़े पर प्रतिबंध है. यहां कोई भी महिला जूड़ा बांधकर प्रवेश नहीं कर सकती है. जानिए कारण-
बिलासपुर में मस्तूरी मल्हार के विश्व प्रसिद्ध मां डीडनेश्वरी मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर एक बड़ा नियम बनाया गया है. कोई भी महिला यहां बालों में जुड़ा बांधकर प्रवेश नहीं कर सकती है. महिलाओं के जूड़ा बांधकर आने पर इस मंदिर में प्रवेश वर्जित है. इसके लिए मंदिर कैंपस में दीवारों पर विशेष रूप से कागज भी चस्पा किया गया है.
क्या है मान्यता?
मान्यता है कि जब से इस मंदिर का निर्माण हुआ है और स्थापना हुई है तभी से यह नियम महिलाओं के लिए लागू किया गया है. इसके पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. कुछ महिलाएं इस नियम को अच्छा कहती हैं तो कुछ जानकारी नहीं होने की बात कह कर जूड़ा पहनकर मंदिर में प्रवेश करती है. ऐसे में पंडित बाल खोलने की बात कहते हैं और इसके बाद ही यहां प्रवेश करने की इजाजत देते हैं. मंदिर प्रबंधन से जुड़े समिति के पदाधिकारी संजीव पांडे बताते हैं इस मंदिर में मां पार्वती कुंवारी रूप में मौजूद हैं. मां पार्वती हमेशा इस रूप में बाल खुला रखती हैं. यही कारण है कि मंदिर प्रबंधन ने यहां आने वाली महिलाओं के लिए इस नियम के पालन करने और हमेशा के लिए इसे लागू किया है.
पर्यटन हब के रूप में विकसित
यह मंदिर बिलासपुर क्षेत्र के एक बड़े पर्यटन हब के रूप में विकसित हो चुका है. इसके कारण ही शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र में लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाओं के बाल में जूड़ा नहीं दिखता. महिलाएं खुले बालों में ज्यादा दिखती हैं. छत्तीसगढ़ी में बालों के जूड़े को खोपा भी कहते हैं. पुरुष और महिलाएं दोनों ही बड़ी शिद्दत से इस मंदिर में आते हैं और यहां स्थापित मां डिडनेश्वरी देवी की प्रतिमा को पूछते हैं.
इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है और पुरातत्व को लेकर इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं. यही वजह है कि यहां जमीन की खुदाई के दौरान कई पुरातन काल के अवशेष और प्रतिमाएं मिली है, जिन्हें सहेज कर भी रखा गया है. यही वजह है कि क्षेत्र को पर्यटन के तौर पर एक बड़ा पर्यटन स्थल बनाने की कोशिश शुरू हो चुकी है.