CG News: 108 गायों की मौत के बाद साय सरकार का बड़ा फैसला, बनाए जाएंगे ‘गौधाम’, चरवाहों और गोसेवकों को मानदेय, चारा के लिए बजट

CG News: छत्तीसगढ़ में एक महीने में अलग-अलग हादसों में 108 गायों की मौत हो गई है. इन आंकड़ों के देखते हुए साय सरकार ने आवारा और निराश्रित गौवंशों को लेकर बड़ा फैसला लिया है.
Chhattisgarh

CM विष्णुदेव साय

CG News: छत्तीसगढ़ में आवारा और निराश्रित गौवंशों की बढ़ती मौतों को रोकने के लिए सरकार ने एक अहम फैसला लिया है. प्रदेश में अब गौठानों की जगह ‘गौधाम’ स्थापित किए जाएंगे, जहां चरवाहों और गोसेवकों को मासिक वेतन, चारा-पानी की सुविधा और बेहतर संचालन के लिए रैंकिंग के आधार पर पुरस्कार दिए जाएंगे. वित्त विभाग ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. साथ ही पशुधन विकास विभाग ने कलेक्टरों व फील्ड अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं.

108 गायों की मौत के बाद फैसला

हाल ही में हाई कोर्ट ने सड़कों पर मरी गायों की घटनाओं पर संज्ञान लिया था. पिछले सप्ताह तीन हादसों में 90 गायों की मौत और बिलासपुर रोड पर 18 गायों के मारे जाने के बाद मुख्य सचिव ने अधिकारियों को फटकार लगाई थी. इसके बाद साय सरकार ने ‘गौधाम योजना’ को मंजूरी दे दी है.

गौधाम में क्या होगा?

गौधाम में केवल निराश्रित, घुमंतू और जब्त गौवंश रखे जाएंगे. शासकीय भूमि पर सुरक्षित बाड़ा, शेड, पानी-बिजली और चारागाह की व्यवस्था होगी. संचालन के लिए पंजीकृत गौशालाओं को प्राथमिकता दी जाएगी, अन्यथा NGO, ट्रस्ट या सहकारी समितियों को जिम्मेदारी मिलेगी. चयन का आधार गौसेवा, नस्ल सुधार, जैविक खाद और पशुपालन प्रशिक्षण का अनुभव होगा.

गौधाम कैसे तैयार होंगे?

छत्तीसगढ़ गौसेवा आयोग नियम 2005 के तहत जिला प्रशासन के प्रस्ताव पर गौधाम बनाए जाएंगे, जो गौशालाओं से अलग होंगे. पहले चरण में राष्ट्रीय राजमार्गों के पास ग्रामीण क्षेत्रों में गौधाम स्थापित होंगे. इनमें स्थानीय निकायों द्वारा एकत्रित निराश्रित गौवंश और गृह विभाग द्वारा कृषक पशु परिरक्षण अधिनियम 2004 (संशोधित 2011) व नियम 2014 के तहत जब्त गौवंश रखे जाएंगे.

शासकीय भूमि पर गौधाम का संचालन

गौधाम शासकीय भूमि पर बनेंगे, जहां बाड़ा, शेड, जलापूर्ति और बिजली की सुविधा होगी. मौजूदा गौठानों को प्राथमिकता दी जाएगी और चारागाह भूमि हरे चारे के लिए उपलब्ध होगी. संचालक संस्था को भूमि या अवसंरचना पर स्वामित्व का अधिकार नहीं होगा.

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गौधाम के उद्देश्य

  • गौ-आधारित उत्पादों को बढ़ावा देना
  • चारा विकास कार्यक्रम को प्रोत्साहन
  • प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकास
  • पशुओं की नस्ल सुधार
  • गौसेवा के प्रति जागरूकता फैलाना
  • स्थानीय रोजगार सृजन
  • प्रत्येक गौधाम में अधिकतम 200 गौवंश रखने की क्षमता

जिला और ब्लॉक स्तर पर निगरानी

गौधाम के संचालन की निगरानी के लिए जिला और ब्लॉक स्तर की समितियां बनेंगी. उत्कृष्ट गौधामों को दूसरे वर्ष से प्रति पशु प्रतिदिन 20 रुपए, तीसरे वर्ष 30 रुपए और चौथे वर्ष 35 रुपए अनुदान मिलेगा.

पहले चरण में एनएच के किनारे गौधाम

पहले चरण में राष्ट्रीय राजमार्गों के निकट ग्रामीण क्षेत्रों में गौधाम बनेंगे, ताकि सड़क हादसों में गौवंश की मौत रोकी जा सके. इससे गौसेवा को मजबूती मिलेगी, किसानों को फसल नुकसान से राहत मिलेगी और सड़क हादसे कम होंगे. आदेश लागू होते ही जमीन चयन और संचालन समितियों का गठन शुरू होगा.

संस्थाओं की चयन प्रक्रिया

गौधाम संचालन के लिए संस्था का चयन “रुचि की अभिव्यक्ति” (EOI) के आधार पर छत्तीसगढ़ गौसेवा आयोग करेगा. जिला स्तरीय समिति आवेदनों का मूल्यांकन कर चयनित संस्था का प्रस्ताव आयोग को भेजेगी. अनुमोदन के बाद संस्था के साथ अनुबंध किया जाएगा.

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