CG News: अंबिकापुर में पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट का गोरखधंधा! 1.80 लाख रुपये दीजिए, बिना क्लास किए डिग्री-डिप्लोमा लीजिए
विस्तार न्यूज की पड़ताल
CG News: अंबिकापुर में अवैध तरीके से पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट के नाम पर गोरखधंधा चल रहा है. अंबिकापुर शहर में किसी भी पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट को छत्तीसगढ़ सरकार से मान्यता नहीं है, सभी कथित पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट मध्य प्रदेश के अलग-अलग कॉलेजों का दलाली सेंटर बनकर रह गए हैं. इनके द्वारा रुपये लेकर सर्टिफिकेट बेचे जा रहे हैं वहीं दिखावे के लिए सिर्फ परीक्षाएं दिलाई जाती हैं और स्टूडेंट को पास कर दिया जाता है. लेकिन हैरानी की बात है कि छत्तीसगढ़ सरकार का चिकित्सा शिक्षा विभाग मुख्य दर्शक बनकर बैठा हुआ है और ऐसी संस्थाओं की जांच तक नहीं कर रहा है.
विस्तार न्यूज की पड़ताल में हुआ खुलासा
अंबिकापुर में पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट के नाम पर चल रहे गोरख धंधे को लेकर विस्तार न्यूज़ ने एक बड़ी पड़ताल की है. यह इंस्टिट्यूट सर्टिफिकेट देकर सिर्फ बेरोजगार पैदा कर रहे हैं. वहीं सिर्फ सर्टिफिकेट के बदौलत सरकारी नौकरी में पहुंचने वाले कई स्वास्थ्य कर्मचारी लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं.
विस्तार न्यूज के इन्वेस्टीगेशन में सामने आया है कि भोपाल के संत रविंद्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय के माध्यम से बीएमएलटी, डीएमएलडी समेत पैरामेडिकल के दूसरे सर्टिफिकेट और डिग्री कोर्स अंबिकापुर के गांधी नगर में मुख्य मार्ग में स्थित पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट के द्वारा कराया जा रहा है. इस पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट के प्रिंसिपल ने खुलासा किया कि अगर आप क्लास नहीं आ पाते हैं तब भी कोई बात नहीं है. आपको भोपाल जाकर परीक्षा पेपर लिखना होगा और अगर आप थोड़ा भी लिख देते हैं तो आप पास हो जाएंगे. अब तक कोई भी फेल नहीं हुआ है. उन्होंने खुलासा किया कि 1 लाख 80 हजार रुपए में बीएमएलटी का कोर्स इसी तरीके से करा दिया जाएगा. इस इंस्टिट्यूट का संचालक जशपुर जिले का रहने वाला है.
प्रैक्टिकल में ज्यादा नंबर देकर करा देंगे पास
अंबिकापुर के गुदरी चौक स्थित पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट के संचालक ने भी बड़े खुलासे किए. उन्होंने कहा कि अगर आप थ्योरी में 15 से 20 नंबर भी लेकर आते हैं तो आपको प्रैक्टिकल में 80 से 90 नंबर देकर बीएमएलटी, डीएमएलटी समेत किसी भी पैरामेडिकल कोर्स में पास करा दिया जाएगा. खुलासा हुआ है कि प्रैक्टिकल में अधिक नंबर लाने के लिए रिश्वत के रूप में नंबर देने वाले कॉलेज और विश्वविद्यालय के शिक्षकों को अलग से पैसे देने पड़ते हैं. हर सब्जेक्ट के हिसाब से स्टूडेंट 500-500 रुपये देते हैं. चार सब्जेक्ट पर एक स्टूडेंट कुल 2000 रुपये देते हैं. उसने खुलासा किया कि वे जबलपुर मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी जबलपुर से संबद्ध विवेकानंद पैरामेडिकल कॉलेज शहडोल और अनूपपुर से परीक्षा दिलाते हैं.
फर्जीवाड़ा करके सर्टिफिकेट के बाद नहीं मिल रही नौकरी
अंबिकापुर में ऐसे कई इंस्टीट्यूट पैरामेडिकल कोर्स के नाम पर छात्रों और समाज के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, क्योंकि सर्टिफिकेट मिलने के बाद युवाओं में नौकरी की ललक जग आती है. लेकिन इस तरीके से पास आउट स्टूडेंट को न तो गवर्नमेंट सेक्टर में नौकरी मिल पाती है और न ही प्राइवेट सेक्टर में क्योंकि इनके पास अनुभव की कमी होती है. वहीं दिखावे के लिए ऐसे पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट कुछ कमरों का क्लासरूम भी चलाते हैं, जिसे छात्रों को ले जाकर दिखाते हैं ताकि उनका भरोसा जीत सके जबकि यह सब कुछ अवैध है.
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नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट पाने के लिए भी रिश्वत
पड़ताल के दौरान यह भी खुलासा हुआ है कि मध्य प्रदेश के विश्वविद्यालय में और कॉलेज के माध्यम से कथित पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट डिग्री और डिप्लोमा का सर्टिफिकेट उपलब्ध कराते हैं इसके बाद उसे डिग्री और डिप्लोमा के सर्टिफिकेट को मध्य प्रदेश के पैरामेडिकल काउंसिल से पंजीयन कराया जाता है, इसके बाद मध्य प्रदेश के ही पैरामेडिकल काउंसिल एक आवेदन देने पर नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट देती है और नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट पाने के लिए भी रिश्वत देने पड़ते हैं. NOC मिलने के बाद छत्तीसगढ़ राज्य की सरकारी सेवाओं में भी इन सर्टिफिकेट का उपयोग किया जाता है. अब सवाल है कि इस तरीके से सर्टिफिकेट पाने वाले युवा अगर छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग में नौकरी करेंगे तो फिर आखिर चिकित्सा की गुणवत्ता कैसी रहेगी.