छत्तीसगढ़ कोल लेवी वसूली से जुड़े लेन-देन में बड़ा खुलासा, गिट्‌टी-रेत मतलब ‘करोड़-लाख’, कोड वर्ड में होती थी चैट

CG Coal Scam: छत्तीसगढ़ के चर्चित कोल लेवी घोटाला में पेश की गई चार्जशीट में बड़ा खुलासा हुआ है. चार्जशीट में सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी और अन्य अफसरों के लेन-देन को लेकर कोड वर्ड वाले चैट सामने आए हैं.
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वॉट्सएप चैट में खुलासा

CG Coal Levy Scam: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला घोटाले मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है. EOW ने बीते बुधवार को रायपुर की अदालत में इस मामले से जुड़ा दूसरा पूरक चालान पेश किया है. यह चालान नवनीत तिवारी और देवेंद्र डडसेना के खिलाफ दायर किया गया है. EOW ने इस चार्जशीट में कई नए और चौंकाने वाले खुलासे किए हैं.

EOW ने साफ कहा है कि इस पूरे कोयला घोटाले का मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी था, जबकि उसके साथ पूर्व मुख्यमंत्री की उप सचिव सौम्या चौरसिया इस रैकेट को संचालित करने में सक्रिय भूमिका निभा रही थीं. चार्जशीट में बताया गया है कि नेताओं और अफसरों की मिलीभगत से कोयला परिवहन और वाशरी कारोबार से 570 करोड़ रुपए से अधिक की वसूली की गई. इस वसूली व्यवस्था को छुपाने के लिए कोडवर्ड, ग्रुप चैट्स और नकद लेन-देन के तरीके का इस्तेमाल किया जाता था.

करोड़ों रुपए की अवैध वसूली

EOW की रिपोर्ट के अनुसार, मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी ने प्रदेशभर में फैले नेटवर्क के जरिए करोड़ों रुपए की अवैध वसूली की. इस पूरे नेटवर्क को संचालित करने की जिम्मेदारी उसके दो भरोसेमंद सहयोगियों देवेंद्र डडसेना और नवनीत तिवारी को सौंपी गई थी. लेन-देन और गुप्त जानकारी साझा करने के लिए वॉट्सऐप पर पाल, दुर्ग, वीकली, टावर, टुडे और जुगनू नाम से अलग-अलग ग्रुप बनाए गए थे. इन ग्रुप्स में बातचीत पूरी तरह से कोडवर्ड्स में होती थी ताकि कोई बाहरी व्यक्ति असली मतलब समझ न सके. हर जिले में वसूली के लिए स्थानीय अधिकारियों और राजनीतिक संपर्कों का इस्तेमाल किया जाता था, जिससे व्यवस्था मजबूत और सुरक्षित बना रहे.

गिट्‌टी-रेत मतलब ‘करोड़-लाख’

चार्जशीट में दर्ज वॉट्सऐप चैट्स से यह खुलासा हुआ है कि D का मतलब कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव, RS का मतलब IAS रानू साहू, गिट्टी का मतलब करोड़ रुपए और रेती का मतलब लाख रुपए था। वहीं, गिरा या इन शब्दों का उपयोग इस संकेत के रूप में किया जाता था कि पैसा आ चुका है या ट्रांजैक्शन पूरा हो गया है. इन चैट्स और ग्रुप एक्टिविटीज का पूरा ब्यौरा 1500 पन्नों की चार्जशीट में दर्ज है. इसमें तीन IPS अफसरों के नाम भी शामिल हैं, जो सूर्यकांत तिवारी और सौम्या चौरसिया के संपर्क में थे. बताया गया है कि ये अफसर विभाग की गुप्त जानकारी तिवारी तक पहुंचाते थे और कभी-कभी उसके निर्देशों पर कार्रवाई भी करते थे.

दो स्तरों पर वसूली

चार्जशीट में यह भी सामने आया है कि कोयला कारोबारियों से दो स्तरों पर वसूली की जाती थी. कोल वाशरी संचालकों से 100 रुपए प्रति टन और कोल ट्रांसपोर्टरों से 25 रुपए प्रति टन की दर से पैसा लिया जाता था. इस वसूली को नियमित बनाए रखने के लिए कोरबा और रायगढ़ में अलग-अलग कलेक्शन ऑफिस खोले गए थे. रायगढ़ का पूरा नेटवर्क नवनीत तिवारी संभालता था, जबकि कोरबा का काम मोइनुद्दीन के जिम्मे था. हर महीने जुटाई गई रकम रायपुर के अनुपम नगर स्थित सूर्यकांत तिवारी के घर में जमा होती थी. वहां से पूरी रकम का हिसाब-किताब तैयार किया जाता था और आगे बंटवारा होता था.

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ED और EOW की जांच में सूर्यकांत तिवारी के घर से बरामद एक डायरी में भी कई नाम और रकम दर्ज मिली है. डायरी में नवनीत उर्फ नीतू के नाम के आगे 17.73 करोड़ रुपए का हिसाब लिखा मिला. गवाहों के बयानों में भी इस बात की पुष्टि हुई कि नवनीत तिवारी ने लंबे समय तक वसूली की रकम एकत्र कर सूर्यकांत तक पहुंचाई. इस पूरे घोटाले में अब तक दो पूर्व मंत्रियों, कई विधायकों और 36 लोगों पर एफआईआर दर्ज की जा चुकी है. EOW की टीम इस समय मनी ट्रेल, राजनीतिक लिंक और कोयला कारोबारियों की भूमिका की गहन जांच कर रही है.

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