मैनपाट में हाथियों ने तोड़े मकान, फसलों को रौंदा लेकिन वन विभाग ने नहीं दिया मुआवजा, प्रभावित गांव में पहुंचे अमरजीत भगत
गांव में पहुंचे अमरजीत भगत
CG News: छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले मैनपाट के गांवो में इन दिनों जंगली हाथियों की वजह से लोग बेहद परेशान हैं, जंगली हाथी जंगलों से शाम ढलते ही बस्तियों की तरफ पहुंच जा रहे हैं और कच्चे मकानों को तोड़कर घरों में रखा हुआ अनाज का जा रहे हैं. इतना ही नहीं हाथी खेतों में लगे फसल को भी बर्बाद कर रहे हैं लेकिन इसके बावजूद वन विभाग का मैदानी हमला इन गांवो का निरीक्षण नहीं कर रहा है, मुआवजा प्रकरण तैयार नहीं किया जा रहा है, इससे लोगों में नाराजगी है और इसे लेकर अब राजनीति शुरू हो गई ह. पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने मैनपाट के हाथी प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण किया और उन्होंने आरोप लगाया कि वन विभाग का मैदानी अमला लापरवाही बरत रहा है और जनप्रतिनिधि भी ध्यान नहीं दे रहे हैं. उन्होंने हाथी प्रभावित लोगों को तत्काल मुआवजा दिलाने की मांग की है.
मैनपाट में हाथियों ने तोड़े मकान
मैनपाट में जंगली हाथियों ने जमकर उत्पात मचाया, यहां पर हाथियों ने कई मकानों को तोड़ दिया, कई लोग बेघर हो गए तो फसलों को भी हाथियों ने बर्बाद किया है इससे लोग बेहद परेशान है वहीं दूसरी तरफ हाथी प्रभावित लोगों का दुख दर्द समझने के लिए पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत उनके बीच पहुंचे और उन्हें भरोसा दिलाया कि सरकार की तरफ से उन्हें मुआवजा दिलाने मांग किया जायेगा. इस दौरान उन्होंने प्रभावित ग्रामीणों से चर्चा करते हुए उन्हें टार्च वितरित किया.
प्रभावित गांव में पहुंचे अमरजीत भगत
दरअसल पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत का पूर्व विधानसभा क्षेत्र सीतापुर के अंतर्गत मैनपाट भी आता है, वे पिछले 20 वर्षों तक इस क्षेत्र का विधायक भी रहे हैं. हाल के दिनों में मैनपाट के बरडाड, बरवावली, टाटीढाब, नर्मदापुर क्षेत्रों में जंगली हाथियों का जबरदस्त उत्पात है. यहां आधा दर्जन से ज्यादा जंगली हाथियों का झुंड विचरण कर रहा है. शाम ढलते ही जंगली हाथियों का झुंड ग्रामीण क्षेत्र की ओर आ जाते हैं पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत ने कहा है कि वर्तमान सरकार के द्वारा में मैनपाट के हाथी प्रभावित क्षेत्र में गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिसके कारण ऐसी स्थिति निर्मित हो रही है.
फसलों को रौंदा लेकिन वन विभाग ने नहीं दिया मुआवजा
मैनपाट में ऐसे ही कई परिवार हैं जिनके मकान तोड़ देने के बाद बरसात में उनके सामने खुले में रहने की नौबत आ गई है. यहां हर साल बरसात के मौसम में हाथी पहुंचते हैं और इसी तरीके से मकान को तोड़ देते हैं लेकिन हैरानी की बात है कि वन विभाग का अमला हाथियों के उत्पात को रोकने में यहां नाकाम साबित हुआ है जबकि हाथियों के प्रबंधन को लेकर हर साल करोडो रुपए वन विभाग के अधिकारियों और एलिफेंट रिजर्व के अफसर के द्वारा खर्च किया जा रहा है लेकिन जमीनी स्तर पर उसका कोई भी असर होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है मतलब साफ है कि सरकार के पैसे का एलीफेंट मैनेजमेंट के नाम पर दुरुपयोग किया जा रहा है.
वहीं दूसरी तरफ मैनपाट में वन विभाग के रेंजर हो या फिर फॉरेस्टर, जब हाथी गावों में पहुंचते हैं तो अधिकारी सुध लेने भी नहीं आते हैं. यही वजह है कि अब हाथी और इंसानों के बीच यहां संघर्ष की स्थिति बनती हुई दिखाई दे रही है. हाथियों के उत्पात के कारण पिछले सालों में कई लोगों ने मैनपाट में अपनी जान गवाई है लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि वन विभाग खामोश है. अगर हाल ही रहा तो मैनपाट में हाथियों के हमले से लोगों की जान भी जा सकती है.