बहुत चर्चा है: पत्र पॉलिटिक्स, निशाने पर नेता…अध्यक्ष को बोला अयोग्य तो मिला नोटिस…नेताजी की किस्मत और संघ का रुख…इस ट्रांसफर को क्या कहेंगे?

Bhut Charcha Hai: राजनीति में पिछला सप्ताह पत्र पॉलिटिक्स के नाम पर चर्चा में रहा. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने एक पत्र लिखा, जिसमें छत्तीसगढ़ के किसी भाजपा नेता को उपराष्ट्रपति बनने की बात कही. तो दो ऐसे पत्र आए जो कांग्रेस और भाजपा के नेताओं को नोटिस के रूप में थे.
Bhut Charcha Hai

बहुत चर्चा है

Bhut Charcha Hai: राजनीति में पिछला सप्ताह पत्र पॉलिटिक्स के नाम पर चर्चा में रहा. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने एक पत्र लिखा, जिसमें छत्तीसगढ़ के किसी भाजपा नेता को उपराष्ट्रपति बनने की बात कही. तो दो ऐसे पत्र आए जो कांग्रेस और भाजपा के नेताओं को नोटिस के रूप में थे. सबसे पहले दीपक बैज के पत्र की बात करते हैं. बैज ने जब पत्र लिखा तो उसकी चर्चा शुरू हुई, लेकिन यह पत्र उल्टा पड़ गया. उपराष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस और इंडिया गठबंधन भी उम्मीदवार बनता है. ऐसे में बैज के पत्र को उनके विरोधी यह कहकर प्रचारित करने लगे कि बैज भाजपा की उम्मीदवार का समर्थन कर रहे हैं. बैज का पत्र उस समय आया, जब दिल्ली में कांग्रेस ओबीसी नेताओं का बड़ा सम्मेलन कर रही थी. देर रात बैज की सफाई भी आई, लेकिन वह भी काम नहीं आई. उनके विरोधियों ने दिल्ली दरबार में शिकायत कर दी है कि बैज गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं. अब सवाल उठ रहा है कि इस पत्र का बीजेपी से क्या कनेक्शन है?

नेताजी की किस्मत और संघ का रुख

BJYM के प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत को अनुशासनहीनता पर नोटिस जारी किया गया है. रवि भगत संघ के करीबी लोग हैं. युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष भी उनको संघ में किए कामकाज के आधार पर ही दिया गया था, हालांकि कुछ समय से रवि भगत नाराज चल रहे थे और सार्वजनिक रूप से टिप्पणी कर रहे थे, लेकिन जिस तरीके से प्रदेश संगठन ने उनको नोटिस दिया है, चर्चा है कि संघ और संगठन के बीच तकरार की स्थिति पैदा हो सकती है. ठीक ऐसी ही स्थिति नगर निगम चुनाव के समय कोरबा से आने वाले मंत्री लखन देवांगन को लेकर बनी थी. संगठन ने उनको भी नोटिस जारी किया, लेकिन संघ के हस्तक्षेप और दबाव के बाद लखन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. ऐसा माना जा रहा है कि रवि भगत के मामले में भी संघ और संगठन बीच का रास्ता निकालने की कोशिश करेगा और अगर संगठन नहीं मानता है, तो तकरार बढ़ सकता है. इस पूरे मामले में रवि भगत समर्थक गरीब आदिवासी पर कार्रवाई के रूप में प्रचारित कर रहे हैं. तो रवि भगत के विरोधी यह बता रहे हैं कि प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उनकी कोई उपलब्धि नहीं रही.

अध्यक्ष को बोला अयोग्य तो मिला नोटिस

महासमुंद से पूर्व विधायक विनोद चंद्राकर को भी कांग्रेस ने नोटिस भेजा है. विनोद चंद्राकर ने खुलेआम महासमुंद की अध्यक्ष को अयोग्य कहा. लगातार वह पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे. पिछले विधानसभा चुनाव में विनोद का टिकट कट गया था. आरोप है कि उसके बाद से ही वह पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त थे. चाहे बात विधानसभा चुनाव की हो या फिर लोकसभा चुनाव की वहां कांग्रेस पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. जिला अध्यक्ष लगातार शिकायत कर रही थी कि विनोद चंद्राकर पार्टी से हटकर पार्टी के खिलाफ काम कर रहे हैं. ऐसे में जब उनका बयान सार्वजनिक रूप से आने लगा तो उनको नोटिस दिया गया है. आमतौर पर पूर्व विधायकों को नोटिस देकर पार्टी छोड़ देती है. पूर्व विधायक विनय जायसवाल को भी पार्टी ने नोटिस दिया था, लेकिन बाद में मामला सुलझ गया, लेकिन विनोद चंद्राकर के मामले में ऐसा लग रहा है कि इस बार पार्टी कुछ बड़ी कार्रवाई कर सकती है.

इस ट्रांसफर को क्या कहेंगे?

स्वास्थ्य से जुड़े एक विभाग में अधिकारियों के ट्रांसफर हुए, लेकिन जिस तरीके से ट्रांसफर किए गए, उस पर अब सवाल उठ रहे हैं. कोरिया के अधिकारी को रायपुर ट्रांसफर किया गया, लेकिन उसे कोरिया का प्रभार दे दिया गया. ठीक ऐसे ही कोरबा के अधिकारी का बिलासपुर ट्रांसफर किया गया, लेकिन उसे बिलासपुर के साथ-साथ कोरबा और अंबिकापुर का प्रभार दे दिया गया. अब आप समझिए कि दो लोग कौन हैं और आखिर इनको 400 किलोमीटर दूर तक का प्रभार कैसे दे दिया जा रहा है. दरअसल यह अधिकारी भाजपा के एक पूर्व मंत्री के रिश्तेदार हैं. वर्तमान में काफी प्रभावशाली है, इसलिए पूरी ट्रांसफर पॉलिसी इन्हीं के हिसाब से बना दी गई है. मंत्री जी को लेकर लगातार विवाद रहता है, उनके विवाद में एक नया नाम यह भी जुड़ रहा है कि ट्रांसफर होने के बाद भी वहां का प्रभार कैसे मिल गया?

जग से जगमग सियासत

पिछले सप्ताह एक जग की चर्चा थी. बहुत महंगे जग की खरीदी करने का दावा किया गया था, लेकिन सरकार ने इसका खंडन कर दिया. अफसर ने अपने बचाव के लिए पत्र तो जारी कर दिया, लेकिन जैम पोर्टल पर जो जवाब आ रहा है, वह अफसर की नियत पर सवाल खड़ा कर रहा है. जग खरीदी को लेकर पोर्टल में यह लिखा गया कि क्वालिटी अच्छी नहीं है, इसलिए सप्लाई किए हुए आइटम को वापस ले जाएं. मतलब खरीदी तो हुई थी, उसे बाद में वापस करने का आर्डर दिया गया, जबकि अफसर ने यह बयान दिया की खरीदी ही नहीं हुई थी. दरअसल अधिकारी जग के नाम पर बाल्टी, गिलास, कटोरी चम्मच सब कुछ खरीदना चाह रहे थे. मामले ने तूल पकड़ा तो बैकफुट पर आ गए. वैसे खरीदी करने वाले साहब के बारे में बताया जा रहा है कि वह ऐसी ही छोटी-छोटी खरीदी में अपना काम निकल लेते हैं.

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